“प्रो. राजेश्वर प्रसाद के समक्ष इन दिनों सपरिवार भूखमरी की स्थिति उत्पन्न है। वे उच्च रक्त चाप एवं हृदय रोगी भी हैं। उनकी पत्नि गठिया रोग से पीड़ित हैं। किराये के मकान में रहने वाले प्रो. प्रसाद पैसे के आभाव में उचित ईलाज भी नहीं करवा पा रहे हैं।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले में जहां देखिये मनमानी और गड़बड़झाला दिखेगा। शिक्षा व्यवस्था में राजनीति की घुसपैठ ने तो हालत और भी वद्दतर कर डाली है।
मामला वित संपोषित मगध महाविद्यालय चंडी का है। इसकी शिकायत हिलसा के एसडीओ सह शासी निकाय के सदस्य सृष्टि राज सिन्हा से की गई है।
इसकी भनक मिलने के बाद मनमानी करने वाले कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोग एक प्रतिष्ठित प्राध्यापक के साथ अभद्रता पर उतर आये हैं।
चंडी मगध महाविद्यालय के हिन्दी विभाग से सेवानृवित प्राध्यापक राजेश्वर प्रसाद ने हिलसा एसडीओ, जो कि संम्प्रति महाविद्यालय के शासी निकाय के सदस्य है, गुजारा भत्ता के संबंध में गुहार लगाते हुये लिखा था कि वे मगध महाविद्यालय में 12 जून,1978 से 31.01.2017 तक हिन्दी विभाग में द्वीतीय पद पर व्याख्याता के रुप में कार्यरत थे।
विगत 40 वर्षों तक उन्हें मूल वेतनमान की आंशिक राशि ही दी गई है। जिस दिन वे सेवानिवृत हुये थे, उस दिन तक मूल राशि का 35 फीसदी यानि 13,400 रुपये मिल रहे थे।
प्रो. प्रसाद ने आगे लिखा है कि अचानक महाविद्यालय के नये प्रभारी प्राध्यापक ने उपसमिति बनाकर भुगतान राशि 35 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया। इस उप समिति में एक भी सेवानिवृत प्राध्यापक नहीं थे। 12 फीसदी में मात्र 4 हजार रुपये होते हैं। वहीं 9 हजार 4 सौ रुपये काट लिये गये।
आश्चर्य की बात है कि उप समिति बनाने में शासी निकाय की न तो अनुमति ली गई और न ही निर्णयोपरांत की सहमति। फिर भी 3 महीने की राशि का भुगतान भी कर दिया गया।
इसमें महाविद्यालय के प्रभारी प्राध्यापक एवं उप समिति द्वारा नियमित भुगतान के नाम पर कम से कम आंशिक राशि देकर सेवानृवित कर्मियों को चलता कर देने की शाजिस साफ दिखती है।
प्रो. राजेश्वर प्रसाद के समक्ष इन दिनों सपरिवार भूखमरी की स्थिति उत्पन्न है। वे उच्च रक्त चाप एवं हृदय रोगी भी हैं। उनकी पत्नि गठिया रोग से पीड़ित हैं। किराये के मकान में रहने वाले प्रो. प्रसाद पैसे के आभाव में उचित ईलाज भी नहीं करवा पा रहे हैं।
उन्होंने हिलसा एसडीओ से पूर्व की भांति भुगतान कराने या एकमुश्त राशि का भुगतान कराने की मांग की थी।
कहते हैं कि प्रो. राजेश्वर प्रसाद की इस शिकायत और प्रभारी प्राचार्य द्वारा मनमानी के तहत बनी उप समिति का विरोध करने के कारण अभद्र व्यवहार किया गया है। उप समिति से जुड़े लोग प्रो. प्रसाद के साथ गाली गलौज करते हुये धमकी दी है कि वह आगे उनका वेतन 2 फीसदी कर देगा और कोई कुछ नहीं उखाड़ पायेगा।
प्रभारी प्राचार्य के इस तरह की अमानवीय धमकी व व्यवहार से आहत प्रो. प्रसाद काफी सदमे में हैं। वे शिथिलावस्था में यूं ही खामोश बैठे रहते हैं। परिवार वालों को आशंका है कि कहीं मानसिक तनाव में कोई गलत कदम न उठा लें।