रांची (मुकेश भारतीय)। साहब सीएम हैं। रघुबर दास हैं। उन पर कोई कानून लागु नहीं होता। हालांकि उन्होंने सड़क सुरक्षा सप्ताह समारोह में ट्रैफिक वालों को स्वंय कहा था, ‘बिना हेलमेट वालों से सख्ती से निपटें। चाहे कोई भी हो, उसे किसी कीमत पर न छोड़े। अगर खुद सीएम भी ऐसा करें तो उन्हें भी न वख्शें।’
लेकिन खुद सीएम रघुवर दास ने कानून तोड़ा है। बिना हेलमेट पहने आम सड़कों पर बिचरते रहे। इस दौरान कहीं भी ट्रैफिक वालों ने कोई रोक-टोक नहीं की। सिपाही की क्या औकात ट्रैफिक एसपी तक सलामी ठोकते नजर आये।
सीएम की इस हरकत को मीडिया ने अपने-अपने तरीके से खूब महिमामंडन किया है। मानो वे बिना हेलमेट के मिसाल कायम कर रहे हों।
सरकारी टुकड़ों पर पलने वाले न्यूज चैनलों ने तो हद कर दी। उसने सीएम की इस हरकत की आलोचना के बजाय ‘मुकद्दर का सिकद्दर’ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सबसे शर्मनाक स्थिति रांची की अखबारों की नजर आती है। यहां के किसी भी अखबार ने सीएम द्वारा कानून का उलंघन के बारे में दो शब्द भी नहीं लिखे। अगर कोई कुछ लिखा भी तो ऐसी जगह पर डाल कि किसी की नजर ही न जाये।
बड़े समाचार पत्रों ने तो ऐसी शीर्षकों के साथ लगाया है कि उसे पढ़ने वाले ही शर्मसार हो जाये।
वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण बिहारी मिश्र लिखते हैं, ‘ प्रभात खबर, हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर व दैनिक जागरण रांची का क्रमशः घटते हुए क्रम में सर्वाधिक बिकनेवाले अखबार हैं, पर चारों में एक समानता है कि ये मुख्यमंत्री रघुवर दास की स्तुति गाने में सर्वाधिक ध्यान लगाते हैं। इसमें यहां काम करनेवाले छोटे पत्रकारों की कोई गलती नहीं होती।
गलतियां होती है, उन ब्यूरों, समाचार संपादकों, स्थानीय संपादकों, कार्यकारी संपादकों, कारपोरेट एडिटरों व प्रधान संपादकों की, जिनका काम सरकार की हर गलत कामों पर पर्दा डालना तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास की इमेज को चमकाना। ’
वे आगे लिखते हैं, ‘कभी यहीं अखबार, जिसका नाम प्रभात खबर है, रांची के तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी भोर सिंह यादव को कटघरे में खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने बिना हेलमेट पहने लोगों को सुबह ही सुबह पकड़ना प्रारंभ किया था, तथा उनसे जुर्माना वसूलना प्रारंभ किया था।
कभी महेन्द्र सिंह धौनी के गाड़ी को भी कानून के शिंकजे में ले लिया गया था। भाजपा कार्यकर्ता मुन्ना ठाकुर की नगर विकास मंत्री सी पी सिंह के सामने इज्जत उतार लिया गया था।
पर जब यहीं काम मुख्यमंत्री रघुवर दास किये तो सारे अखबार मुख्यमंत्री रघुवर दास के सम्मान में हाथ जोड़कर खड़े हो गये।’