“पीके उर्फ प्रशांत किशोर की इस प्रतिष्ठा से सीएम नीतीश कुमार की छवि पर असर साफ पड़ता दिख रहा है। जदयू के कमांडर इन चीफ की इन करतूतों पर किच-किच हो रही है। जदयू -भाजपा में ठन सी गई है। विपक्ष को सीएम नीतीश पर हमले के मौके मिल गया है….”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो )। पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव अब एनडीए के लिए सियासी मुद्दा बन गया है। छात्र संघ चुनाव को लेकर जेडीयू और बीजेपी आमने-सामने आ गई है। खासकर जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की भूमिका को लेकर बीजेपी के नेता लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं।
सोमवार देर रात तक एनडीए के दोनों पार्टियों में हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। आखिर में गेंद राज्यपाल के पाले में चला गया। जदयू को इस मामले में काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा।
बुधवार को पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव के लिए मतदान होना है। पटना विश्वविद्यालय के 14 मतदान केंद्र पर छात्र मतदान करेंगे।
पटना विश्वविद्यालय का चुनाव इस बार काफी अहम् और चर्चित दिख रहा है। सिर्फ एक व्यक्ति की वजह से जिन्हें राजनीति का ‘चाणक्य’ या फिर सोशल मीडिया का ‘बादशाह’ कहा जाता है। नाम है पीके उर्फ प्रशांत किशोर।
जदयू को पिछले विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखाने वाले पीके पिछले माह ही जदयू के सक्रिय सदस्य बने। सीएम नीतीश के बाद जदयू में उन्हीं की चलती दिख रही है।
फिलहाल प्रशांत किशोर छात्र जदयू के विश्वामित्र बने हुए हैं। पीके छात्र संघ के चुनाव में छात्र जदयू के वार रूम के सेनापति बने नजर आ रहे हैं।
कहाँ तो उन पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीताने की जिम्मेदारी सीएम नीतीश ने सौंपी थी। लेकिन अब लगता है कि पीके छात्र चुनाव को भी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रखे है।
पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव को लेकर सोमवार को जैसे ही चुनाव प्रचार थमा। जदयू के कंमाडर इन चीफ प्रशांत किशोर पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रासबिहारी सिंह से मिलने पहुँच गए। कुलपति के साथ उनकी मुलाकात छात्र संगठनों को हजम नहीं हुई।
एबीवीपी और भाजयुमो दोनों ने इस मुलाकात का विरोध शुरू कर दिया। फिर क्या था सोमवार देर रात तक पटना में सियासी हलचल मची रही। मामला राजनीतिक गलियारे से होते हुए राज्यपाल भवन तक पहुँच गया।
भाजपा के निशाने पर सीएम नीतीश तो रहे ही वही विपक्ष ने भी प्रशांत किशोर और जदयू पर हमला बोल दिया। राजद ने प्रशांत किशोर को ‘गुंडों का सरदार ‘ तक बता दिया। उधर केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने भी सीएम नीतीश पर तंज कसा।
जब जदयू की किरकिरी होता देख पार्टी की ओर से दावा किया जाता रहा कि वह आपदा प्रबंधन पर कोई बातचीत करने पहुंचे थे पीके। कुलपति की ओर से दावा किया गया कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि प्रशांत किशोर उनसे मिलने आने वाले हैं।
कई तरह की बातें हवा में तैर रही हैं। जिनमें कितना हकीकत और कितना फसाना है। यह तो जदयू और प्रशांत किशोर ही जानते हैं। कुलपति और प्रशांत किशोर की मुलाकात ने विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में कई कयासों को चर्चा में ला दिया।
छात्र संघों के नेताओं ने इसे किसी ईवीएम हैक की तरह इसे भी मैनेज्ड इलेक्शन बता रहे हैं। पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में जदयू पहले से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को लेकर विवाद में घिरी दिख रही थी। उपर से कुलपति और पीके की मुलाकात ने और विवाद खड़ा कर दिया।
बुधवार को पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के मतदान होना है। मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि जदयू के पीके का जादू चलेगा या फिर लूटिया डूबनी तय है।