
नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मढ़ौरा में स्थापित रेल इंजन कारखाना न केवल भारत की रेल प्रणाली को मजबूत कर रहा है, बल्कि अब वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। इस कारखाने से निर्मित अत्याधुनिक रेल इंजनों की पहली खेप अफ्रीकी देश गिनी को निर्यात की गई है, जिसके तहत 140 इंजनों के लिए 3,000 करोड़ रुपये का समझौता हुआ है।
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने से चार इंजनों की पहली खेप गिनी को भेजी गई है। इन इंजनों का नाम ‘कोमो’ रखा गया है, जो 4,500 हॉर्स पावर की क्षमता से लैस हैं। कारखाने की योजना भविष्य में 6,000 हॉर्स पावर तक की क्षमता वाले इंजनों के निर्माण की है। भारतीय रेलवे के लिए बनाए गए इंजनों का रंग लाल और पीला है, जबकि गिनी को निर्यात किए गए इंजनों को नीले रंग में रंगा गया है, जो उनकी विशिष्ट पहचान को दर्शाता है।
इन इंजनों की खासियत उनकी तकनीकी उन्नति में निहित है। सभी इंजनों का कैब पूरी तरह से एयरकंडीशन्ड है, और इनमें इवेंट रिकॉर्डर, लोको कंट्रोल, विशेष ब्रेक सिस्टम (एएआर) और अन्य आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। ये सुविधाएं इंजनों को न केवल कुशल बनाती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भी बनाती हैं।
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना 2018 से संचालित हो रहा है और अब तक यहां 700 से अधिक रेल इंजन बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा पिछले नौ वर्षों में 250 से अधिक इंजनों की मेंटेनेंस भी की गई है। कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रभावशाली है, जहां औसतन हर दो दिन में एक नया इंजन तैयार किया जाता है। यह उत्पादन क्षमता गांधीधाम (गुजरात) के रेल इंजन कारखाने से कहीं अधिक है।
200 एकड़ में फैले इस कारखाने का निर्माण अक्टूबर 2015 में शुरू हुआ था और 2018 से यहां उत्पादन शुरू हुआ। जून 2025 से इस कारखाने ने निर्यात की दिशा में कदम बढ़ाया है, जो भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है।
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने में 800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और आने वाले वर्षों में यह निवेश बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। कारखाने में रेल मंत्रालय की 24% हिस्सेदारी है, जबकि 76% हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय कंपनी वेबटेक की है। यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
कारखाने में कार्यरत 1,528 कर्मचारियों में से 99% बिहार के निवासी हैं, जो राज्य के 17 विभिन्न तकनीकी संस्थानों से नियुक्त किए गए हैं। इससे न केवल स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिला है, बल्कि बिहार के युवाओं को तकनीकी क्षेत्र में कौशल विकास का अवसर भी प्राप्त हुआ है।
इस कारखाने से बिहार को प्रति वर्ष 900 करोड़ रुपये की जीएसटी प्राप्त होती है, और इतनी ही राशि केंद्र सरकार के खाते में भी जाती है। यह आर्थिक योगदान बिहार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने से रेल इंजनों का निर्यात शुरू होने के साथ ही बिहार में औद्योगिक और आर्थिक विकास की नई संभावनाएं खुल रही हैं। यह कारखाना न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार और आर्थिक समृद्धि ला रहा है, बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की तकनीकी क्षमता को भी प्रदर्शित कर रहा है।
गिनी के साथ यह समझौता अन्य देशों के साथ भी निर्यात की संभावनाओं को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास, जैसे सड़क, बिजली, और अन्य सुविधाएं भी तेजी से हो रहा है। यह कारखाना बिहार को औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।