
पटना (नालंदा दर्पण न्यूज़ नेटवर्क)। क्या आपने कभी सुना है कि कोई अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बिहार के किसी गांव का वोटर बनने की कोशिश करें? यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर में हुआ एक सनसनीखेज़ वाकया है, जहां किसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जॉन ट्रंप के नाम पर निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन देकर सबको हैरान कर दिया। लेकिन यह कहानी जितनी हास्यास्पद है, उतनी ही गंभीर भी, क्योंकि इसमें आधार कार्ड और मतदाता सूची के साथ छेड़छाड़ का गंभीर मामला सामने आया है।

मोहिउद्दीननगर अंचल में 29 जुलाई 2025 को एक ऑनलाइन आवेदन दाखिल किया गया, जिसमें निवास प्रमाण पत्र के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जॉन ट्रंप का नाम, फोटो, और कथित तौर पर फर्जी आधार नंबर दर्ज किया गया।
आवेदन नंबर BRCCO/2025/17989735 के इस दस्तावेज़ में ट्रंप के पिता का नाम फ्रेडरिक क्राइस्ट ट्रंप और माता का नाम मैरी एनी मैकलियोड अंकित था। पता? वह भी बिलकुल स्थानीय अनुमंडल पटोरी, प्रखंड मोहिउद्दीननगर, गांव हसनपुर, वार्ड नंबर 13, डाकघर बकरपुर, थाना मोहिउद्दीननगर और पिनकोड 848501। मोबाइल नंबर के तौर पर 8000000000 दर्ज किया गया और उद्देश्य? वोटर कार्ड बनवाना!
जब राजस्व अधिकारियों ने इस आवेदन की जांच शुरू की तो मामला और भी गंभीर निकला। आधार नंबर, बारकोड और पते के साथ छेड़छाड़ की पुष्टि हुई। राजस्व अधिकारी श्रृष्टि सागर ने 4 अगस्त 2025 को इस आवेदन को अस्वीकार कर दिया।
मामला यहीं नहीं रुका। यह बीडीओ और सर्किल ऑफिसर (सीओ) के संज्ञान में आया, जिन्होंने इसे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की साजिश माना।
मोहिउद्दीननगर के बीडीओ और सीओ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ समस्तीपुर साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पत्र भेजा गया है और जांच शुरू हो चुकी है।
एक अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ एक मज़ाक नहीं है। यह मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर हमला है। निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत हम ऐसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
बता दें कि यह घटना उस समय सामने आई है, जब बिहार में निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम चल रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य फर्जी मतदाताओं को हटाना और सूची को शुद्ध करना है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप जैसे नामों का इस्तेमाल न केवल प्रशासन को चुनौती देता है, बल्कि आम लोगों के बीच भी हंसी का पात्र बन गया है।
बहरहाल, यह घटना न केवल समस्तीपुर, बल्कि पूरे बिहार के लिए एक चेतावनी है। क्या हमारी मतदाता सूची सुरक्षित है? क्या डिजिटल युग में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय हैं? यह तो जांच पूरी होने पर ही पता चलेगा कि इस फर्जीवाड़े के पीछे का असली मास्टरमाइंड कौन है!