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JSSC exam-2023: प्रशिक्षित सहायक आचार्य के 71% पद क्यों रह गए खाली?

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC exam) द्वारा आयोजित विद्यालय प्रशिक्षित सहायक आचार्य संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 के परिणामों ने शिक्षा विभाग में एक गंभीर समस्या को उजागर किया है। कक्षा 1 से 8 तक के लिए शुरू की गई 20,001 पदों की भर्ती प्रक्रिया में 71% से अधिक पद खाली रह गए हैं।

यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंताजनक है, बल्कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की चुनौतियों को भी रेखांकित करती है। आइए, इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से नजर डालें।

JSSC ने हाल ही में कक्षा 6 से 8 के लिए भाषा विषय के संशोधित परिणाम घोषित किए। इस परिणाम में 813 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया, जो पहले घोषित 1,059 सफल अभ्यर्थियों की संख्या से 246 कम है। कुल 4,991 पदों के लिए शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया में अब 4,178 पद खाली रह गए हैं।

यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस विषय में 83% से अधिक पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी। आयोग ने स्पष्ट किया कि कुछ अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की कमी के कारण उनके परिणाम लंबित हैं, और विभागीय मार्गदर्शन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कक्षा 1 से 5 के लिए 11,000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। संशोधित परिणाम में केवल 4,333 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 6,667 पद खाली रह गए। यह स्थिति प्राथमिक शिक्षा के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इन कक्षाओं में शिक्षकों की कमी सीधे तौर पर बच्चों की बुनियादी शिक्षा को प्रभावित करती है।

कक्षा 6 से 8 के लिए गणित-विज्ञान विषय में 5,008 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। संशोधित परिणाम में केवल 1,454 अभ्यर्थी पास हुए, जिसके कारण 3,554 पद खाली रह गए। यह इस विषय में 71% पदों के खाली रहने का संकेत देता है। गणित और विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की वैज्ञानिक और गणितीय समझ पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

JSSC ने घोषणा की है कि कक्षा 6 से 8 के लिए सामाजिक विज्ञान विषय का संशोधित परिणाम जल्द ही जारी किया जाएगा। हालांकि मौजूदा रुझानों को देखते हुए इस विषय में भी बड़ी संख्या में पदों के खाली रहने की आशंका है। खाली पदों को भरना आयोग और शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।

इस भर्ती प्रक्रिया में इतनी बड़ी संख्या में पदों के खाली रहने के कई कारण हो सकते हैं।

दस्तावेजों की कमी: JSSC ने बताया कि कई अभ्यर्थियों के परिणाम दस्तावेजों की कमी के कारण लंबित हैं। यह दर्शाता है कि आवेदन प्रक्रिया में सख्ती या अभ्यर्थियों की ओर से लापरवाही भी एक कारण हो सकती है।

आरक्षण नियमों में बदलाव: कुछ अभ्यर्थियों का चयन पहले अनारक्षित श्रेणी में हुआ था, लेकिन उन्होंने झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (JTET) में आरक्षण का लाभ लिया था। संशोधित परिणाम में इन्हें आरक्षित श्रेणी में शामिल किया गया।

इसी तरह पारा शिक्षक श्रेणी के कुछ अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में छूट दी गई थी, लेकिन बाद में उन्हें भी आरक्षित श्रेणी में स्थानांतरित किया गया। इन संशोधनों ने सफल अभ्यर्थियों की संख्या को कम किया।

कानूनी अड़चनें: JSSC ने संकेत दिया कि कोर्ट के फैसले के आधार पर परिणाम में और संशोधन हो सकता है। इससे भर्ती प्रक्रिया में और देरी हो सकती है।

योग्य अभ्यर्थियों की कमी: रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. केके नाग ने कहा कि खाली पदों को केवल योग्य अभ्यर्थियों से ही भरा जाना चाहिए। यह संकेत देता है कि कई अभ्यर्थी निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

शिक्षकों की इतनी बड़ी संख्या में कमी का असर झारखंड की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ना तय है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों की कमी से न केवल पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होगी, बल्कि विद्यार्थियों का भविष्य भी दांव पर लग सकता है। विशेष रूप से गणित, विज्ञान और भाषा जैसे विषयों में शिक्षकों की कमी से बच्चों की बुनियादी और तकनीकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है।

अब JSSC और शिक्षा विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन खाली पदों को जल्द से जल्द भरने की है। इसके लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं।

पारदर्शी और तेज प्रक्रिया: भर्ती प्रक्रिया को और पारदर्शी और त्वरित करने की जरूरत है, ताकि दस्तावेजों की कमी या अन्य तकनीकी कारणों से परिणाम लंबित न रहें।

योग्यता मानकों में संतुलन: योग्य अभ्यर्थियों की कमी को देखते हुए योग्यता मानकों को फिर से जांचा जा सकता है, बशर्ते शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित न हो।

कानूनी अड़चनों का समाधान: कोर्ट के मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रशिक्षण और प्रोत्साहन: योग्य अभ्यर्थियों को आकर्षित करने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और प्रभावी करना होगा।

बहरहाल, झारखंड में सहायक आचार्य के 71% पदों का खाली रहना एक गंभीर समस्या है, जो शिक्षा विभाग और JSSC के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करती है। यह न केवल प्रशासनिक कमियों को दर्शाता है, बल्कि योग्य शिक्षकों की कमी को भी उजागर करता है।

यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों की शिक्षा पर पड़ सकता है। शिक्षा विभाग और JSSC को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि झारखंड के बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न रहें।

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