अन्य
    Sunday, September 15, 2024
    अन्य

      गयाः यहाँ क्यों नहीं उगते तुलसी के पौधे, फल्गू है सिर्फ नाम की नदी?

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। आखिर बिहार के गया में क्यों नहीं उगता तुलसी का एक भी पौधा? यहाँ ब्राह्मण कभी संतुष्ट क्यों नहीं होते? क्यों फल्गू नदी सिर्फ नाम की नदी है और कौआ हमेशा लड़ झगड़कर ही खा पाता है?  कौआ, तुलसी, ब्राह्मण व गाय को मां सीता ने क्यों श्राप दिया था?

      Gaya Why dont Tulsi plants grow here Phalgu is only a river in name 1वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए बिहार के गया धाम पहुंचे। वहां ब्राह्मण ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने के लिए कहा।

      इस पर भगवान राम व लक्ष्मण नगर की ओर सामान लाने के लिए निकल पड़े। ब्राह्मण देव ने माता सीता से आग्रह किया कि पिंडदान का समय निकलता जा रहा है।

      यह सुनकर माता सीता की व्यग्रता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि श्री राम और लक्ष्मण अभी नहीं लौटे थे। इसी दौरान दशरथ जी की आत्मा ने उन्हें आभास कराया कि पिंड दान का वक्त बीता जा रहा है।

      यह जानकर माता सीता असमंजस में पड़ गईं। तब माता सीता ने समय के महत्व को समझते हुए यह निर्णय लिया कि वह स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करेंगी।

      उन्होंने फल्गू नदी के साथ-साथ, वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण व गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय राजा दशरथ का पिंडदान विधि विधान के साथ किया।

      इस क्रिया के उपरांत जैसे ही उन्होंने हाथ जोड़कर प्रार्थना की तो राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार कर लिया। माता सीता इस बात से प्रफुल्लित हुईं कि उनकी पूजा दशरथ जी ने स्वीकार कर ली है।

      इसके बाद उनके मन में संशय भी हुआ कि प्रभु राम इस बात को नहीं मानेंगे क्योंकि पिंड दान पुत्र के बिना नहीं हो सकता है। थोड़ी देर बाद भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लेकर आए और पिंड दान के विषय में पूछा।

      तब माता सीता ने कहा कि समय निकल जाने के कारण उन्होंने स्वयं पिंडदान कर दिया। प्रभु राम को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था कि बिना पुत्र और बिना सामग्री के पिंडदान कैसे संपन्न और स्वीकार हो सकता है।

      इसके बाद माता सीता ने कहा कि वहां उपस्थित फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय, वटवृक्ष और ब्राह्मण श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं। भगवान राम ने जब इन सब से पिंडदान किए जाने की बात सच है या नहीं पूछा।

      तब फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण पांचों ने प्रभु राम का क्रोध देखकर झूठ बोल दिया कि माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया है। वटवृक्ष ने सत्य कहा कि माता सीता ने सबको साक्षी मानकर विधि पूर्वक राजा दशरथ का पिंड दान किया है। पांचों साक्षी के झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दे दिया।

      माता सीता ने यूं दिया श्राप: फल्गू नदी को श्राप दिया कि वह सिर्फ नाम की नदी रहेगी। उसमें पानी नहीं रहेगा। इसी कारण फल्गू नदी आज भी गया में सूखी है।

      गाय को श्राप दिया कि गाय पूजनीय होकर भी सिर्फ उसके पिछले हिस्से की पूजा की जाएगी और गाय को खाने के लिए दर बदर भटकना पड़ेगा। आज भी हिन्दू धर्म में गाय के सिर्फ पिछले हिस्से की पूजा की जाती है।

      माता सीता ने ब्राह्मण को कभी भी संतुष्ट न होने और कितना भी मिले उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी का श्राप दिया। इसी कारण ब्राह्मण कभी दान दक्षिणा के बाद भी संतुष्ट नहीं होते हैं।

      माता सीता ने तुलसी को श्राप दिया कि वह कभी भी गया कि मिट्टी में नहीं उगेगी। यह आज तक सत्य है कि गया कि मिट्टी में तुलसी नहीं फलती और कौआ को हमेशा लड़ झगड़ कर खाने का श्राप दिया था। कौआ आज भी खाना अकेले नहीं खाता है।

      माता सीता ने वट वृक्ष को दिया दीर्घायू का आशीर्वाद: माता सीता ने जहां इन पांचों को श्राप दिया। वहीं सच बोलने पर वट वृक्ष को आशीर्वाद दिया कि उसे लंबी आयु प्राप्त होगी। वह दूसरों को छाया प्रदान करेगा। पतिव्रता स्त्री उनका स्मरण करके अपने पति के दीर्घायु की कामना करेगी।

      संबंधित खबर
      error: Content is protected !!