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यूं खुले हैं प्रायवेट स्कूल और खुद के आदेश से मुंह चुरा रहे नालंदा डीएम

नालंदा जिले में डीएम ने भीषण गर्मी के मद्देनजर सभी सरकारी गैर सरकारी स्कूलों को 20 जून तक बंद रखने का आदेश दिया है। लेकिन विभिन्न क्षेत्रों से मिल रही सूचनाओं के मुताबिक प्रायः प्रायवेट स्कूलों ने डीएम के आदेश को ठेंगा दिखा रखा है। प्रशासनिक महकमा भी मूकदर्शक बना हुआ है। यहां तक कि खुद डीएम अपने आदेश की अवेहलना पर जबाब देने से मुंह चुरा रहे हैं।”   

गिरियक (निसार अंसारी)।  भीषण गर्मी को लेकर जिले के तमाम सरकारी एवं गैर सरकारी  स्कूलों को जिलाधिकारी ने 20 जून तक बन्द करने का आदेश जारी किया है। पहले 19 जून से स्कूल खोले जाने थे, लेकिन भीषण गर्मी को देखते हुए यह आदेश देकर सभी स्कूल को बंद करने को कहा गया।nalanda dm failuer education matter 3

इसके लिए निर्देश भी जारी कर दिए गए और समाचार पत्रों के माध्यम से यह जानकारी भी करा दी गयी। इसके बावजूद जिला के गिरियक प्रखंड में एक बार फिर कई निजी स्कूल पूर्वत की तरह खुली रही।

जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एस एम के निर्देश का प्रायवेट स्कूलों के संचालक खुले आम धज्जियां उड़ा रहे हैं।

गिरियक प्रखण्ड में कुकुरमुत्ते की उगे प्रायवेट स्कूलों में चोरसुआ पँचायत के चोरसुआ गांव में सरस्वती विद्या मन्दिर, बकरा में डिसेंट फेरी लैंड स्कूल सहित कई प्रायवेट स्कूलों के संचालक नालंदा डीएम के आदेश को धत्ता बताते हुये कहते हैं कि “हमें इससे क्या लेना देना है। हम गांव में हैं। मेरा तो निजी स्कूल है। हम इसे जब चाहें खोलें या बन्द करें। इसमें जिलाधिकारी हमें क्या निर्देश देंगे”।

साथ ही वे खुद इस बात स्वीकारोक्ति कर कहते हैं कि इस तरह जिला में और हमारे आस पास भी रोज स्कूल खुल रहे हैं।

बता दें कि कई स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास सरकारी नियमों के अनुरूप न जमींन और भवन है, न हीं बच्चों के लिए खास व्यवस्था है। फीस की बात की जाए तो वे मनमानी ढंग से भी वसूलते हैं। इसके बाद भी स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

इतना ही नहीं सभी ने सीबीएस के आधार पर शिक्षा दिए जाने की बात बोर्ड पर दरसा रखा है। लेकिन सीबीएस के आधार का हवाला देकर नियम कानून को ताक पर रखकर क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह स्कूल खोलकर अपना रोजगार चला रहे हैं और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। 

बहरहाल, गिरियक प्रखण्ड के साथ आस पास के क्षेत्रों में भी बेखौफ जिलाधिकारी के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए स्कूल संचालक अपने निर्धारित समय से बेखौफ होकर स्कूल खोले हुये हैं।

चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी में बच्चों को स्कूल आने पर मजबूर करते हैं। क्योंकि स्कूल खुले होने से गार्जियन के अंदर भी अपने बच्चों के प्रति सेलेबस छूट जाने का भय होता है और मजबूरन अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं।

बता दें कि कड़ाके की ठंड के दौरान भी इन स्कूलों के संचालकों ने जिलधाकारी के आदेशों का खुलेआम धज्जियां उड़ाई और बेखौफ स्कूल खोले रखे थे। इस बात की खबर जब स्थानीय पदाधिकारी को दी गयी तो वह जांच की बात कर उस समय भी कोई कार्रवाई नहीं कर सके जिससे संचालकों के मनोबल और ऊंचा है कि कोई क्या करेगा यह मेरा संस्थान है जैसे चलाएं।

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