अन्य
    Saturday, April 20, 2024
    अन्य

      नालंदा ADM राजगीर CO को दे रहे डेट पर डेट, बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी !

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज / मुकेश भारतीय । राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि के बड़े अतिक्रमणकारियों को हाई लेवल का प्रोटक्शन देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि एक तरफ जहां प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर के आदेश के बाद जहां गरीब व कमजोर लोगों के आशियाने को बुल्डोजरों तले रौंद दिया गया।

      वहीं दूसरी तरफ सत्ता-प्रशासन संरक्षित बड़े भू-माफियाओं के आलीशान भवनों, होटलों आदि को स्थानीय न्यायालय के उस आदेश के आलोक में छोड़ दिया गया, जो प्रमाणिक तौर पर जिम्मेवार अफसरों की लापरवाही या फिर मिलीभगत का ही नतीजा था

      उपलब्ध दस्तावेजों से साफ जाहिर है कि न्यायालय में मलमास मेला सैरात भूमि को लेकर कभी किसी अधिकारी या उनके प्रतिनिधि ने कोई प्रतिकार ही नहीं किया। जबकि इस भूमि की बन्दोबस्ती,दान या खरीद-बिक्री का अधिकार राज्य के साथ केन्द्र सरकार को भी नहीं है।

      बहरहाल, राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि से जुड़ी एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। नालंदा अपर समाहर्ता के यहां दायर जमाबंदी रद्दीकरण वाद संख्या- 70/2017 में राजगीर अंचलाधिकारी ने लगातार पांचवी बार अपना पक्ष नहीं रखा है। उनकी इस लापरवाही के लिये अपर समाहर्ता ने भी विधिसम्मत कार्रवाई करने के बजाय वेबजह तारीख पर तारीख की मुद्रा अपनाये हैं। जोकि उनकी न्यायप्रियता पर भी सबाल खड़े करते हैं।

      जमाबंदी रद्दीकरण के इस मामले में दो रोचक पहलु जुड़े हैं……

      पहला, मलमास मेला सैरात  भूमि पर अवैध ढंग से निर्मित एक चर्चित गेस्ट हाउस से जुड़ा है। राजगीर अंचाधिकारी द्वारा जहां एक निवेदन में जमाबंदी रद्द करने को लिखा जाता है, वहीं दूसरे उनुरोध में जमाबंदी के नवीकरण की अनुशंसा की जाती है।

      दूसरा, जमाबंदी रद्दीकरण वाद संख्या- 71/2017 के मामले में भी अपर समाहर्ता नालंदा ने कार्यालय पत्रांकः 3435 दिनांकः 26-08.2017 से यह स्पष्ट पूछा है कि सरोजिनी देवी के शिवकुमार उपाध्याय कौन है। इसका जबाव देने के लिये राजगीर अंचलाधिकारी आज तक उपस्थित नहीं हो सके हैं।

      इस संबंध में नालंदा भूमि अपर समाहर्ता ने भी एक्सपर्ट मीडिया न्यूज  के साथ बातचीत के क्रम में राजगीर अंचलाधिकारी का बचाव करते दिखे। उनका कहना था कि इसमें सीओ की प्रशासनिक व्यस्तता दिखती है। जिला से उन्हें जिस तरह से कार्य दिशा-निर्देश मिलते है, उस  कारण वे नहीं उपस्थित हो रहे होगें। आगे वे इस मामले को गंभीरता से देखेगें।

      उधर राजगीर अंचलाधिकारी ने संपर्क साधने पर कहा कि अभी वे पटना प्रशिक्षण में आये हुये हैं। मामले की विशेष जानकारी उन्हें नहीं है। जिला कार्यालय पहुंच कर पता लगाने के बाद  ही कुछ बता पायेगें।  

      पहली तिथिः 16/08/2017   आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश आदेश का विवरण: निदेशानुसार सुनवाई की अगली तिथि दिनांकः 22/08/2017 को निर्धारित की गई है।

      दूसरी तिथिः 22/08/2017 आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश आदेश का विवरण: निदेशानुसार सुनवाई की अगली तिथि दिनांकः 30/08/2017 को निर्धारित की गई है।

      तीसरी तिथिः 30/08/2017   आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश आदेश का विवरण: निदेशानुसार सुनवाई की अगली तिथि दिनांकः 08/09/2017 को निर्धारित की गई है।

      चौथी तिथिः 08/09/2017   आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश आदेश का विवरण: निदेशानुसार सुनवाई की अगली तिथि दिनांकः 12/09/2017 को निर्धारित की गई है।

      पाचवीं तिथि- 12/09/2017  आदेश का प्रकार- अन्तरिम आदेश आदेश का विवरण: निदेशानुसार सुनवाई की अगली तिथि दिनांकः 19.09.2017 को निर्धारित की गई है।

      अपर समाहर्ता, नालंदा द्वारा तय उपरोक्त किसी भी तिथि को प्रतिवादी अंचलाधिकारी, राजगीर की ओर से स्वंय उपस्थित होकर या अपने समर्थ प्रतिनिधि द्वारा कोई पक्ष नहीं रखा गया है। फिर भी उन्हें कारण पृच्छा के बजाय तारीख पर तारीख दी जा रही है, ताकि इस मामले से जुड़े भू माफिया लोग अपनी उल्लू सीधा कर सकें। हालांकि, यहां पर यह कहावत पूर्णतः सटीक बैठती है कि बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी !

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!