बिहार के उपमुख्यमंत्री पर दोहरे मतदाता पंजीकरण का सनसनीखेज आरोप
पटना (नालंदा दर्पण न्यूज)। बिहार की सियासत में एक बार फिर हंगामा मच गया है। इस बार निशाने पर हैं बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा।

दो विधानसभा क्षेत्रों में पंजीकरण, दो उम्रः तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में दावा किया कि विजय सिन्हा लखीसराय और पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। उनके पास दो अलग-अलग EPIC नंबर हैं एक लखीसराय विधानसभा क्षेत्र (लखीसराय जिला) में EPIC नंबर IAF3939337, मतदाता सूची के अनुभाग संख्या-1, क्रमांक 274 और दूसरा बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र (पटना जिला) में EPIC नंबर AF50853341, मतदाता सूची के अनुभाग संख्या-4, क्रमांक 757।
इसके अलावा बांकीपुर की जनवरी में प्रकाशित पुरानी मतदाता सूची में भी सिन्हा का नाम अनुभाग संख्या-4, क्रमांक 815 पर दर्ज है। चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों जगह उनकी उम्र भी अलग-अलग बताई गई है। लखीसराय में उनकी उम्र 57 वर्ष दर्ज है, जबकि बांकीपुर में 60 वर्ष। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या यह आयु घोटाले और फर्जीवाड़े का मामला नहीं है?
दोहरे मतदान का आरोपः तेजस्वी ने अपने पोस्ट में यह भी दावा किया कि विजय सिन्हा ने दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दो अलग-अलग गणना प्रपत्र (SIR फॉर्म) भरे और दोनों पर हस्ताक्षर किए।
इसका मतलब है कि उन्होंने जानबूझकर दो जगह मतदाता के रूप में पंजीकरण करवाया। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि अगर सिन्हा ने स्वयं दोनों जगह हस्ताक्षर नहीं किए तो क्या चुनाव आयोग ने फर्जी हस्ताक्षर के आधार पर उनके लिए दो वोटर आईडी बनाए?
इसके साथ ही दोनों विधानसभा क्षेत्रों की ड्राफ्ट मतदाता सूची में सिन्हा का नाम शामिल होने से सवाल और गहरा गया है। तेजस्वी ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग ने जानबूझकर बीजेपी समर्थकों के लिए इस तरह के दोहरे पंजीकरण को बढ़ावा दिया है?
चुनावी हलफनामे में बांकीपुर का जिक्रः तेजस्वी ने यह भी बताया कि विजय सिन्हा के चुनावी हलफनामे में केवल बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची के क्रमांक का ही उल्लेख है।
ऐसे में लखीसराय में उनका पंजीकरण और मतदान कैसे और क्यों हुआ? क्या वे दोनों जगह मतदान करते हैं? यह सवाल अब बिहार की जनता और विपक्ष के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है।
चुनाव आयोग पर सवालः तेजस्वी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या सिन्हा को इस दोहरे पंजीकरण के लिए दो अलग-अलग नोटिस जारी किए जाएंगे, या फिर चुनाव आयोग के नियम केवल विपक्षी नेताओं के लिए ही हैं?
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अगर बिहार का उपमुख्यमंत्री ही इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल है तो बीजेपी के आम कार्यकर्ताओं द्वारा की जाने वाली धांधलियों का स्तर क्या होगा?
सोशल मीडिया पर हंगामाः तेजस्वी के इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर #VoteChori हैशटैग ट्रेंड करने लगा। कई यूजर्स ने इसे बिहार में मतदाता सूची में धांधली का सबूत बताया।
कुछ यूजर्स ने लिखा कि यह मामला न केवल विजय सिन्हा, बल्कि पूरे बीजेपी नेतृत्व और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। हालांकि इस मामले में अभी तक विजय सिन्हा या बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
क्या कहता है कानून? भारत के निर्वाचन कानून के अनुसार, एक व्यक्ति का एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकरण अवैध है। दोहरे पंजीकरण और मतदान को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए कठोर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
अगर तेजस्वी के आरोप सही साबित होते हैं तो यह मामला न केवल सिन्हा के राजनीतिक करियर, बल्कि बिहार में बीजेपी की छवि को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
बहरहाल, इस मामले ने बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। विपक्षी दल इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर बीजेपी और विजय सिन्हा की ओर से इस मामले पर सफाई की उम्मीद की जा रही है।
चुनाव आयोग भी इस मामले की जांच कर सकता है, क्योंकि यह मतदाता सूची की विश्वसनीयता और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।
स्रोत: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तेजस्वी यादव के पोस्ट और संबंधित यूजर पोस्ट्स।



