रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज) । झाविमो में पार्टी का भाजपा विलय का विरोध कर रहे दोनों विधायक अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के रास्ते पर कानूनी अड़चन पैदा कर सकते है। इसको लेकर विधायक रणनीति बनाने में जुटे है….
झाविमो विधायक द्वय इसके लिए प्लॉट तैयार करना शुरू कर दिया है। राज्यसभा सांसद अमर सिंह के सपा से निष्कासन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आदेश देते हुए कहा कि कोई जनप्रतिनिधि निलंबित अथवा पार्टी से बाहर कि ये जाते हैं, तो भी उस पर 10वीं अनुसूची के कानून प्रभावी होंगे।
दूसरे दल में जाने के लिए 10वीं अनुसूची के तहत दो-तिहाई जीते हुए प्रतिनिधि का होना आवश्यक है। वह उस पार्टी से भले ही विमुक्त हो, लेकिन अपने मूल पार्टी से ही जुड़े होंगे।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि किसी जनप्रतिनिधि को दल से निष्कासित किया जाता है, तो वह उनके दल का मामला है। यह उस जनप्रतिनिधि और उनकी पार्टी का अंदरुनी मामला होगा। लेकिन 10वीं अनुसूची का मामला अलग है। यह सदन के अंदर मान्य ही होगा।
इस आदेश के अनुसार निलंबित या निष्कासित जनप्रतिनिधि के बाद भी दूसरे दल में जाने के लिए 10वीं अनुसूची के तहत दो-तिहाई जीते हुए प्रतिनिधि का होना आवश्यक है। ऐसे में इस आदेश को आधार बना कर मरांडी के अकेले भाजपा में जाने का रास्ता रोकेंगे।