अन्य
    Friday, April 26, 2024
    अन्य

      मुश्किल में बिहार, कोरोना-बर्ड फ्लू के खौफ के बीच चमकी की दस्तक

      बिहार एक ओर जहां कोरोना वायरस, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू आदि जैसे घातक बीमारियों का सामना कर रहा है, वहीं यहां जानलेवा चमकी बुखार ने भी दस्तक दे दी है…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। खबर है कि चमकी बुखार से पीड़ित होने वाले बच्चे का पहला मामला मुजफ्फरपुर में सामने आया है। यहां श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) के पेडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) वार्ड में चमकी से पीड़ित बच्चे को भर्ती कराया गया है।

      nitish 1एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने इस मामले को लेकर एक मीडिया चेनल को बताया,

      “इस साल का पहला एक्यूट एंसिफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का केस आया है जो मुजफ्फरपुर जिले के सकरा इलाके का है. बच्चे का इलाज किया जा रहा है”।

      पिछले साल इस बीमारी ने करीब 150 से अधिक बच्चों को मौत की नींद सुला दिया था। जिससे बिहार सरकार के साथ ही वहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई थी।

      हालांकि पिछली बार तो सरकार ने जैसे-तैसे मामले को सुलझा लिया था। लेकिन इस बार कोरोना और चमकी दोनों बिहार में पैर पसारने लगा है।

      इस बार नीतीश सरकार के लिए ये चुनोती आसान नहीं होगी क्योंकि चुनावी साल होने के कारण विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार को आड़े हाथ लेंगे।

      ध्यान हो, गरमी की शुरुआत के साथ ही बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में जापानी बुखार दस्तक देना शुरू कर देता हैं। इससे बचाव के लिए इस बुखार का टीकारकण करवाने का कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया।

      लेकिन राज्य सरकार की तरफ से किया गया यह दावा बस कहने मात्र के लिए था और काफी संख्या में बच्चे अभी भी टीके से वंचित हैं।

      chamki bukhar 1राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार ने जिला के प्रभावित इलाकों में ये पता करने के लिए जांच टीम भेजकर सर्वे करवाया कि क्या वहां वाकई टीकारण हो गया है?

      तो जांच में सामने आया कि इस बुखार के सबसे ज्यादा असर वाले प्रखंडों में 10 से 50 फीसद तक बच्चे अभी भी इस जापानी बुखार के टीकाकरण से बचे हुए हैं।

      कहा जाता है कि मुजफ्फरपुर में इस साल तीन फरवरी से विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के तहत जिले के शून्य से 15 साल के सभी बच्चों को यह टीका लगाया जाना था।

      वहीं टीकाकरण के लिए निर्धारित समय के बाद राज्य मुख्यालय को संबंधित विभाग ने रिपोर्ट भेज दी कि सौ फीसद टीकाकरण हो गया है। लेकिन जब समिति ने जिले के छह प्रखंडों में जेई टीकाकरण की जांच की तो उनका सामना ऐसे बच्चों से हुआ, जिनका टीकाकरण नहीं किया गया था।

      जांच में सामने आया की सबसे ज्यादा प्रभावित प्रखंडों में 20 से 50 फीसद तक बच्चों को टीकाकरण की सुविधा नहीं दी गई है। यह हाल तब है जब इन प्रखंडों के हरेक गांव में जांच के लिए टीम नहीं गई।

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!