” अब यहां सत्तारुढ़ जदयू या अन्य किसी दल के जनप्रतिधि का अपना कोई जनाधार नहीं है। वे लंबे अरसे से पार्टी -नेता की छवि के बल पर ही माननीय बने हैं। अगर वे खुद चुनाव लड़े तो विधानसभा तो दूर मुखिया-पंचायत प्रतिनिधि का भी चुनाव जीतने पर आफत होगी। क्योंकि उन्हें जनसरोकारों से कोई मतलब नहीं रह गया है। लेकिन वे कारनामे ऐसे-ऐसे करते नजर आते हैं कि मानों पूरी सिस्टम उनके आगे बौनी साबित है…………………..”
-: एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क / मुकेश भारतीय :-
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा मुख्यालय स्थित बिहार शरीफ सदर अस्पताल में इमजेंसी छोड़ सभी सेवाएं ठप है। यह सब उन्हीं के लालड़े एक विधायक की उदंडता का परिणाम है।
अस्पतालकर्मी इस मांग पर अड़े हैं कि विधायक अपनी बेहुदगी भरी दादागिरी के लिए माफी मांगेँ। उधर विधायक अपनी जिद पर कायम हैं कि वे माननीय हैं और वे सर्वोसर्वा हैं। झुकना उनकी संस्कार में नहीं है।
दरअसल पूरा मामला क्या है? एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क टीम ने इसकी सघन पड़ताल की। उसके बाद जो तथ्य उभरकर सामने आए हैं। वह एक भयावह अराजकता की स्थिति है।
सारे थाना क्षेत्र में आधी रात एक जदयू कार्यकर्ता की संदिग्ध मौत हुई। इसकी सूचना मिलते ही विधानसभा से जदयू विधायक डॉ. जितेन्द्र कुमार शव को अपने वाहन पर लाद कर सीधे बिहारशरीफ सदर अस्पताल पहुंच गए। उनके साथ संबंधित थाना पुलिस साथ नहीं थी।
उस डॉक्टर ने बिना पुलिस डेड बॉडी रिपोर्ट और मृत्यु चालान के पोस्टमार्टम करने या बिना पोस्टमार्टम किए रिपोर्ट देने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद सत्ता के नशे में चूर विधायक का पारा गरम हो गया और उस डॉक्टर पर भड़क उठे। उसके साथ गाली-गलौज की। नौकरी खा जाने की धमकी दी।
इस दौरान बीच-बचाव करने आए अन्य चिकित्सक व अन्य कर्मी के साथ भी विधायक और उनके गुर्गों ने जमकर बदतमीजी की। इससे सबों में आक्रोश पनप उठा।
विधायक की ऐंठन की हद तो तब हो गई, जब सूचना पाकर सिविल सर्जन खुद विधायक के सामने पहुंचे और अपने कंपकंपाते हाथ जोड़कर विधायक से क्षमा मांगी। लेकिन विधायक का अभद्र आचरण जारी रहा।
सबाल उठता है कि आखिर विधायक ने इस तरह का अमर्यादित व गैरकानूनी आचरण का परिचय क्यों दिया? किसी की स्वभाविक मौत हुई थी तो फिर उसकी पोस्टमार्टम कराने अपने वाहन से लाने और मनचाहा रिपोर्ट बनवाने के पिछे उनकी मंशा क्या रही?
जहां तक बिहार शरीफ सदर अस्पताल की व्यवस्था की बात है तो नीतीश जी के इतने लंबे राज में उनकी पार्टी के किसी जनप्रतिनिधि को उसकी आवाज उठाते न ही देखा गया है और न ही सुना गया है।
फिर अचानक इस माननीय को अस्पताल में अचानक इतनी अराजकता कहां से समझ में आ गई कि वे अपनी सारी सीमाएं लांघ जाए।
हालांकि विधायक के तुक्कम-फजहत के बाद एक अन्य डॉक्टर द्वारा उस शव का पोस्टमार्टम किया गया है। अब कल यानि सोमवार को ही पता चल पाएगा कि मौत की असली वजह क्या है।
बहरहाल, अस्थावां विधायक की जिस तरह की हरकतें सामने आई है। उसकी तस्वीर काफी भयावह है और ऐसी ही परिस्थिति को अराजकता की हद कहते हैं, जो सीएम नीतीश कुमार की उस छवि पर मुहर लगाती है कि वे अपने विधायकों पर लगाम नहीं रखते।