एक्सपर्ट मीडिया न्यूज /नालंदा। चंडी प्रखंड की ह्दयस्थली बापू हाईस्कूल में शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है।हाईस्कूल में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।एक तो स्कूल में पढ़ाई चौपट है तो दूसरी तरह शिक्षक भी छात्रों को पढ़ाने में आनाकानी करते हैं ।
जहाँ छात्रों से 75 प्रतिशत उपस्थिति मांगी जाती है, उपस्थिति नहीं होने पर परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाता है।
ऐसा ही मामला बुधवार को चंडी के सबसे पुराने स्कूल बापू हाईस्कूल के सैकड़ों छात्रों को आज से शुरू हुई द्वितीय सावधिक परीक्षा से वंचित रखा गया ।स्कूल प्रबंधन ने यह कहकर कि जिन छात्रों की उपस्थिति कम हैं वे परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं ।
इस फरमान से लगभग डेढ़ सौ छात्र प्रभावित हुए ।इस आदेश से नाराज छात्रों ने स्कूल में हंगामा शुरू कर दिया ।छात्रों को स्कूल प्रबंधन ने बाहर कर दिया ।इससे नाराज छात्रों ने बिहारशरीफ दनियावां मार्ग को लगभग एक घंटे तक जाम रखा।
परीक्षा से वंचित छात्रों ने कहा कि एक तो स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है।महिला शिक्षक क्लास लेने में आनाकानी करते हैं ।स्कूल तो आते है लेकिन पढ़ाई नहीं होने पर लौट जाते है।जबकि छात्रों की हाजिरी भी मनमानी ढंग से होती है।जब पढ़ाई ही नहीं होती है तो है हाजिरी के लिए दिनभर स्कूल में इंतजार क्यों करते रहे ।
इधर छात्रों ने कहा कि जब उन्हें परीक्षा में बैठने ही नहीं दिया गया तो परीक्षा शुल्क क्यों वसूल की गई ।जब छात्रों पर 75 प्रतिशत उपस्थिति लागू है तो स्कूल के शिक्षकों पर क्यों नही? जब छात्र सड़क जाम किए हुए थे तभी दो लेटलतीफी शिक्षक जाम में फंसे दिखे।
छात्रों द्वारा सड़क जाम की सूचना पाकर चंडी पुलिस पहुँची ।दारोगा अजय कुमार सिंह ने नाराज छात्रों को समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्र परीक्षा में शामिल होने की मांग पर अडे रहे ।
बाद में उन्होंने स्कूल के प्रधानाध्यिपका मीना गुप्ता को नाराज छात्रों को समझाने के लिए बुलाया ।छात्र परीक्षा में शामिल होने को लेकर नारेबाजी करने लगे ।
उन्होंने नाराज छात्रों को समझाते हुए कहा कि आप अपने अभिभावक को स्कूल लेकर आइए तभी आप सभी छात्रों को परीक्षा में शामिल होने दिया जाएगा ।तब जाकर छात्रों ने सड़क जाम हटाया ।
इधर प्रधानाध्यापिका ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई के बाद भी छात्र स्कूल आने में लापरवाही बरतते हैं आखिर क्या कारण है कि अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं ।इस मामले को लेकर वे अभिभावकों से बात करेंगी तभी बच्चे परीक्षा में शामिल हो सकते हैं ।
अब सवाल यह उठता है कि सावधिक परीक्षा में 75 प्रतिशत की उपस्थिति मांगने का क्या औचित्य है? अगर जब 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले ही छात्रों को परीक्षा देनी थी तो छात्रों से परीक्षा शुल्क तथा अन्य शूल्क क्यों वसूला गया?
जबकि 75 उपस्थिति की अनिवार्यता उस समय लागू होती है जब छात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है,मसलन साइकिल और पोशाक की राशि या फिर 75 प्रतिशत उपस्थिति उस समय मांगी जाती है जब छात्र सेंटअप परीक्षा में शामिल हो, परीक्षा प्रपत्र भरे तब ऐसी अनिवार्यता समझ में आती है ।लेकिन द्वितीय सावधिक परीक्षा के नाम पर छात्रों से शत् प्रतिशत उपस्थिति समझ से परे हैं ।