#COVID-19 : प्रशासनिक चुप्पी पर मीडिया ने लगाया अफवाहों का तड़का

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सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड प्रांत के सरायकेला-खरसावां जिले के उपायुक्त द्वारा मीडियाकर्मियों को कोरोना संक्रमित के संबंध में सही जानकारी नहीं देने से एक बार फिर से जिले में संक्रमित मिलने कीअफवाहों को लेकर लोगों में भय की स्थिति है। हर चौक-चौराहों और नुक्कड़ों पर तरह- तरह की अफवाओं से लोग सहमे नजर आए।

वैसे जिला प्रशासन के सस्पेंश पर स्थानीय अखबार ने मुहर लगाकर सरायकेला के आदित्यपुर के लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया। बचाखुचा कसर जिला पुलिस  के अचानक क्षेत्र में सरगर्मी ने पूरा कर दिया।

दरअसल यह पूरा मामला अफवाहों पर ही आधारित है। बताया जाता है, कि आदित्यपुर के एक डाइबेटिक मरीज पिछले चार- पांच दिनों से  बीमार चल रहे थे, जिन्हें टाटा मुख्य अस्पताल में भर्ती कराया गाय था। जहां उन्हें  कोविड वार्ड में जांच को लेकर शिफ्ट किया गया।

वैसे निजी अस्पताल किसी भी गम्भीर रूप से बीमार मरीज का सबसे पहले कोविड- 19 की जांच कराते हैं, रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की जांच करते हैं। वैसे रिपोर्ट आने तक मरीज को संदिग्ध माना जाता है। यही इस मामले में भी हुआ। कुछ लोगों ने इसकी अफवाह उड़ा दी कि बीमार व्यक्ति में कोरोना पॉजेटिव के लक्षण पाए गए हैं।

दरअसल टाटा मुख्य अस्पताल में आदित्यपुर के कुछ स्वास्थ्यकर्मी काम करते हैं, आशंका जताई जा रही है कि उन्हीं में से किसी ने इसकी जानकारी कुछ लोगों को दी, जिसके बाद इलाके के लोगों में भय घर कर गया। रहा-सहा कसर एक स्थानीय अखबार और जिला पुलिस के अचानक क्षेत्र में बढ़े हलचल ने पूरा कर दिया।

हालांकि जिला प्रशासन की ओर से इसकी पुष्टि अबतक नहीं की गई है। उधर जिला सर्विलांस टीम द्वारा बीमार व्यक्ति के परिवार को होम क्वारेंटाइन कर दिया गया। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों की जांच कराई गई।

वैसे परिवार में सभी के रिपोर्ट निगेटिव आए हैं। स्थानीय अखबार ने जो किया उससे वैश्विक संकट के इस दौर में हर कोई पीड़ित परिवार को संदेह की निगाह से देखने पर मजबूर हो गया। अखबार ने कोविड 19 के तहत प्राइवेसी नियम का उल्लंंघन करते हुए सीधे तौर पर पीड़ित व्यक्ति के संस्थान का नाम दर्शाते हुए स्थान को बदनाम करने का काम किया गया है।

रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया है कि पीड़ित व्यक्ति सहारा इंडिया का एजेंट है, औऱ वह सहारा के एक कार्यक्रम में  शामिल होकर लौटा था।  वैश्विक संकट के इस दौर में सहारा क्या किसी भी संस्थान में किसी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन प्रतिबंधित है। हर संस्थान में जूम एप वगैरह के माध्यम से मीटींग्स लिए जा रहे हैं।

ऐसे में कार्यक्रम का सवाल ही नहीं उठता। वैसे भी संस्थान का नाम देने से पहले रिपोर्टर को संस्थान के संबंधित अधिकारियों से पुष्टि कर लेनी चाहिए थी। साथ ही जिलाधिकारी का भी इस संबंध पक्ष होना निहायत ही जरूरी था। वैश्विक महामारी के इस दौर में आप किसी संस्थान को सीधे कटघरे में खड़ा नहीं कर सकते।

हद तो ये है, कि रिपोर्टर के खबर पर अखबार के डेस्क ने भी इस तकनीकी भूल पर किसी प्रकार का पड़ताल करना जरूरी नहीं समझा।  वैसे सरायकेला जिलाधिकारी इससे पूर्व जिले के एक रिपोर्टर के विरूद्ध अफवाह फैलाने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के मामले में कार्रवाई कर चुके हैं।

जबकि उस रिपोर्टर ने जिले के उपायुक्त से संक्रमित के संबंध में पुष्टि किए जाने को लेकर उपायुक्त के साथ बातचीत की ऑडियो आईपीआरडी ग्रुप में ही वायरल किया था। इस अखबर ने तो भ्रामक खबर छाप दिया वो भी बगैर किसी आधिकारिक पुष्टि के। क्या  जिलाधिकारी को इस रिपोर्ट में ऐसा नहीं लगता कि किसी संस्थान को बदनाम करने की नीयत से दुर्भावना से ग्रसित होकर इस तरह की रिपोर्ट बनाई गई है।

वैसे इसको लेकर हमने सहारा के अधिकारियों से संपर्क किया। जहां सहारा के अधिकारियों ने पिछले 10 दिनों से एजेंट के बीमार होने की बात कही गई। साथ ही पिछले 21 मार्च से लेकर अबतक किसी भी प्रकार के कार्यक्रम से साफ इंकार किया गया।

सहारा के अधिकारी ने बताया कि इस रिपोर्ट से सहारा के हजारों कार्यकर्ता हैरान है। साथ ही उनके व्यवसायिक गतिविधियों पर भी इस रिपोर्ट का प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं को सम्मानित जमाकर्ता शक की निगाह से देख रहे हैं।

उन्होंने बताया कि उच्च प्रबंधन इसको लेकर गंभीर है। वैसे जिलाधिकारी को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। वहीं आदित्यपुरवासियों के लिए मामला और पैनिक उस वक्त हो गया, जब राज्य पुलिस महानिदेश के निर्देश पर राज्यभर के पुलिस द्वारा सघन जांच अभियान चलाया गया। जिसके तहत गली- नुक्कड़ों पर पुलिस द्वार जांच कर लोगों को मास्क पहनने और वाहनों पर तय लोगों के साथ ही सफर करने को लेकर जागरूक किया गया।

इसको लेकर आदित्यपुर के लोगों को लगा कि वाकई में आदित्यपुर में कुछ हुआ है। इस संबंध में सिविल सर्जन ने बताया कि मरीज डाइबेटिक हैं, उनका रिपोर्ट संदेहास्पद आया है, लेकिन टाटा मुख्य अस्पताल प्रशासन की ओर से पुष्टी नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि मरीज का दुबारा सैंपल लिया गया है,  रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

उन्होने बताया कि मरीज के परिवार के किसी भी सदस्यों  में किसी तरह के लक्षण नहीं पाए गए हैं, लेकिन एहतियात के तौर पर सभी को होम क्वारेंटाइन किया गया है। उन्होंने अफवाहों से बचने की अपील की है।

चलिए थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाए कि खबर सही थी, तो क्या जिस तरह से खबर को परोसा गया। क्या राष्ट्रीय आपदा अधिनियम के तहत पीड़ित व्यक्ति का नाम और उसके संस्थान अथवा क्षेत्र का नाम सावर्जनिक करने की अनुमति दी जाती हैं ?

इस तरह के भ्रामक खबरों को लेकर अखबारों और मीडिया संस्थानों को गम्भीरता दिखानी चाहिए। ऐसे रिपोर्ट से मरीज और उनके परिवार का मनोबल प्रभावित होता है। उसमें अगर संदिग्ध के कार्यस्थल का ज़िक्र कर दिया जाए वो भी भ्रामक तो मामला और गम्भीर हो जाता है।

बताया जाता है कि सहारा के कार्यकर्ताओं में उक्त अखबार में छपी रिपोर्ट को लेकर आक्रोश है और शोषल मीडिया पर सहारा के कार्यकर्ताओं ने अखबार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। दरअसल इसके लिए स्थानीय प्रशासन की संवादहीनता और  संक्रमितों की जानकारी छिपाने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

दिनभर तरह तरह की अफवाहों से परेशान रहे आदित्यपुरवासीः

उधर संदिग्ध कोरोना मरीज के पाए जाने की अपुष्ट खबरों के बीच दिनभर दित्यपुरवासी परेशान नजर आए। जबकि जिस संदिग्ध के परिवार की बात की जा रही है, स्वास्थ्य विभाग की ओर से कल ही पूरे परिवार को होम कोरेंटिन में रहने की नसीहत दी गई है। वैसे संदिग्ध के परिवार के सभी सदस्यों के रिपोर्ट नेगेटिव आए हैं।

दिन भर उड़ते अफवाहों के बीच यह कहा जा रहा है कि आरआईटी पुलिस द्वारा संदिग्ध परिवार के घर के आसपास के इलाके को सील कर दिया गया है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। क्षेत्र में जनजीवन सामान्य है और सभी गतिविधि सुचारू रूप से संचालित हो रहे हैं।

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ नेटवर्क तमाम लोगों से अपील करती है कि कोरोना को लेकर अफवाहों से बचें। सामाजिक दूरी का सख्ती से खुद भी पालन करें और अपने आसपास के लोगों से भी सख्ती से इसे पालन करवाने में जिला प्रशासन की मदद करें।

कोरोनावायरस को फैलने से रोका जा सकता है। इस बात का विशेष ख्याल रखें कि संदिग्ध आपके और हमारे बीच का ही एक सदस्य है, और भूलवश उसमें इसके लक्षण पाए गए हैं। उनका सम्मान करें। उनके परिवार को हौसला दें न कि उनसे आत्मीय दूरी बनाएं।