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बिहारशरीफ सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में पुलिस-कैदी का यह कैसा सुराज? देखिये वीडियो

कैमरे की जद में आई सारी सच्चाई। कैदी बनाते हैं खुद के सिलेंडर पर खाना। सिपाही ताड़ी संग उड़ाता है गांजा। हर हफ्ता 500 दीजिये और कोई भी मोबाईल रखिये। 

bihasarif hospital crimebihasarif hospital crime 2 बिहारशरीफ (न्यूज ब्यूरो टीम)। बिहारशरीफ सदर अस्पताल के कैदी वार्ड का नजरा देखिये। यहां पता नहीं चलता कि कौन पुलिस वाले हैं और कौन कैदी। यहां हर तरफ हर किसी का अपना सुराज नजर आता है।

इस मामले से जुड़े दो ताजा वीडियो क्लीप भी हमारी न्यूज ब्यूरो टीम के पास उपलब्ध है, जिसे हमारे एक खोजपरक संवाददाता ने बड़ी मुश्किल शूट कर सब कुछ दर्शाने का प्रयास किया है। उसे देख कर साफ प्रतीत होता है कि बिहारशरीफ सदर अस्पताल की कैदियों पर पुलिस-प्रशासन के लोग शायद कुछ ज्यदा ही मेहरबान हैं या फिर पूरी तरह से अनभिज्ञ।।

हमारे संवाददाता ने देखा कि सदर अस्पताल के इस कैदी वार्ड में जगह-जगह छोटे सिलेन्डर पर खाना बनाये जा रहे हैं। काफी देर वहां खड़े रहने से पता चला कि पुलिस वाले अराम फरमा रहे है और कैदी खाना बना रहे है।

इस बाबत पुछने पर पता चला कि ये खाना पुलिस और कैदी दोनो का है। एक कैदी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि यहा पांच पुलिस जवान तैनात हैं लेकिन, न तो वह सही से ड्यूटी करता है और नहीं कभी वे सब वर्दी में ही रहता है। वे प्रायः कैदी के बेड पर ही पड़े रहते हैं और बीमार कैदी से अपना ही सेवा कराते है। अपना देह-हाथ-पैर दबवाते रहते हैं।

पुछने पर उसने यह भी बताया कि यहां नशीले पदार्थ भी उपलब्ध रहते हैं। यहां एक सिपाही ही खुद झोला में ताड़ी और गांजा लेकर आता है और अपने सहपाठी कैदी के साथ बैठ कर बथारूम के पास पीते रहता है।

सहपाठी कैदी का तात्पर्य पुछने पर उसने बताया कि यहां प्रायः पुलिस वालों ने अपना एक-एक नौकर कैदी लोग को ही रख लिया है, उसी से वो लोग कैदी वार्ड का सारा काम कराते हैं।

फिर यह पुछने पर कि इस सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में तो बीमार कैदी होते हैं तो से काम कराने की शिकायत लोग क्यों नहीं करते।

इस बाब उस कैदी ने बताया कि “क्या शिकायत करे सर। एक बार सिर्फ काम करने से इन्कार करने पर मुझे रात मे नींद से उठा कर खूब मारा गया था बाथरूम के पास ले जाकर।”

एक और कैदी ने आगे बताया कि यहां हम लोग की औरत को अन्दर नही आने दिया जाता था, पर कुछ दिनों से कैदियों के औरत भी अन्दर आने लगी हैं। रात्रि के 9-10 बजे रात के बाद ऐसा नजारा आम होता है।

जाहिर है कि इन तथ्यों के साथ वीडियो क्लीप भी प्रसारित किये जा रहे हैं, जो यह साफ प्रमाणित करते हैं कि कैदी वार्ड में आसानी से मोबाईल का प्रयोग होता है। यहां कैदी के परिवार वालों से एक मोबाईल रखने की एवज में 500 रुपये प्रति माह वसूले जाते हैं।

बिहारशरीफ सदर अस्पताल के कैदी वार्ड का देखिये वीडियो…(1) 

बिहारशरीफ सदर अस्पताल के कैदी वार्ड का देखिये वीडियो…(2) 

 

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