“वैसे केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश पर तमाम जिला प्रशासन और शहरी व ग्रामीण निकायों को सख्त निर्देश है कि लॉक डाउन की अवधि में एक भी व्यक्ति भूखा ना रहे इसका ध्यान रखा जाए। झारखंड सरकार भी लगातार दावा कर रही है कि पूरे राज्य में कहीं कोई भूखा नहीं सो रहा है, लेकिन इन सबसे इतर आदित्यपुर नगर निगम की स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती नजर आ रही है…”
सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। कोरोना के संक्रमण को रोकने को लेकर देश 21 दिनों के लॉक डाउन पर है। जिसका आज 11वां दिन है।
इधर बीते कल जहां आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड 12 और 13 में पोस्टरबाजी कर लोगों ने पार्षद और स्थानीय विधायक के खिलाफ नाराजगी प्रकट की थी। वहीं आज निगम क्षेत्र के वार्ड 27 के लोग पेट की भूख को बर्दाश्त न कर सके और सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखते हुए अपने- अपने घरों से निकल पड़े पेट की आग बुझाने।
ये सभी दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनके घरों में पिछले एक सप्ताह से चूल्हा नहीं जला है। दूसरों के रहमों करम पर पेट कितना दिन चले, ये बड़ा बड़ा सवाल है। वैसे आज इनका संयम जवाब दे गया और सभी अपने घरों से निकल पड़े आदित्यपुर नगर निगम के मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव की की हवेली की तरफ।
वैसे तो मेयर हर दिन 500 जरूरतमंदों को खाना खिलाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जैसे ही पेट की आग लिए ये दिहाड़ी मजदूर जिनमें महिला, पुरुष, बच्चे- बुजुर्ग सभी शामिल थे, मेयर की कोठी पर पहुंचे कि मेयर आग बबूला हो उठे और सभी को बीमारी लेकर आने वाला बताते हुए पुलिस बुलवाकर मौके से भगा दिया।
मेयर ने इन लोगों को कहा अगर दोबारा इधर आओगे तो जेल भिजवा दूंगा। लाचार बेबस भूखे गरीब दिहाड़ी मजदूर अपनी बदहाली के आंसू दामन में समेटे वापस लौट गए। हालांकि इनकी आंखों में प्रतिशोध और पश्चाताप साफ झलक रही थी।
इन्होंने साफ कर दिया है कि वे अपने घर के मेयर नहीं, बल्कि हमारे मेयर हैं, इसका जवाब उनसे आने वाले दिनों में लिया जाएगा। वैसे इस मामले में इनके स्थानीय पार्षद की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
बताया जाता है कि निगम क्षेत्र के सभी वार्ड पार्षदों को साढे तीन क्विंटल अनाज उपलब्ध कराया गया था, ताकि जरूरतमंद लोगों को दिया जा सके, लेकिन पार्षद ने बीमारी का बहाना बनाकर लोगों से मिलने से इंकार कर दिया। ऐसे में ये गरीब जाए तो कहां, फरियाद लगाएं तो कहां।
बेरहम पुलिस भी मेयर के कहने पर इन लोगों पर सख्ती बरतती नजर आई। ऐसे में सरायकेला-खरसावां जिला पुलिस की अक्षया योजना के तहत गरीबों को मुफ्त भोजन कराए जाने का दावा भी खोखला ही नजर आया।
वहीं इन दिहाड़ी मजदूरों ने साफ कर दिया है कि अगर कल तक इन्हें इनके लिए भोजन- पानी का प्रबंध नहीं होता है तो ये सड़कों पर बैठ जाएंगे। वैसे इन चेहरों की बेबसी निश्चित तौर पर ऐसे विषम परिस्थितियों में आपको भी सोचने को मजबूर कर देगी।
साथ ही सरकार, सरकारी तंत्र और जरूरतमंदों की सेवा करने वाले तमाम स्वयंसेवी संगठनों को भी आईना दिखाने के लिए यह तस्वीर काफी है।