इस्लामपुर (रामकुमार)। नालंदा जिले के इस्लामपुर बाजार में स्वर्णकार संघ की ओर से बैठक किया गया ।जिसमे स्वर्णकारों ने कहा कि बिहार के सभी जिला एंव प्रखंडो के अंतर्गत बसे स्वर्णकार कारीगर जो औरों के लिए सोने, चांदी को तरास कर चमकीले व लुभावने गहनें तैयार करते है।फिर भी लोग सरकार से उपेझित है।
कुछ लोग सिर्फ आभुषण बनाने व बेचने का काम करते है।बाकी लोग अन्य कार्य मे जुडे है।इस कार्य से जुडे लोगो का कहना है।कि आजादी के बाद जैसे जैसे समय बीतता गया । वैसे वैसे उनकी माली हालत सुधरने की बजाय बिगडती जा रही है। कुछ वयोवृद्घ का कहना था।कि जमींदारी के समय मे कारीगरो की हालत आज से ज्यादा अच्छा था।
वर्ष 1963 मे स्वर्ण नियत्रंण अधिनियम सरकार के द्धारा लागु किया गया था। लागु किये जाने से बदहाली के लिए मुख्य जिम्मेवार मानते है। क्योंकि इस अधिनियम के पुर्व जमींदारो द्धारा रहने के लिए घर,सलाना अनाज,मजदुरी के अलावे मिलता था।परंतु स्वर्ण अधिनियम के बाद स्वर्ण रखने पर भी प्रतिवंध लगा दिया गया था। जिससे हालत और भी बिगड़ती गई।
स्वर्णकारो ने मिलकर 60 के दशक मे स्वर्णकार संघ की लडाई के पश्चात सरकार उन्हे विस्थापित स्वर्णकारो का दर्जा दिया था ।जिसमे बाल वच्चो को पढने के लिए छात्रवृति,रेलवे मे नौकरिया,एंव मैटृिक पास करने के बाद आईटीआई मे नामांकन हेतु नाम मात्र का आरझण भी दिया गया था ।
परंतु एक दशक बाद ही सुविधाए बंद कर दी गई।स्वर्णकारो का कहना है।कि उस समय इस जाति के बीच शिक्षा का अभाव था।उक्त सुविधाओ का वाजीव हक नही ले सकते थे।एैसी हालत मे उक्त सुविधा वहाल की जानी चाहिए था। लेकिन 90 के दशक मे स्वर्ण अधिनियम वापस लिया गया था ।
फिर भी आर्थिक दशा सुधारने के लिए सरकार के द्धारा कोई पहल नही किया गया था।प्रधानमंत्री राजीव गांधी के द्घारा स्वर्णकारो की कल्याण के लिए बैंको से 25 हजार रुपया तक ॠण उपलव्ध करवाने की घोषणा भी की गई थी। जिस कार्य को करने के लिए स्वर्णकार संघ के नेता स्व देवधारी प्रसाद वर्मा के नेतृत्व मे बैंक एंव जिला प्रशासन के साथ ॠण प्राप्त करने हेतु आंदोलन किया गया था।बैंक के द्धारा जांच प्रडताल भी की गई थी।
फिर भी आज तक एक भी स्वर्णकारो को नही भारत सरकार और नही राज्य सरकार के द्धारा कलाकारो की सुची मे इस जाति का नाम दर्ज किया है।
स्वर्णकारो का कहना है।कि इस मशीन युग मे उनलोगो का रोजगार छीना जा रहा है।जिसके कारण आज मशीन से निर्मित सोने एंव चांदी आभुषण के सामने कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुच गये है।और अपना पुस्तैनी धंधा छोडकर जिवकोपार्जन के लिए घर से पलायन कर दिल्ली,राजस्थान,तथा बड़े बड़े महानगरो मे किसी तरह कड़ी से कडी मेहनत कश मजदुरी करने को बिबश है।
इस बदतर स्थिति मे भी सरकार के द्धारा इस पिछडा जाति स्वर्णकारो पर ध्यान नही दिया जा रहा है। जिसके वजह से लोगो को काफी घोर संकट का सामना करना पड़ रहा है।एैसी स्थिति मे स्वर्णकारो ने राज्य सरकार से इस जाति को पिछडा वर्ग से हटाकर अतिपिछडा वर्ग मे शामिल करने का मांग किया है। ताकि अति पिछडा का दर्जा मिलने के बाद अपना हक व अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर सके ।जिससे लोगो को सरकारी लाभ मिल सके।
इस मौके पर अरविंद वर्मा, संतोष कुमार, मनोज कुमार, मदन प्रसाद, सुरेश वर्मा, आदि लोग शामिल थे।इधर राष्ट्रीय कान्यकुब्ज सोनार संघ महापरिवार ( RKSSM) के कार्यक्रता नवीन कुमार,आदि ने इस समाज की संगठन मे मजवुती लाने पर वल देते हुए कहा कि उत्थान के वैगर इस समाज का विकास सम्भव नही है और इस समाज की उत्थान के लिए जितना वन पडेगा महापरिवार की ओर से किया जाएगा।
नालंदा जिला मे इस जाति का लगभग 18 हजार अवादी है और एकजुट होकर अतिपिछडा वर्ग की दर्जा लेने के लिए अवाज वुलंद किया जाएगा।ताकि सरकार द्धारा चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाऔ का लाभ लोगो को मिल सके। इस मौके पर चंदन कुमार, शिवशंकर प्रसाद, सतीश प्रसाद, संतोष कुमार, संजय कुमार, शंकर लाल,नीतीश कुमार,गोपाल प्रसादआदि लोग मौजुद थे।