कुड़मी समाज को ST का दर्जा देने को लेकर सड़क पर उतरे आदिवासी

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड की राजधानी रांची में रविवार को आदिवासी समाज ने कुड़मी (कुरमी) समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में एक विशाल बाइक रैली निकाली।
आदिवासी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के बैनर तले आयोजित इस रैली में हजारों आदिवासी बुद्धिजीवियों, युवाओं और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। रैली का मुख्य उद्देश्य आदिवासी अस्मिता की रक्षा और कुड़मी समाज को आदिवासी दर्जा देने के प्रयासों का विरोध करना था।
रैली मोरहाबादी मैदान से शुरू हुई और हरमू रोड, अरगोड़ा होते हुए बिरसा चौक पहुंची। इस दौरान वीर बुधु भगत, भगवान बिरसा मुंडा और अल्बर्ट एक्का की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। बाइक पर सवार युवाओं ने आदिवासी झंडे, बैनर और प्लेकार्ड लहराते हुए जोरदार नारेबाजी की। नारों में स्पष्ट संदेश था कि कुड़मी समाज को कभी भी आदिवासी नहीं माना जा सकता।
रैली में शामिल विभिन्न आदिवासी संगठनों ने इसे एक सांकेतिक प्रदर्शन बताया और कहा कि इसका उद्देश्य आदिवासी समाज को जागृत करना और उनके हक की रक्षा करना है।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की का कहना है कि आदिवासी बना नहीं जाता, जन्मजात होता है। अगर कुड़मी समाज रेल रोकने की बात करता है, तो आदिवासी समाज हवाई जहाज रोकने का काम करेगा।
उन्होंने कुड़मी समाज के हिंदू रीति-रिवाजों और आदिवासी संस्कृति से उनकी असंगति पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी हालत में कुड़मी को आदिवासी दर्जा नहीं दिया जाएगा।
रैली में केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी विस्थापित मोर्चा, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा और सरना आदिवासी जन कल्याण संस्थान जैसे कई संगठन शामिल थे। इन संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि कुड़मी समाज को एसटी दर्जा देने की कोई कोशिश हुई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि कुड़मी समाज जबरन आदिवासी बनने का प्रयास कर रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है। अलविन लकड़ा ने तर्क दिया कि कुड़मी समुदाय की परंपराएं और संस्कृति आदिवासी समाज, जैसे मुंडा, संथाल और उरांव से पूरी तरह भिन्न हैं।
राहुल उरांव ने कहा कि कुड़मी समुदाय का सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचा आदिवासी जनजातियों से मेल नहीं खाता और इसीलिए केंद्र सरकार और ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) ने उनकी मांग को पहले ही खारिज कर दिया है।
रैली की अगुआई अजय तिर्की ने की। उनके साथ रूपचंद केवट, बिगलाहा उरांव, राहुल उरांव, सुभानी तिग्गा, गैना कच्छप और बुद्ध धर्म गुरु एतवा उरांव उर्फ मनीष तिर्की जैसे प्रमुख लोग शामिल थे। इन नेताओं ने एकजुट होकर आदिवासी समाज के हितों की रक्षा का संदेश दिया कि वे अपनी पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।