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एमजीएम अस्पताल में महिला मरीज संग दुष्कर्म का खुलासा, पुलिस ने आरोपी बदमाश को यूं दबोचा

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वैसे इस जघन्य वारदात के 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक अस्पताल के किसी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि इस पूरे मामले में अधीक्षक दोषी है। क्योंकि पूरे मामले को रफा-दफा करने में अधीक्षक का अहम रोल था…” 

जमशेदपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में इलाजरत 50 वर्षीय महिला के साथ हुए दुष्कर्म मामले का जिला पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

आरोपी बिरसानगर जोन नंबर एक का रहने वाला है, जिसका नाम गुतु प्रमाणित है। वही गिरफ्तार अपराधी का पुराना अपराधिक रिकॉर्ड रहा है। और  शहर के कई थाने में लूट चोरी और रंगदारी जैसे कई मामले दर्ज हैं।

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….अनूप बिरथरे, एसएसपी जमशेदपुर

बताया जाता है कि कई बार आरोपी जेल भी जा चुका है। पुलिस का कहना है कि घटना को अंजाम देने से पहले लगभग 18 दिन आरोपी एमजीएम अस्पताल में घूमता रहा। पहले रेकी की उसके बाद बलात्कार की घटना को अंजाम दिया।

उधर जिस महिला के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया है वह महिला 50 वर्ष की है और एमजीएम अस्पताल के महिला वार्ड में इलाजरत थी।

पुलिस ने बताया कि 5 मार्च को  देर रात मौके का फायदा उठाकर आरोपी एमजीएम अस्पताल के महिला वार्ड में प्रवेश किया। जहां पहले महिला के साथ मारपीट की। उसके बाद बलात्कार जैसा घिनौना अपराध कर बैठा।

पुलिस का यह भी कहना है कि आरोपी का कोई ठिकाना नहीं था। इसे पकड़ने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। सीसीटीवी  फुटेज  आधार पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और एसआईटी  गठित कर अपराधी तक पहुंची।

हालांकि जिला पुलिस ने बलात्कारी का पता बताने वालों को 10 हजार रुपए इनाम देने का ऐलान किया था। लेकिन सबसे बड़ी विडंबना जिस अस्पताल में बलात्कार जैसी घटना घटती है, उस अस्पताल के अधीक्षक पहले इस मामले को लीपा-पोती करता है और फिर घटना के प्रत्यक्षदर्शी महिला को छुट्टी दे देता है।

जब मामला मीडिया तक पहुंचा और मीडिया ने इस खबर को काफी प्रमुखता से दिखानी शुरू की, तब जाकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आई।

इतना ही नहीं स्वास्थ्य मंत्री विधानसभा में यहां तक कहते हैं कि अभी बलात्कार की घटना की पुष्टि नहीं हुई है। जबकि साकची थाना  में बलात्कार मामले में एफआईआर दर्ज हो चुका थी और पीड़ित महिला का 164 के तहत बयान भी दर्ज हो चुका था। उसके बाद भी अगर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का गोल मटोल बयान अगर आता है, तो सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाता है।

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