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सीओ खुद बना माफियाः जमीन फर्जीवाड़े का गढ़ है कांके अंचल कार्यालय

झारखंड अंगेस्ट करप्शन के राष्ट्रीय अध्यक्ष दुर्गी उरांव का कहना है कि रांची जिले में जमीन फर्जीवाड़े का यह मामला अब एक गंभीर चुनौती बन चुका है। अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया, तो न केवल आम रैयतों का नुकसान होगा, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे। उपायुक्त और संबंधित अधिकारियों को इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी होगी, ताकि भू-माफियाओं और दलालों के इस नेटवर्क को तोड़ा जा सके। श्री उरांव ने यह भी कहा कि वैसे अनेक मामले को लेकर जल्द ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी...

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। रांची जिले का कांके अंचल कार्यालय इन दिनों भू-माफियाओं और जमीन दलालों का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है। सूत्रों के अनुसार यहां आम रैयती जमीनों का फर्जी दाखिल-खारिज धड़ल्ले से किया जा रहा है और इसके लिए ऑनलाइन लगान रसीद भी निर्गत की जा रही है।

चौंकाने वाली बात यह है कि इस फर्जीवाड़े में कांके अंचल कार्यालय के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आ रही है। जांच-पड़ताल में यह संकेत मिलता है कि इस गोरखधंधे का मुख्य सरगना कोई और नहीं, बल्कि खुद अंचलाधिकारी बना बैठा है।

कांके अंचल कार्यालय में जमीन से संबंधित फर्जीवाड़े का मामला कोई नया नहीं है। हाल के महीनों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कांके के चामा गांव में लोगों की जमीन पर जबरन कब्जे के मामले में ईडी ने अंचल कार्यालय के दस्तावेजों की गहन जांच की थी। इस दौरान कई फर्जी दस्तावेज जब्त किए गए और अंचलाधिकारी जय कुमार राम से लंबी पूछताछ भी हुई। जय कुमार राम ने अपनी संलिप्तता से इंकार करते हुए जिम्मेदारी अपने कनिष्ठ कर्मचारियों पर डाल दी, लेकिन उनकी इस सफाई पर सवाल उठ रहे हैं।

अंचलाधिकारी जय कुमार राम का बयान: “जमीन का फर्जी निबंधन, दाखिल-खारिज, और ऑनलाइन रसीद का निर्गमन पूरे रांची जिले में हो रहा है। कांके अंचल में भी यह हो रहा है। राजस्व कर्मचारी और अंचल निरीक्षक जैसी रिपोर्ट देते हैं, उसी आधार पर काम होता है।”

जमीन दलालों का बढ़ता मनोबलः

हेमंत सोरेन के दोबारा झारखंड के मुख्यमंत्री बनने के बाद जमीन दलालों का मनोबल बढ़ा हुआ प्रतीत होता है। सूत्रों का कहना है कि कुछ राजस्व कर्मचारियों और दलालों की मिलीभगत से रैयती जमीनों को गलत तरीके से हस्तांतरित किया जा रहा है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन की प्रकृति बदल दी जाती है, और फिर उसे दाखिल-खारिज कर बेच दिया जाता है। इससे असली मालिकों को न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि उनकी पुश्तैनी जमीन भी छिन रही है।

पिछले कुछ वर्षों में रांची में जमीन घोटाले के कई मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, कांके के ही छेढ़ी मौजा में खाता नंबर 3, 4, और 5 की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हड़पने की कोशिश का मामला सीआईडी तक पहुंचा था, जिसमें एक आरोपी विजय कुमार सिंह को गिरफ्तार भी किया गया था। एक ताजा मामला नेवरी मौजा अंतर्गत 25 डिसमिल जमीन से जुड़ा सामने आया है। जिसका वर्ष-2010 में पूर्ण दाखिल-खारिज कर अद्धतन रशीद निर्गत हो रहा है, लेकिन इधर उसमें 12 डिसमिल जमीन का फर्जी दाखिल-खारिज कर किसी जमीन दलाल के नाम से फर्जी रशीद काटा जा रहा है।

रजिस्ट्री कार्यालयों की भूमिका पर सवालः

रांची के रजिस्ट्री कार्यालयों की भूमिका भी इस फर्जीवाड़े में संदिग्ध रही है। भू-माफियाओं और कुछ कर्मचारियों के गठजोड़ से पुराने कागजातों को बदलकर जाली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। इन फर्जी दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियों के आधार पर आम लोगों को ठगा जा रहा है। रांची के उपायुक्त विनय चौबे ने पहले ही कई कर्मचारियों को निलंबित किया है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान अब तक नहीं हो सका है।

क्या है समाधानः

इस गंभीर मामले को लेकर रांची के उपायुक्त को तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • सभी लंबित दाखिल-खारिज मामलों की गहन जांच और ऑडिट।
  • फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किए गए दाखिल-खारिज को रद्द करना।
  • दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
  • ऑनलाइन सिस्टम को और पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी सुधार।
  • रैयतों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान।

झारखंड सरकार ने पहले ही सुओ-मोटो ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया शुरू की है, जिसके तहत जमीन के रजिस्ट्रेशन के बाद स्वतः दाखिल-खारिज की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन इस प्रक्रिया में भी दलालों की सेंधमारी की खबरें सामने आ रही हैं।

आम जनता की पुकारः

कांके अंचल के कई रैयतों ने अपनी शिकायतें दर्ज की हैं। उनका कहना है कि बिना उनकी सहमति के उनकी जमीन का दाखिल-खारिज हो रहा है, और ऑनलाइन रसीदें भी काटी जा रही हैं। कई मामलों में दलालों ने दबंगई के बल पर जमीन पर कब्जा कर लिया है। रैयतों का कहना है कि अगर प्रशासन तुरंत कार्रवाई नहीं करता, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की बात कही है। हाल ही में एसीबी ने रांची सदर अंचल के अंचलाधिकारी मुंशी राम को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। लेकिन कांके अंचल में चल रहे इस बड़े फर्जीवाड़े पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

झारखंड अंगेस्ट करप्शन के राष्ट्रीय अध्यक्ष दुर्गी उरांव का कहना है कि रांची जिले में जमीन फर्जीवाड़े का यह मामला अब एक गंभीर चुनौती बन चुका है। अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया, तो न केवल आम रैयतों का नुकसान होगा, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे। उपायुक्त और संबंधित अधिकारियों को इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी होगी, ताकि भू-माफियाओं और दलालों के इस नेटवर्क को तोड़ा जा सके। श्री उरांव ने यह भी कहा कि वैसे अनेक मामले को लेकर जल्द ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।

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