
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार में कृषि क्षेत्र के सामने एक गंभीर संकट खड़ा हो गया है। राज्य में दाल और तेलहन फसलों का उत्पादन मांग की तुलना में बेहद कम हो रहा है, जिससे खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी चुनौतियां बढ़ रही हैं। कृषि विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बिहार में दाल का उत्पादन प्रति व्यक्ति मात्र तीन ग्राम और तेलहन फसलों का उत्पादन प्रति व्यक्ति केवल दस ग्राम हो रहा है। यह स्थिति तब है, जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 25 ग्राम दाल और 30 ग्राम तेलहन की आवश्यकता है।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 2022 में 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 थी। इस जनसंख्या के लिए प्रति व्यक्ति 25 ग्राम दाल के हिसाब से राज्य में कुल 11 लाख 92 हजार 634 टन दाल की आवश्यकता है। लेकिन वित्तीय वर्ष 2023-24 में
बिहार में केवल 3 लाख 98 हजार 634 टन दाल का उत्पादन हुआ, जो मांग का मात्र 33.14 फीसदी है। इस तरह मांग से 7 लाख 94 हजार 234 टन दाल का उत्पादन कम हुआ। प्रति व्यक्ति हिसाब से देखें तो बिहार में औसतन केवल तीन ग्राम दाल ही उपलब्ध हो पा रही है, जो पोषण के लिए जरूरी मात्रा से काफी कम है।
तेलहन फसलों के मामले में भी बिहार की स्थिति अच्छी नहीं है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में तेलहन का कुल उत्पादन केवल 1 लाख 50 हजार टन रहा, जबकि आवश्यकता 14 लाख 31 हजार 442 टन की है। इस तरह मांग से 12 लाख 80 हजार 790 टन तेलहन का उत्पादन कम हुआ।
आईसीएमआर के मानकों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 30 ग्राम तेलहन की जरूरत है, लेकिन बिहार में प्रति व्यक्ति केवल 10 ग्राम तेलहन ही उपलब्ध हो पा रहा है। यह मांग का केवल 10 फीसदी है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में दाल और तेलहन फसलों के उत्पादन में कमी के कई कारण हैं। इनमें आधुनिक कृषि तकनीकों का अभाव, उन्नत बीजों की कमी, सिंचाई सुविधाओं की अपर्याप्तता और छोटे-छोटे जोतों का प्रचलन प्रमुख हैं। इसके अलावा किसानों को उचित मूल्य और बाजार सुविधाओं का अभाव भी उत्पादन बढ़ाने में बाधा बन रहा है।
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने दाल और तेलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें बीज वितरण, सब्सिडी और प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। हालांकि इन योजनाओं का अपेक्षित परिणाम अभी तक नहीं मिला है।
दाल और तेलहन फसलों के कम उत्पादन का सीधा असर बिहार की खाद्य सुरक्षा और पोषण स्तर पर पड़ रहा है। दाल प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है, और इसकी कमी से कुपोषण की समस्या बढ़ सकती है। इसी तरह तेलहन फसलों की कमी खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि और आयात पर निर्भरता को बढ़ा रही है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि बिहार में दाल और तेलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इनमें उन्नत बीजों की उपलब्धता, आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रसार, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और किसानों को उचित प्रोत्साहन देना शामिल है।