
पटना (नालंदा दर्पण न्यूज़ डेस्क)। बिहार के शिक्षा क्षेत्र में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राज्य में शिक्षकों की वरीयता, वेतन विसंगतियों के समाधान और स्कूलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दो महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई हैं।
शिक्षा विभाग ने विभिन्न संवर्गों में कार्यरत दो लाख से अधिक शिक्षकों की समस्याओं को संबोधित करने के लिए एक नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की सेवा निरंतरता, वेतन संरक्षण, प्रोन्नति, वेतन विसंगतियों का समाधान और उनकी पारस्परिक वरीयता को निर्धारित करना है। इसके अलावा प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्कूलों में प्रभारी प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए वरीयता सूची तैयार करना भी इस समिति का कार्य है।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित इस समिति में विभागीय परामर्शी पंकज कुमार, प्रशासन निदेशक मनोरंजन कुमार, संयुक्त सचिव अमरेश कुमार मिश्र, सहरसा के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक अमित कुमार, उप निदेशक संजय कुमार चौधरी, अब्दुस सलाम अंसारी, आंतरिक वित्तीय सलाहकार संजय कुमार सिंह और गोपालगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी योगेश कुमार शामिल हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेश के अनुसार समिति को 15 दिनों के भीतर अपना प्रतिवेदन शिक्षा विभाग को सौंपना होगा। यह कदम शिक्षकों के बीच लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को दूर करने और उनकी सेवा शर्तों को पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। समिति के निष्कर्ष और सिफारिशें शिक्षकों के कल्याण और शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने में सहायक होंगी।
बिहार के शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य के 74,000 से अधिक स्कूलों में अगले पांच वर्षों में सोशल ऑडिट किया जाएगा। इस पहल के तहत प्रत्येक वर्ष 20% स्कूलों का ऑडिट किया जाएगा और यह प्रक्रिया इसी वर्ष से शुरू हो रही है। यह कार्य बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपीसी) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की संयुक्त पहल के तहत किया जा रहा है।
सोशल ऑडिट की प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए मास्टर ट्रेनर्स के लिए एक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम में 80 प्रतिभागियों को सोशल ऑडिट की प्रक्रिया और तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन बीईपीसी के राज्य परियोजना निदेशक मयंक वरवड़े, एनसीईआरटी की डीटीई विभाग की प्रमुख प्रो. शरद सिन्हा और राज्य समग्र शिक्षा सोशल ऑडिट के नोडल अधिकारी डॉ. उदय कुमार उज्ज्वल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।
मयंक वरवड़े ने कहा कि इस सोशल ऑडिट के निष्कर्षों के आधार पर स्कूलों में गुणवत्ता सुधार के लिए रणनीतियां तैयार की जाएंगी। वहीं प्रो. शरद सिन्हा ने बताया कि ऑडिट के लिए विशेष टूल उपलब्ध कराए जाएंगे, जो प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाएंगे। यह ऑडिट स्कूलों में संसाधनों के उपयोग, शिक्षण गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे की स्थिति का मूल्यांकन करेगा, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
बिहार सरकार के ये दोनों कदम शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए समिति का गठन और स्कूलों में सोशल ऑडिट की शुरुआत राज्य की शिक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। शिक्षकों की वरीयता और वेतन से संबंधित मुद्दों का समाधान होने से शिक्षक समुदाय में संतुष्टि बढ़ेगी, वहीं सोशल ऑडिट से स्कूलों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। इन पहलों से बिहार के शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण बदलाव की उम्मीद की जा रही है।