बीएनएस, तीन तलाक और धारा 377 बनेगा सीबीएसई पाठ्यक्रम का हिस्सा

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2026-27 शैक्षणिक सत्र से अपने विधि अध्ययन पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस नए अपडेट के तहत भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), तीन तलाक कानून का निरस्तीकरण, राजद्रोह कानून को समाप्त करना और धारा 377 जैसे औपनिवेशिक काल के कानूनों को हटाने जैसे ऐतिहासिक कानूनी सुधारों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।
सीबीएसई के अधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह निर्णय छात्रों में आधुनिक भारतीय कानूनी ढांचे के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कानूनी साक्षरता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
सीबीएसई की पाठ्यक्रम समिति ने इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी थी, और जून 2025 में बोर्ड के शासी निकाय ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। इस पहल के तहत कक्षा 11 और 12 के छात्र न केवल नए कानूनों का अध्ययन करेंगे, बल्कि भारत के कानूनी ढांचे को नया रूप देने वाले ऐतिहासिक निर्णयों और सिद्धांतों से भी परिचित होंगे।
सीबीएसई ने पांच साल पहले उच्चतर माध्यमिक स्तर पर विधि अध्ययन को एक वैकल्पिक विषय के रूप में शुरू किया था, जिसका उद्देश्य छात्रों में बुनियादी कानूनी साक्षरता विकसित करना था। अब इस पाठ्यक्रम को और अधिक प्रासंगिक और समकालीन बनाने के लिए इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप अद्यतन किया जा रहा है। नए पाठ्यक्रम में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) जैसे आधुनिक कानूनों पर जोर दिया जाएगा, जो औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों की जगह ले रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, तीन तलाक (ट्रिपल तलाक) के खिलाफ कानून, राजद्रोह कानून को निरस्त करने जैसे सुधार और धारा 377 को समाप्त करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों को शामिल किया जाएगा। ये बदलाव न केवल कानूनी ढांचे में परिवर्तन को दर्शाते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति को भी उजागर करते हैं।
नए पाठ्यक्रम के लिए अद्यतन पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने हेतु सीबीएसई एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा। इस समिति में विषय-वस्तु विकास एजेंसियों को भी शामिल किया जा सकता है। ताकि पाठ्यपुस्तकें आधुनिक और आकर्षक शिक्षण पद्धतियों के अनुरूप हों। ये किताबें एनईपी 2020 के दिशानिर्देशों के अनुसार डिजाइन की जाएंगी, जिसमें इंटरैक्टिव और व्यावहारिक शिक्षण पर जोर दिया जाएगा।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बदलाव छात्रों को न केवल कानूनी प्रणाली के बारे में गहराई से समझने में मदद करेंगे, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करेंगे। भारतीय कानूनी सुधारों का अध्ययन नई पीढ़ी को सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाएगा।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारा उद्देश्य छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर उन्हें वास्तविक दुनिया के कानूनी परिदृश्य से जोड़ना है। यह पाठ्यक्रम उन्हें भविष्य में कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर तार्किक और जागरूक निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा।
नया पाठ्यक्रम 2026-27 शैक्षणिक सत्र से लागू होगा और इसके लिए शिक्षकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे इन जटिल विषयों को छात्रों तक प्रभावी ढंग से पहुंचा सकें। पाठ्यपुस्तकों का विकास कार्य जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है और इसमें कानून विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं का सहयोग लिया जाएगा।
अधिक जानकारी के लिए सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं या अपने नजदीकी क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क करें।