नीतीश सरकार और उसके नुमाइंदों को सिर्फ अपने बेटा-बेटी को चिंता है। उनके आगे पदाधिकारी भी कायदा-कानून की धज्जियां उड़ा दुम हिलाते हैं। इसकी पुष्टि भाजपा के विधायक अनील सिंह और नवादा सदर की हरकतों से साफ स्पष्ट होता है….
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। जदयू संग सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के हिसुआ विधायक अनिल सिंह राजस्थान के कोटा में फंसे अपने बेटा, बेटी और पत्नी को कोटा से वापस बिहार लाने में सफल हो गए। नवादा जिला प्रशासन ने उन्हें आने-जाने वाहन पास निर्गत किया था।
हालांकि वापस लौटने का एक एसडीओ स्तर का अफसर किस अधिकार से दे सकता है, यह बड़ा जांच का विषय है। क्या नेताओं के आगे ऐसे अधिकारी दुम हिलाते हैं, जबकि लोग लॉकडाउन में घरों में बंद हैं और कोटा में हजारों छात्र-छात्राएं फंसे है, जिसकी तत्काल वापसी से नीतीश सरकार साफ इंकार कर रही है।
नवादा सदर के अनुमंडल अधिकारी के आदेश से विधायक अनिल सिंह 16 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक प्रतिबंधित अवधि में कोटा में फंसे बेटे को लाने को लेकर आदेश लिया था।
इस मामले पर बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने बड़ी बेशर्मी से कहा कि मेरी बेटी कोटा में परेशान थी। मैं पहले बाप हूं, बाद में विधायक। इसलिए मैंने पिता का धर्म और कर्तव्य निभाया है।
विधायक को दी गई परमिशन में सदर एसडीओ के आदेश में लिखा गया- “विधायक अनिल सिंह के वाहन परिचालन की अनुमति लोगों के जानमाल की रक्षा के लिए इस शर्त के साथ आदेश दिया जाता है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन नवादा के द्वारा जारी निर्देश का अक्षरशः अनुपालन करेंगे। इसके साथ ही सभी व्यक्ति को मास्क लगाना अति आवश्यक है।”
बता दें कि कोटा में फंसे बिहारी छात्रों को वापस बिहार लाने का सीएम नीतीश कुमार ने यह कहकर विरोध किया था कि इससे लॉकडाउन का उद्देश्य सफल नहीं होगा। आज भी कोटा में बिहार के बहुतेरे छात्र फंसे हुए हैं लेकिन रसूखदार विधायक द्वारा अपने बेटे को कोटा वापस लाने पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
उधर, बीजेपी विधायक अनिल सिंह का कहना है कि वह जिला प्रशासन की अनुमति और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही अपनी बेटी को वहां से लाया हूं। सरकार की जिम्मेवारी पर अपने बच्चों को छोड़ने की जरूरत नहीं है, मैं एक बाप हूं और मैंने बाप की जो जिम्मेदारी होती है उसे निभाया है।