“देश में झारखंड ही एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां शिक्षक नियुक्ति में पारा शिक्षकों को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। झारखंड में अब तक 10 हजार पारा शिक्षक नियमित हो चुके हैं….”
रांची एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड में रघबर सरकार कैबिनेट की बैठक में पारा शिक्षकों का मामला उठा। जिसमें इस बात पर सहमति बनी कि सरकार के एक अधिकारी इस पर मीडिया के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। किसी भी राज्य में स्थायीकरण का प्रावधान नहीं है।
छत्तीसगढ़ व झारखंड की नियुक्ति प्रक्रिया अलग झारखंड के पारा शिक्षक अलग-अलग राज्यों का हवाला देकर अपने लिए वेतनमान व स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। पर अलग-अलग राज्यों में इनकी नियुक्ति प्रक्रिया में समानता नहीं है।
झारखंड सरकार के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिस छत्तीसगढ़ को आधार बना कर पारा शिक्षक स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं, वहां पूरी नियुक्ति प्रक्रिया विज्ञापन निकाल कर की गयी है।
मध्यप्रदेश में व्यापमं से नियुक्ति हुई है। उत्तर प्रदेश में पारा शिक्षकों को 10 हजार मानदेय मिलता है, वह भी 11 माह के लिए। झारखंड में 12 माह का मानदेय दिया जाता है।
झारखंड को छोड़ कर हर राज्य में नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। राज्य में नियुक्ति ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से हुई थी। इसमें आरक्षण का पालन नहीं किया गया। किसी भी राज्य में पारा शिक्षकों को स्थायी करने का प्रावधान नहीं है।
पारा शिक्षकों को स्थायी करने से राज्य सरकार पर 3123 करोड़ हर साल वित्तीय बोझ बढ़ेगा। नि:शुल्क एवं बाल अधिकार अधिनियम 2009 के तहत एनसीटीइ द्वारा निर्धारित योग्यता के तहत मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रशिक्षण एवं शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होना अनिवार्य है। झारखंड में अधिकांश पारा शिक्षक यह योग्यता नहीं रखते हैं।
राज्य के पारा शिक्षक जिस छत्तीसगढ़ राज्य को आधार बना कर स्थायीकरण व वेतनमान की मांग कर रहे हैं, वहां की नियुक्ति प्रक्रिया झारखंड से बिल्कुल अलग है।
छत्तीसगढ़ में दो तरह से शिक्षकों की नियुक्ति होती है। एक तो सरकार सीधे शिक्षकों की नियुक्ति करती है, तो दूसरी ओर पंचायत स्तर पर भी शिक्षकों की नियुक्ति होती है। दोनों के वेतनमान में काफी अंतर है।
पंचायत स्तर पर भी जो नियुक्ति होती है, उसमें भी प्रक्रिया का पालन होता है। विज्ञापन जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया का पालन किया जाता है। यह नियमावली छत्तीसगढ़ में 2004 से प्रभावी है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में पारा शिक्षकों को वेतनमान दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि उसके लिए यूपी के 1.7 लाख पारा शिक्षक से महत्वपूर्ण राज्य के बच्चे हैं। इस तरह का मामला झारखंड हाइकोर्ट में भी चल रहा है।
उधर, 67 हजार पारा शिक्षकों में से लगभग 64 हजार पारा शिक्षक (19 नवंबर तक) काम पर नहीं लौटे। पारा शिक्षकों की हड़ताल से निबटने के लिए बुधवार से प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी।
राज्य शिक्षा परियोजना ने इसकी तैयारी शुरू कर दी। झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने सरकार को शिक्षक पात्रता परीक्षा सफल अभ्यर्थियों का नाम भेज दिया। जैक द्वारा 50 हजार टेट सफल अभ्यर्थियों का नाम विभाग को भेजा गया है।
इसके अलावा शिक्षा परियोजना ने शिक्षक प्रशिक्षण व प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अभ्यर्थियों की लिस्ट तैयार कर ली है। जिलों को शिक्षक पात्रता परीक्षा सफल अभ्यर्थियों का नाम भेजा जायेगा।
जिलों से भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार रांची में पारा शिक्षकों की हड़ताल का सबसे कम असर है। रांची में 69 फीसदी पारा शिक्षक हड़ताल पर हैं। देवघर, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम में हड़ताल का सबसे अधिक असर है।