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    Friday, April 19, 2024
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      विडम्बनाः इधर अपनों से नहीं मिला कंधा, उधर मुस्लिमों ने उठाई हिंदू महिला की अर्थी

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। इस वैश्विक कोविड-19 संक्रमण बीमारी ने व्यवस्था के साथ सामाजिक ताना-बाना और मानवता को भी झकझोर कर रख दिया है। गोला में जहां एक प्रवासी मजदूर के शव को कंधा तक नसीब नहीं हुआ, वहीं रामगढ़ में मुस्लिम समाज के लोगों ने एक महिला की अर्थी उठा पूरे हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार को अंजाम देकर मिसाल कायम की।

      covid 19 efect fact 1खबर है कि गोला प्रखंड में बरलंगा थानार्गत नावाडीह कादलाटांड़ में एक मार्मिक दृश्य सामने आया। जब एक प्रवासी जितेंद्र के शव को चार कंधे भी नसीब नहीं हुए। परिजनों ने ठेले पर शव को श्मशान घाट पहुंचाया।

      एक हजार से अधिक आबादी वाले गांव में एक प्रवासी मजदूर को कोरोना के भय से किसी ने कंधा देना मुनासिब ना समझा। विवश होकर मृतक के भाई और उनके दो मामा कुल तीन लोग ठेले पर शव को लाद कर श्मशान घाट पहुंचे।

      यहां तक प्रवासी मजदूर को मुखाग्नि भी नसीब नहीं हुआ। जेसीबी से गड्ढा खोदकर शव को दफना दिया गया। यह पूरी घटना इतनी हृदय विदारक थी कि लोगों की आंखें छलक आई।

      कहा जाता है कि नावाडीह गांव निवासी प्रवासी मजदूर जितेंद्र साहू ने शुक्रवार को समाज और परिजनों से उपेक्षित होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पोस्टमार्टम के बाद मृतक का बड़ा भाई उमेश्वर साव भाई का शव लेकर गांव पहुंचा, तो काफी रात हो चुकी थी।

      सुबह दस बजे तक उमेश्वर गांव के लोगों का इंतजार करता रहा। लेकिन शव को देखने तक कोई नहीं पहुंचा। वह अर्थी उठाने के लिए लोगों को पैसे भी देने को तैयार था। लेकिन जितेंद्र की अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोई नहीं आया।

      covid 19 efect fact 3उधर, मुस्लिम समाज के लोगों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल प्रस्तुत करते हुए एक हिन्दू महिला (55 वर्ष) का हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया। जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।

      खबर है कि रामगढ़ नगर के दुसाध मुहल्ला निवासी सूबेदार नामक व्यक्ति की पत्नी का अचानक स्वर्गवास हो गया।लॉकडाउन होने के कारण सूबेदार का कोई रिश्तेदार अंतिम संस्कार के लिए शाम तक नहीं पहुंच सका।

      अंत में मुहल्ले के मुस्लिम युवकों ने मृतक महिला के अंतिम संस्कार करने का बेड़ा उठाया।

      युवकों ने शव यात्रा की पूरी तैयारी की। इसके बाद युवकों ने सूबेदार और उसके एक बेटे के साथ अपने कंधों में महिला की अर्थी को उठाकर दामोदर नदी पहुंचे। यहां उन्होंने हिन्दू रीति रिवाज के साथ महिला का अंतिम संस्कार किया।

      इस उल्लेखनीय काम में मो शाहनवाज, मो आदिल, मो आशिक, मो सन्नी, मो इमरान सहित अन्य युवकों ने सहयोग किया।

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