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कोई एक पुलिया तक न बना सका मोहिउदीनपुर गांव में, बांस की चिचड़ी है सहारा

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“सागर मांझी, रामस्नेही यादव, देवीलाल यादव सहित दर्जनों ग्रामीण कहते हैं कि लिखित आवेदन देकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते थक गए हैं। सब केवल आश्वासन की घूंटी पिलाते हैं।”

nagarnaussa1नगरनौसा (लोकेश)। नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड क्षेत्र के मोहिउदीनपुर गांव में जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने एक अदद पुलिया का निर्माण नहीं करा पाये हैं। यहां आज भी बच्चे, बूढ़े, महिलाएं बाँस के चिचड़ी के सहारे जान जोखिम में डालने को विवश हैं। 

मोहिउदीनपुर गांव से होती हुई एक नहर गुजरी है, जिसकी उड़ाही कार्य दो वर्ष पूर्व में किया गया था। जिसके कारण गांव और ग्रामवासी दो भागों में विभक्त हो गए हैं। नहर उड़ाही के इतने दिन बीत जाने के बाद भी नहर पर आवागमन के लिए एक पुलिया तक का निर्माण नही किया गया है।

इसके चलते गांव के लोगों ने बांस के चिचड़ी से आवागमन का रास्ता तैयार किया, क्यूंकि इन्हीं रास्ते से होते हुए गांव के लोग कृषि कार्य, स्कूली बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं।

फजीहत की बात तब होती है कि जब बांस के निर्मित पुल धूप पानी खाये हुए अचानक टूट जाता है। कितने लोग तो गिर कर जख्मी भी हो चुके हैं।

मोहिउदीनपुर गांव की दुर्दशा किसी भी जनप्रतिनिधि से छुपी हुई नही है। अक्सर यह गांव अपनी अभी तक मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहने के कारण चर्चा में रहता है। कभी नाली, तो कभी गली, तो कभी रास्ता। लेकिन किसी अधिकारी ने यहां की समस्याओं की दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाये।

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