
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार में औद्योगिक विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। राज्य सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत नालंदा, गोपालगंज, औरंगाबाद, कटिहार, मुजफ्फरपुर और सुपौल में नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने का फैसला किया है। इस परियोजना के लिए 2417 एकड़ भूमि अधिग्रहण और 1038 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई है।
इसके साथ ही भागलपुर में एक नए औद्योगिक कॉरिडोर की नींव रखी जाएगी। यह कदम न केवल बिहार के आर्थिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और निवेश को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ के अनुसार भागलपुर के गोराडीह में 97 एकड़ भूमि उद्योग विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित की गई है। यह भूमि एक आधुनिक औद्योगिक कॉरिडोर के विकास के लिए उपयोग की जाएगी। यह कॉरिडोर बिहार के पूर्वी क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों को गति देगा और छोटे-बड़े उद्यमियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा।
वहीं गोपालगंज के विजयीपुर में 32.66 एकड़ भूमि पर एक नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जिसके लिए 11.39 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है। यह परियोजना न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करेगी, बल्कि गोपालगंज जैसे अपेक्षाकृत कम औद्योगिक क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी।
इस परियोजना का दायरा केवल भागलपुर और गोपालगंज तक सीमित नहीं है। नालंदा के हरनौत और चंडी अंचल में क्रमशः 524 और 250 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जाएगी।
वहीं औरंगाबाद के कुटुंबा अंचल में 442 एकड़ भूमि के लिए 284 करोड़ रुपये, कटिहार के मनसाही में 252 एकड़ के लिए 39 करोड़ रुपये, और मुजफ्फरपुर में 700 एकड़ भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना है। सुपौल में भी इस योजना के तहत औद्योगिक विकास को गति दी जाएगी।
इन सभी क्षेत्रों में बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) को भूमि हस्तांतरित की जाएगी, जो आधारभूत संरचना विकसित कर उद्यमियों को औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करेगा।
इस परियोजना का सबसे बड़ा वादा है रोजगार सृजन और निवेश को बढ़ावा देना। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन औद्योगिक क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी? और क्या छोटे और मध्यम उद्यमों को बड़े उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा?
सरकार का दावा है कि यह योजना बिहार को औद्योगिक नक्शे पर एक प्रमुख स्थान दिलाएगी, लेकिन इसके लिए बुनियादी ढांचे, कुशल श्रमिकों और निवेशक-अनुकूल नीतियों का तालमेल जरूरी होगा।
हालांकि इन परियोजनाओं के सामने कई चुनौतियां भी हैं। भूमि अधिग्रहण से जुड़े सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दे, बुनियादी ढांचे की कमी और निवेशकों का भरोसा जीतना कुछ प्रमुख बाधाएं हो सकती हैं। लेकिन अगर इनका समाधान सही तरीके से किया जाए तो बिहार में औद्योगिक विकास का यह कदम न केवल आर्थिक समृद्धि लाएगा, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी एक नया भविष्य रचेगा।