देशशिक्षा

मिसालः RTI के तहत सूचना नहीं देने वाले 4 अफसरों पर FIR का आदेश

हजारीबाग (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है कि सूचना नहीं देने पर कोर्ट ने चार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

पिछले दो वर्षों से झारखंड राज्य सूचना आयोग डीफंक्ट है। मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होने पर वहां सुनवाई नहीं हो रही है। इन परिस्थितियों में सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं को सूचनाएं देने में भी कोताही बरती जा रही है।

हजारीबाग के तत्कालीन सब रजिस्ट्रार वैभव मणि त्रिपाठी ने आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्र को सूचना नहीं दी थी। प्रथम अपीलीय अधिकारियों ने भी उन्हें सहयोग नहीं किया। दूसरी अपील में भी गए, पर सूचना आयोग में सुनवाई बंद होने के कारण हताश लौटना पड़ा।

इसके बाद राजेश ने ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराई, यहां भी सफल नहीं रहने पर उसने हजारीबाग मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में शिकायतवाद दर्ज करायी। अब अदालत ने इन अधिकारियों पर लगाए गए आरोप को सही मानते हुए संबंधित थाने में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।

कोर्ट के आदेश के आलोक में हजारीबाग के पूर्व अवर निबंधक वैभव मणि त्रिपाठी, जिला अवर निबंधक रूपेश कुमार, हजारीबाग के पूर्व अपर समाहर्ता रंजीत लाल और वर्तमान अपर समाहर्ता राकेश रौशन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इन अधिकारियों पर लगे कर्तव्यहीनता, सूचना छिपाने की साजिश रचने, भ्रष्टाचार और मानसिक उत्पीड़न और धोखाधड़ी के लगाए आरोप को सही माना है।

आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्र ने हजारीबाग निबंधन कार्यालय से 28 जून 2021 की कार्यावधि के दौरान कार्यालय में लगे सभी सीसीटीवी फुटेज की सीडी में मांगी थी, जो उन्हें नहीं उपलब्ध करायी गई।

कहा गया कि जो सूचना मांगी गई है, यह सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत नहीं आती है। बाद में कहा गया कि सीसीटीवी फुटेज का संधारण नहीं किया जाता है।

आरटीआई विशेषज्ञ सह झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुनील महतो ने कहा है कि झारखंड का यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें सूचना नहीं देने पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश आया है।

हालांकि, आईपीसी में ऐसा प्रावधान है, फिर भी पूर्व में किसी सूचनाधिकार कार्यकर्ता ने ऐसी पहल नहीं की थी। वैसे, राजेश मिश्र को भी सहजता से यह हासिल नहीं हुआ। उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। जिस तरह से राज्य सूचना आयोग पिछले दो वर्षों से डीफंक्ट है और सूचनाओं के प्रवाह पर ब्रेक लग गया है, उसे देखते हुए यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण है।

Related Articles

Back to top button
Ashoka Pillar of Vaishali, A symbol of Bihar’s glory Hot pose of actress Kangana Ranaut The beautiful historical Golghar of Patna These 5 science museums must be shown to children once