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संदर्भ सुशांत-गौतम सुसाइडः सावधान, चेतना की हत्या का प्रोजेक्ट है न्यूज़ चैनल !

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“कभी न्यूज़ चैनल दर्शकों के ज्ञान क्षितिज को व्यापक करके उन्हें अधिकाधिक प्रबुद्ध बनाने का काम करता था। लेकिन आज न्यूज़ चैनल नई पीढ़ी को अपने मोह जाल में फांस लिया है। यह युवाओं के चेतना और बुद्धि की हत्या-आत्महत्या का प्रोजेक्ट बनता जा रहा है। युवा पीढ़ी के बालमन में इसके खबरों का साइड इफेक्ट्स देखा जा रहा है…

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किशोर छात्र गौतम का शव..

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ नेटवर्क डेस्क। कहने को न्यूज़ चैनल मनोरंजन और ज्ञान का उतम साधन है।  इसके माध्यम से देश-विदेश के समाचार मिलते हैं, समसामयिक क्रिया-कलापों पर परिचर्चा का लाभ मिलता है।

जब वर्ष 1990 के दशक में “रामायण”, “महाभारत” और ‘शक्तिमान’ जैसे धारावाहिक का प्रभाव अनगिनत बच्चों पर पड़ा। वर्तमान समय में न्यूज़ चैनलों पर चलने वाले खबर जब पढ़े-लिखे लोगों को गुमराह कर सकता है तो बच्चे आसानी से इनके जाल में फंस सकते हैं। 

फिल्म एक्टर सुशांत का शव..

अभिनेता सुशांत सिंह’राजपूत’ के आत्महत्या की   खबर को इतना मिर्च-मसाला का तड़का लगा कर पेश किया कि एक न्यूज़ चैनल पर मुकदमा भी हो गया। लगभग सभी न्यूज चैनलों ने सुशांत द्वारा फांसी लगाए जाने की घटना को इतना व्यापक बना दिया कि कैसे सुशांत ने फांसी का फंदा तैयार किया होगा, फंदे किस रंग के थे। आत्महत्या का एंगल किस से और कैसे जुट जा रहा है आदि। कयास कई लगाएं जा रहे हैं।

सुशांत सिंह जैसे लोग जब आत्महत्या करते हैं तो जल्द नतीजे पर पहुँचना आसान नहीं होता। लेकिन न्यूज़ चैनल ऐसा दिखाते हैं कि उनकी ही खबर सही है। जिसका प्रभाव किसी पर भी पड़ सकता है। खासकर बच्चों के मन पर। 

अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या की खबर का प्रभाव एक ऐसे बालमन पर पड़ा कि उसने सुशांत सिंह (न्यूज़ चैनल के अनुसार) की तरह ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

ताजा घटना नालंदा के नगरनौसा प्रखण्ड की है, जहाँ एक दसवीं की छात्र ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 

अभिनेता सुशांत सिंह की फांसी की खबर न्यूज़ चैनल पर देखकर नगरनौसा प्रखंड के लोदीपुर गाँव के एक छात्र गौतम कुमार इतना विचलित हो गया कि उसके मन मष्तिष्क पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि वह सोच में पड़ गया कि कोई फांसी से मर सकता है। उसकी चर्चा वह अपने परिजन और दोस्तों से भी करता रहा।

अभिनेता की मौत की खबर चैनलों पर देखकर वह सोच में पड़ गया कि कोई दिलखुश व्यक्ति फांसी पर लटक सकता है। वह इसी सोच में पड़ा हुआ था। 

कहने को गौतम पढ़ाई में अच्छा था। शाम में वह दोस्तों के साथ क्रिकेट भी खेल लेता था। सोमवार शाम को वह क्रिकेट खेलने के बाद घर आकर फिर से एक न्यूज़ चैनल पर सुशांत सिंह की ही खबर सुन उसने एक फिल्म ‘एमएस धोनी अनटोल्ड स्टोरी’ देखकर वह मंगलवार को सुबह गाँव के ही अपने निर्माणाधीन मकान में जाकर फांसी लगाने का ट्रायल करने की सोची। बस उसी भ्रमित सूचना की भावना में आकर कि कोई इस तरह फांसी लगाने से मर भी सकता है?

उसने फांसी का फंदा बिल्कुल वैसे बनाया जैसे न्यूज़ चैनलों में दिखाया गया। वह सिर्फ यह देखना चाहता था कि कोई फांसी से कैसे मर सकता है। उसके बालमन ने यह नहीं सोचा कि वह फांसी का ट्रायल कर रहा है या फिर  अपनी अर्थी तैयार कर रहा है।

गौतम की आत्महत्या की वजह सुशांत सिंह राजपूत का फैंस होना बताया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह नहीं है। वह अपना ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर लगाता था। उसके पास मोबाइल फोन भी नहीं था।

वह न्यूज़ चैनलों पर सुशांत सिंह की आत्महत्या की खबर को देखकर वह सोच में पड़ गया कि कोई व्यक्ति फांसी से कैसे मर सकता है। इसी को वह ट्रायल करना चाहता था। जिसमें उसकी जान चली गई। 

सवाल यह है कि न्यूज़ चैनल किसी खबर के खबर के नाम पर परोस क्या रहा है। लोगों को सूचना विहीन कर दिया जा रहा है। आत्महत्या, हत्या, बलात्कार, वीभत्स यही सब न्यूज़ चैनल में परोसा जा रहा है। किसी खबर को दिन रात चलाकर दर्शकों को गुमराह कर रहा है। 

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