मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? मैं चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन ? बात छोटी सी लगा लोगे दिल से, तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ? दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर, सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ? न मैं राजी, न तुम राजी, फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ? डूब जाएगा यादों में दिल कभी, तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ? एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी, इस अहम् को फिर हराएगा कौन ? ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ? फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ? मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें…. तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?
कुछ हँस के बोल दिया करो, कुछ हँस के टाल दिया करो, यूँ तो बहुत परेशानियां है तुमको भी मुझको भी, मगर कुछ फैंसले वक्त पे डाल दिया करो, न जाने कल कोई हंसाने वाला मिले न मिले.. इसलिये आज ही हसरत निकाल लिया करो ! हमेशा समझौता करना सीखिए.. क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते को हमेशा के लिए तोड़ देने से बहुत बेहतर है । किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही हक से रूठना भी आना चाहिए ! अपनो की आँख का पानी धीरे से पोंछना आना चाहिए ! रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा मान अपमान ?