नालंदादेशपटनाफीचर्डबिहार

Nalanda Literature Festival: राजगीर में ज्ञान और संस्कृति का अनोखा संगम

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। Nalanda Literature Festival-2025: प्राचीन नालंदा महाविहार की धरती फिर से ज्ञान, और संस्कृति का वैश्विक मंच बनने जा रहा है। राजगीर में 21 से 25 दिसंबर 2025 तक आयोजित होने वाले नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल के पहले संस्करण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यह फेस्टिवल न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि दुनिया भर के विचारकों, लेखकों और कलाकारों को एक मंच पर लाकर नालंदा की ज्ञान की ज्योति को फिर से प्रज्वलित करेगा।

यह भव्य आयोजन नालंदा यूनिवर्सिटी के सहयोग से जश्न-ए-अदब, सेंटर फॉर इंडियन क्लासिकल डांसेज, शाइनिंग मुस्कान फाउंडेशन और धनु बिहार जैसे प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से कराया जा रहा है। राजगीर की हरी-भरी पहाड़ियों और प्राचीन गुफाओं के बीच यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल नालंदा महाविहार के साये में होने वाला यह फेस्टिवल प्राचीन भारत की विद्या परंपरा को आधुनिक संदर्भों से जोड़ेगा।

फेस्टिवल में भाग लेने वाले दिग्गजों की सूची ही एक किताब जैसी है। पूर्व राज्यसभा सदस्य और प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह, मलयालम सिनेमा के जादूगर अदूर गोपालकृष्णन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स के मेंबर सेक्रेटरी सच्चिदानंद जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता व फेस्टिवल चेयरपर्सन डी. आलिया, आईआईएम कलकत्ता के पूर्व प्रोफेसर हर्षवर्धन नेओटिया और लेखक-स्तंभकार डॉ. पंकज केपी श्रेयस्कर जैसे नाम शामिल हैं।

इनके अलावा अभिनेता अनुपम खेर, लेखक अरूप कुमार दत्ता, शाहू पाटोले, कोरल दासगुप्ता और अमिताभ कांत जैसे हस्ताक्षर भी अपनी उपस्थिति से फेस्टिवल को समृद्ध करेंगे।

फेस्टिवल का कार्यक्रम इतना विविधतापूर्ण है कि हर दिन एक नया आश्चर्य लेकर आएगा। पांच दिनों में साहित्यिक सत्रों की भरमार होगी। भारत की भाषाओं, प्राचीन लोककथाओं, समकालीन साहित्य, कला और नवीन विचारों पर गहन विमर्श। खास तौर पर पूर्वोत्तर भारत पर केंद्रित एक विशेष सत्र ‘सेवन सिस्टर्स’ की जनजातीय भाषाओं, शिलालेखों और सांस्कृतिक कथाओं को उजागर करेगा।

मौखिक साहित्य की परंपराओं से लेकर महिलाओं के साहित्यिक योगदान, प्रवासी भारतीयों के अनुभवों और हाशिए पर पड़े समुदायों की आवाजों तक हर विषय पर वर्कशॉप और इंटरैक्टिव सेशन होंगे। अनुवाद की कला पर एक सत्र में पुरानी लिपियों को आधुनिक भाषाओं में ढालने की चुनौतियां चर्चित होंगी।

डॉ. शशि थरूर का संवाद: प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी के साथ साहित्य की वैश्विक भूमिका पर एक जीवंत चर्चा, जहां थरूर की तीखी बुद्धिमत्ता नालंदा की परंपरा से टकराएगी।

अदूर गोपालकृष्णन का सिने-साहित्य संवाद: नवीन चौधरी के साथ फिल्में और किताबें एक-दूसरे की प्रेरणा बनेंगी।

अनुपम खेर का विचार-विमर्श: डॉ. सच्चिदानंद जोशी के साथ अभिनय और साहित्य का अनोखा मेल होगा।

डॉ. सोनल मानसिंह की किताब चर्चा: विक्रम संपत के साथ एक ऐसी बातचीत होगी जो नृत्य और शब्दों के जादू को जोड़ेगी।

अभय के. और डॉ. शशांक शेखर सिन्हा का सत्र: मिली ऐश्वर्या के साथ कविता और इतिहास का संगम होगा।

वहीं हर सुबह बिहार स्कूल ऑफ योगा, मुंगेर के विशेषज्ञों द्वारा योग और ध्यान सेशन से शुरू होगा, जो प्रतिभागियों को मानसिक शांति प्रदान करेगा। शामें सांस्कृतिक उत्सवों से रंगीन होंगी। क्लासिकल डांस, लोक संगीत और एक शाम डॉ. सोनल मानसिंह का विशेष नृत्य प्रदर्शन।

इस फेस्टिवल में फिल्म स्क्रीनिंग, बुक लॉन्च और इंटरएक्टिव वर्कशॉप भी शामिल होंगे, जो छात्रों, लेखकों और कला प्रेमियों के लिए खासतौर पर डिजाइन किए गए हैं। बिहार की स्थानीय भाषाई विरासत को बढ़ावा देने के लिए मैथिली, भोजपुरी और मगही पर विशेष सेशन भी होंगे, जो राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि को राष्ट्रीय पटल पर लाएंगे।

फेस्टिवल डायरेक्टर गंगा कुमार ने एक्सपर्ट मीडिया न्यूज से विशेष बातचीत में कहा कि नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है। हम चाहते हैं कि हर प्रतिभागी यहां से नालंदा की पुरानी कहानी से जुड़कर लौटे। यह जगह हमें सिखाती है कि ज्ञान जब उद्देश्यपूर्ण होता है तो वह दुनिया बदल सकता है।

वहीं, फेस्टिवल के क्यूरेटर और पेंगुइन के बेस्टसेलिंग लेखक पंकज दुबे ने उत्साह से कहा कि नालंदा में फेस्टिवल आयोजित करना ऐसी अनुभूति है जैसे किसी प्राचीन स्वर को आधुनिक लय देना। यहां इतिहास, साहित्य और रचनात्मकता का त्रिवेणी संगम होगा। जोकि हर आने वाले को प्रेरित करेगा।

यह फेस्टिवल न केवल साहित्यिक उत्सव होगा, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने वाला एक बड़ा कदम भी। राजगीर की प्राकृतिक सुंदरता गर्म जलकुंड, विहार गुफाएं और जैन तीर्थ स्थल प्रतिभागियों को एक यादगार छुट्टी का अनुभव देंगे। स्थानीय कारीगरों के स्टॉल्स पर हस्तशिल्प और बिहारी व्यंजनों की ठेले भी सांस्कृतिक माहौल को और जीवंत बनाएंगे।

नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में सभी साहित्य प्रेमियों, छात्रों, कलाकारों और विचारकों के लिए एक खुला निमंत्रण है। इस ज्ञान के महाकुंभ में शामिल होकर आप न केवल नालंदा की विरासत को जी सकेंगे, बल्कि नए विचारों से समृद्ध होकर लौटेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button
error: Content is protected !!

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker