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    Friday, April 19, 2024
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      एक-एक कर बिहार से सब केंद्रीय संस्थान यूं हो जायेंगे ओझल

      वर्षों पहले एक सिनेमा आई थी ‘धरम-करम’।  उसका एक गाना ‘इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल कोई निशानी छोड़’।  मजरूह सुल्तानपुरी का यह गाना बिहार के केन्द्रीय इमारतों और संस्थानों के लिए बदल गया लगता है। बिहार से एक-एक कर सारे केंद्रीय संस्थान विदाई लेता दिख रहा है

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क ब्यूरो)। सूचना है कि एशिया की सबसे बड़ी रेल कोच कारखाना अब बिहार से विदा होने वाला है। यह ‘नबाबो का शहर ‘लखनऊ की शान बनने वाला है। बिहार के लिए मुंगेर का जमालपुर जो भारत का पहला रेल कारखाना था वह अब निशानी बन जाएगा।

      कभी वायसराय लार्ड डलहौजी जमालपुर को कलकत्ता से पहले देश की राजधानी बनाना चाहते थे, लेकिन गंगा नदी पर बंदरगाह का लोचा सामने आ गया। आज उसी जमालपुर को वीरान करने की योजना है।bihar cm nitish kumar PM MODI ACTION 1

      इस देश में इमारतें बेचने और शिफ्ट करने के धंधे में सियासत लगी हुई है। जिनकी नजरें अब बिहार पर है। जहाँ पिछले 15 साल में एक सूई का कारखाना तो नहीं लगा लेकिन जो कारखाने हैं वो भी बिहार से ओझल हो रहा है। अब इसे लखनऊ शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है।

      उधर बिहार में इसे लेकर सियासत तेज है। बीजेपी वाले चिमाई साधे हुए हैं तो जदयू-राजद विरोध में खड़े हैं, वहीं कांग्रेस सीएम नीतीश कुमार से  सवाल कर रही हैं, जनाब इससे पहले आपने क्या कर लिया क्या रोक दिया।

      पिछले साल बिहार के गया से ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) देहरादून चला गया। मुजफ्फरपुर और मोकामा का भारत वैगन कारखाना पिछले पाँच साल से बंद पड़ा हुआ है। रेलवे का इंक्वायरी सेंटर कोलकता शिफ्ट कर दिया।

      वही पटना सीडीए का कार्यालय कोलकता के अधीन हो गया।तो पूर्णिया एसबीआई रिजनल कार्यालय बंद हो गये। इसके अलावा दर्जनों केन्द्रीय उपक्रम या तो बिहार से बाहर रवाना कर दिये गये या फिर बंद हो गये। वहीं हालत राष्ट्रीय राज्य मार्ग की रही जिसकी चर्चा करना बेमानी है।

      जब पीएम पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में आएं थे, सीएम नीतीश कुमार को बड़ी उम्मीद थी पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा पीएम देंगे, लेकिन पीएम ने पटना विश्वविद्यालय की स्थिति पर ही सवाल उठा दिया। जबकि इसके लिए संसद में शोर भी उठा।

      केंद्र सरकार एक-एक कर बिहार के सारे उपक्रम को बिहार से बाहर कर देने की हुक्म मिल रहा है। बिहार से कई उपक्रम चले भी गये। बिहार की डबल इंजन की सरकार है। एक इंजन केंद्र में हैं, जो दूसरी डबल इंजन सरकार के नागरिकों को हर बार कोई न कोई जख्म दे ही देती है। अब कौन पूछे और क्या -क्या शिफ्ट करने की योजना है।

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