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    Friday, November 22, 2024
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      अफसोस ! 70 साल बाद भी पूर्ण पर्यटन स्थल नहीं बन सका नालंदा

      नलंदा ( राम विलास )। आजादी के 70 साल बाद भी विश्व विख्यात नालंदा पूर्ण पर्यटन स्थल नहीं बन सका है। देश-दुनिया से आये सैलानियों के लिए यहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलती हैं। पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन और खुले में शौच मुक्त अभियान का ढ़िढोरा पिटा जा रहा है।

      इसके बावजूद नालंदा में एक अदद सार्वजनिक शौचालय तक नहीं बन सका है। सैलानी यत्र-तत्र मलमूत्र त्यागने के लिए मजबूर हैं। यहां पानी पीने के लिए एक हैंडपम्प तक की व्यवस्था नहीं है। सरकार कैशलेश प्रोग्रम का व्यापक प्रचार प्रसार कर रही है। लेकिन नालंदा में एक एटीएम तक नहीं है, जिसका सैलानी जरूरत के अनुसार उपयोग कर सके। नालंदा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित हो गया है।

      प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व धरोहर का दर्जा मिले एक साल से अधिक समय हो गया है। लेकिन वर्ल्ड हेरिटेज साइट के शर्तों को पुरा नहीं  किया जा सका है।

      यह तय है कि नालंदा के विकास के लिए युनेस्को धन नहीं देगी। इसके विकास के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को धन लगाना होगा। इसके चहुमुखी और बहुमुखी विकास के लिए महायोजना बनाना होगा। विश्व धरोहर स्थल तक जाने के लिए धुंआ रहित वाहन का परिचालन किय जाता है। आगरा,  खजुराहो, बोधगया आदि इसके उदाहरण हैं।

       नालंदा में आज भी टमटम का ही परिचालन होता है जो धरोहर के अनुकुल नहीं है। आगरा एवं अन्य जगहों की तरह नालंदा में भी बैट्री वाली गाड़ी चलाने की जरूरत है।

      जानकार बताते हैं कि यूनेस्को ने सशर्त नालंदा को विश्व धरोहर का दर्जा दिया था। लेकिन विश्व धरोहर की कसौटी पर अबतक एक भी काम नहीं किया जा सका है या धरातल पर नहीं दिखता है। पर्यटन अर्थ व्यवस्था का आधार है। इससे सैंकड़ों परिवार की जीविका चलती है। इसके बावजूद भी सरकार उदासीन है।

      महायोजना की बात तो दूर नालंदा के विकास के लिए अबतक याजना भी नहीं बन सका है। इसके विकास के लिए उद्योगपति और गैर सरकारी संगठनें भी आगे नहीं आ रही है।

      क्या कहते हैं लोग……

      IMG 3246पर्यटन विकास के लिए नीतीश सरकार को “पर्यटन रोड मैप” तैयार करना चाहिए। नालंदा विश्व विख्यात पर्यटन स्थल है। महायोजना बनाकर इसका विकास करने की जरूरत है। ख्याति के अनुरूप इसका विकास नगन्य है। इसका जितना विकास होगा उतना ही दुनिया के सैलानियों को आकर्षित कर सकेगा। ……….डा. श्रीकांत सिंह, एनएनएमडीयू

      vishwjeet kumarविश्व स्तरीय पर्यटक स्थल होने के बाद भी यहां बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। बिजली, पानी, शौचालय के साथ सफाई की व्यवस्था नहीं है। विरासत घोषित होने के बाद भी उस कसौटी पर कोई काम नहीं हुआ है या धरातल पर नहीं दिखता है। धरोहर तक आने जाने के लिए धुआं वाली नहीं बैट्री वाहन की अनुमति होनी चाहिए। …….डा. हरेकृष्ण तिवारी, एनएनएमडीयू

      hare krishn tiwari

      नालंदा वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इसके बावजूद वेसिक सुविधाएं यहां नहीं हैं। सैलानियों के लिए यहां एक होटल तक नहीं है। सरकार पर्यटन विकास के लिए ढ़िढोरा पीट रही है। लेकिन नालंदा में कहीं कुछ दिखता ही नहीं है। धरोहर सहित रेलवे स्टेशन और नालंदा मोड़ पर शौचालय तक नहीं है। साफ सफाई की भी बदतर व्यवस्था है। ……डा. विश्वजीत कुमार एनएनएमडीयू

      rajendra singhनालंदा की दुर्दशा को देखकर कष्ट होता है। जितनी उंची इसकी पहचान है, उतनी ही नीचे इसका विकास है। दर्जा विश्व धरोहर का तो मिल गया, लेकिन पहचान वही गांव वाली हीं है। विश्व स्तर की सुविधा कहीं नहीं दिखती है। इसकी उपेक्षा जनप्रतिनिधि और प्रषासनिक अधिकारी समान रूप से करते हैं। ……..राजेन्द्र प्रसाद, व्याख्याता, महाबोधि कॉलेज

      ang thu marmaहेरिटेज मतलब नेट एण्ड क्लीन। लेकिन नालंदा में ऐसा नहीं है। सड़क और उसके किनारे गंदगियों से भरा है। टूरिस्टों को ठहरने, खाने-पीने, और मार्केट कप्लेक्स की सुविधा होनी चाहिए। सरकार को इसके विकास के लिए योजना बनानी चाहिए। स्थानीय लोगों को भी अनुषासन व सफाई के लिए जागरूक करने की जरूरत है। ……..अंग-थू-मारमा , छात्र , बंगलादेश

      क्या कहते हैं नालंदा के जिलाधिकारी……..

      nalanda dm 2बुद्धिष्ट सर्किट योजना के तहत नालंदा का समग्र विकास किया जाना है.  संस्कृति ग्राम, विजिटर सेंटर एवं रिसार्ट, मेडिटेशन प्लेटफार्म, कैफेटेरिया, टॉयलेट ब्लॉक आदि का निर्माण 2471.14 लाख की लागत से आरंभ कराया गया था। लेकिन दूसरे विभाग के हस्तक्षेप के कारण कार्य अवरूद्ध है। सैलानियों के लिए वाटर एटीएम लगाने की दिशा में कार्रवाई चल रही है। ……..डा. त्याग राजन एसएम, डीएम, नालंदा

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