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    Friday, April 19, 2024
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      सत्य मेव जयतेः बबुनी गैंगरेप के दरिंदों को बचाने की हर तिकड़ विफल, मिलेगी कठोर सजा

      वेशक नालंदा  जिला किशोर न्याय परिषद की सक्रियता और उसके प्रधान दंडाधिकारी सह न्यायकर्ता मानवेन्द्र मिश्र की संवेदशीलता से राजगीर बबुनी गैंग रेप के दरिंदों के हर तिकड़म बेनकाब हुए और अब सभी खूंखारों के खिलाफ सेशन कोर्ट में स्पीडी ट्रायल चलना है। ऐसे में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट का फैसला नजीर साबित होगा…….”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के अंतर्राष्ट्रीय स्थल राजगीर की विपुलगिरी पर्वत पर एक नाबालिग छात्रा संग हुई गैंगरेप के दरींदों के हर तिकड़म विफल साबित हुई।  

      इस जघन्य कुकृत्य के चार दरिंदों ने जेजेबी एक्ट की आड़ लेकर कठोर सजा से बचने के तिकड़म भिड़ाए, लेकिन किशोर न्याय परिषद की सक्रियता और उसके प्रधान दंडाधिकारी सह न्यायकर्ता मानवेन्द्र मिश्रा की पारखता के कारण ऐसा नहीं हो सका।

      courtसभी दरींदों को बालिग करार देते हुए मामले को सेशन न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया है। अब इन्हें नाबालिग होने का कोई लाभ नहीं मिलेगा। आरोप साबित होने पर व्यस्क अपराधियों की तरह ही सजा मिलेगी।

      इस मामले के अन्य तीन आरोपियों का मामला पहले से ही सेशन कोर्ट में है। अन्य चार आरोपियों के परिजनों ने नाबालिग साबित करने की कोशिश की। जिसमें विफल रहे।

      किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने चारों आरोपियों की जांच की थी। जिसमें सारे बालिग साबित हुए। दो आरोपियों ने आधार कार्ड के आधार पर खुद को नाबालिग बताया था, लेकिन बोर्ड ने नियमों का हवाला देते हुए इसे नहीं माना।

      बता दें कि इस मामले में राजगीर के मिथुन कुमार, रंजन कुमार उर्फ टूटू उर्फ रंजन राजवंशी, राहुल कुमार, करण कुमार, आशीष कुमार, सोनू कुमार और राम कुमार शामिल है। इस मामले का स्पीडी ट्रायल चल रहा है।BIHarsarif court

      मामले का शर्मनाक पहलू यह है कि इस घृणित कांड के आरोपी को बचाने के लिए भी जिले के एक राजनेता ( सत्तारुढ़ दल के निर्वाचित जनप्रतिनिधि) ऐसे जघन्य वारदातों पर भी अपनी रसुख दिखाने से बाज नहीं आये। ऐसे घटिया सफेदपोश की पैरवी पर आरोपी राहुल कुमार ने अपनी उम्र के समर्थन में विवेकानंद मध्य विद्यालय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया।

      हालांकि अभियोजन द्वारा इसके विरोध में प्राथमिक विद्यालय ठाकुर स्थान राजगीर का दूसरा प्रमाण पत्र कोर्ट में पेश किया गया। दोनों में उम्र का अंतर देखते हुए श्री मिश्र ने मेडिकल बोर्ड को जांच कराने के निर्देश दिये। बोर्ड ने बालिग होने की पुष्टि कर दी।

      इस मामले में स्कूल के प्रधानाध्यापक ने एक राजनेता का हवाला देते हुए कहा है कि उन्हें अधंरे में रखकर आरोपी के नाम पर यह कहकर प्रमाण पत्र बनवा लिया गया कि इसके आधार पर उसे कहीं छोटी-मोटी नौकरी मिल जायेगी।

      बता दें कि वायरल वीडियो में सभी गिरफ्तार आरोपियों के चेहरे तो दिख ही रहे हैं वीडियो को विधि विज्ञान प्रयोगशाला पटना ने भी जांच में सही पाया है।rajgir gang rape akrosh march 4 1

      इस मामले के दो अन्य आरोपी सोनू कुमार ने मध्य विद्यालय राजगीर का स्थानांतरण प्रमाण पत्र के आधार पर खुद को नाबालिग करने की कोशिश की। हालांकि जेजेबी में सुनवाई के दौरान दिनांक के साथ छेड़छाड़ किये जाने की पुष्टि हुई।

      जिसके बाद जेजेबी द्वारा मेडिकल बोर्ड गठित कर उम्र की जांच करायी। जिसमें यह भी बालिग साबित हुआ। करण कुमार और रंजन कुमार ने उम्र प्रमाण पत्र के समर्थन में आधार कार्ड पेश कर खुद को किशोर होने का दावा किया।

      जेजेबी के सदस्य धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 94 के अनुसार आयु निर्धारण में आधार कार्ड की मान्यता नहीं होने के कारण मेडिकल बोर्ड से जांच करायी गयी। जिसमें करण की उम्र 19 से 20 वर्ष और रंजन कुमार के 18 से 19 वर्ष के बीच पायी गयी।

      व्यस्क घोषित होने के बाद इन्हें आजीवन कारावास से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। अधिवक्ता नवीन सिंह ने बताया कि पोक्सो एक्ट धारा 4-6 और गैंगरेप की धारा 376 डी आईपीसी के तहत आजीवन कारावास या अधिकतम फांसी अथवा मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा सुनायी जा सकती है। पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड द्वारा उम्र की जांच की गयी थी।

      उल्लेखनीय है कि जब यह वीडियो वायरल हुआ था, तब पुलिस की भूमिका सराहनीय नहीं थी। पहले तो घटनास्थल जिले से बाहर होने की बात कही गयी। मीडिया पर दबाव बनाने की कोशिश हुई थी। बाद में जब मीडिया ने घटनास्थल तक की पुष्टि कर दी और पीड़िता सामने आयी तब पुलिस हरकत में आ गयी।

      यदि ये चारों आरोपी खुद को जुवेनाइल साबित करने में कामयाब रहते तो जेजेबी एक्ट के तहत इन्हें अधिकतम तीन साल की सजा मिलती। यही नहीं आचरण में सुधार की आड़ लेकर तीन साल की सजा पूरी करने से भी बच सकते थे।

      गैंगरेप के आरोपियों के अलावा अन्य विधि विरुद्ध किशोरों की न्यायाधीश श्री मिश्र ने काउंसिलिंग भी की। ताकि उनकी सोच बदले। मौके पर प्रोबेशन पदाधिकारी उषा कुमारी और साइकोलॉजिस्ट प्रमोद कुमा व जेजेबी के सदस्य धर्मेन्द्र कुमार उपस्थित थे।

      जेजेबी के सदस्य धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि अब मामले की बंद कमरे में सुनवाई होगी। पीड़िता की गवाही में मां भी साथ रहेगी। घर जैसा वातावरण रहेगा। आरोपियों को इस तरह से पेश किया जायेगा कि पीड़िता उन्हें देख सकेगी लेकिन पीड़िता को वह नहीं देख सकेगा।

      बता दें कि बीते 16 सितम्बर,2019 को 13 साल की नाबालिग छात्रा अपने दोस्त के साथ राजगीर के एक पहाड़ पर घुमने गयी थी। जहां दरिंदों ने उसके दोस्त के साथ मारपीट करते हुए पीड़िता के साथ खुला गैंगरेप किया था और उसकी अनेक वीडियो बनाकर वायरल भी कर दिया था।

      पीड़िता को जान मारने की धमकी देकर चुप रहने को कहा गया था। वीडियो वायरल होने के बाद घर वालों को जानकारी हुई तो थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। तब थानेदार ने अट्टहास लगाते हुए पीड़िता पर ही दबाव बनाने की कोशिश की। थानेदार ने कहा था- ‘वह पहाड़ी पर क्या करने गई थी।’rajgir gang rape11

      बाद में पीड़िता और उसके परिजन मीडिया के सामने खुलकर आए। पीड़िता व वारदात के कहीं अन्यत्र साबित करने पर उतारु पुलिसिया मंशा को मीडिया ने बेनकाब कर दिया। तब आनन-फानन में सभी दरिंदों को दबोचने पर पुलिस विवश हुई।

      यहां एक बात और गौर करने लायक है कि सभी दरींदे एक साथ एक ही स्थान से दबोच लिए गए। पुलिस को कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी।

      पुलिस ने दो मोबाइल सेट, सीडी को भी दरींदो के घर से बरामद कर लिया। यह एक बड़ा जांच का विषय है कि पुलिस को सब कुछ पहले से कितना ज्ञात था?

      राजगीर गैंग रेप देश का ऐसा पहला बड़ा शर्मनाक वारदात है कि चार्जशीट दाखिल होने के पहले और दरींदों को सजा मिलने से पहले ही 4 चुनिंदा पुलिस अफसरों को सार्वजनिक तौर सोनपुर मेला-2019 में इस घोषणा के साथ सम्मानित किया गया कि वारदात के 24 घंटो के भीतर पुलिस ने सारे दरिंदों को दबोच लिया।

      जबकि वारदात 16 तारीख को हुई। 24 तारीख को मीडिया द्वारा बेनकाब करने एवं स्थानीय जनाक्रोश के बाद पुलिस ने 24 तारीख को मामला दर्ज किया। पुलिस पहले पीड़िता और वारदात स्थल कहीं और बताती रही।

      सम्मान पाने वाले में वारदात पर ठहाका लगाने वाला थानेदार संतोष कुमार के अलावे डीएसपी सोमनाथ प्रसाद और एसपी नीलेश कुमार और केस आईओ सिर्फ शामिल रहे। उनके साथ कोई पुलिस कर्मी शामिल नहीं रहे। यह गैंगरेप सरीखे जघन्य वारदात का  शर्मनाक सम्मान का रिकार्ड बना। 

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