एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ नेटवर्क। यह तस्वीर एक शासन प्रशासन के हाकिमों के बर्बर , बेशर्म और बदमिजाज हो जाने की है। चार पुत्र,पत्नी और दो बहू के साथ 85 वर्षीय मां के साथ छोटे छोटे चार बच्चे बिलखते हुए अपने समाज पर समाज के के मुकद्दर पर और मुकद्दर के मुश्तबिल पर रो रहें थे। इनके रोते चेहरे इनके सुरों में बेदर्द हाकिमों के बुजदीली बयां कर ही है।
बताते चलें कि मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के चंडी प्रखंड मुख्यालय अवस्थित बस स्टैंड के पास मुहाने नदी को अतिक्रमण मुक्त करने के नाम पर स्थानीय प्रशासन का बुलडोजर गरीब दुकानदारों पर चला।
बुलडोजर की हर एक चोट गरीबों के दिल पर चोट कर रही थीं। बुलडोजर सिर्फ गरीबों की दुकानों पर ही नहीं चली। बल्कि इसके जद में समाचार पत्र बिक्रेता लक्ष्मी प्रसाद भी आए, जो पिछले पांच दशकों से ज्यादा समय से अपने आशियाने को बचाने में लगें हैं।
सुबह से अपने आशियाने को टूटने की खबर से पूरा परिवार सदमे में हैं।घर वालों का रो रोकर बुरा हाल हो गया। उनकी पत्नी, बहूएं और बेटे अधिकारियों से मिन्नत करते रहे कुछ मोहलत मिल जाएं, ताकि वे अपने लिए नया आशियाना ढूंढ लें।
लेकिन बेदर्द हाकिमों के दिल बच्चों के करूण रूंदन से भी नहीं पिघली। बच्चो के रोते बिलखते चेहरे देखकर हर कोई यहां तक कि चट्टानों की रूहें भी कांप उठे। लेकिन मैडम चंडी सीओ कुछ और ही मिट्टी की बनी थी। नहीं पिघलना था, नहीं पिघली।