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    Thursday, April 25, 2024
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      राजगीर महोत्सव में इस बार भी बहेगी हास्य कविता की धारा

      “वर्ष 2016 से राजगीर महोत्सव में भी कवि सम्मेलन की परंपरा शुरू हुई । इस वर्ष यह और भी भव्य ढंग से आयोजित होगा। जिसमें हिंदी एवं उर्दू के अलावे मैथिली, मगही, भोजपुरी, बज्जिका ,अंगिका आदि भाषाओं के लब्ध प्रतिष्ठित हास्य कवि अपनी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे।”

      बिहार शरीफ (राजीव रंजन)।  राजगीर महोत्सव के अवसर पर आयोजित होने वाले विशाल हास्य कवि सम्मेलन को यादगार बनाया जाएगा । सूचना भवन में जिला के सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने यह निर्णय लिया।

      rajgir kavi sammelan 1साहित्यकारों ने कहा कि यह एक दुर्लभ अवसर है जब राज्य के सभी क्षेत्रीय भाषाओं के हास्य एवं व्यंग तथा के लब्धप्रतिष्ठित कवि एक मंच पर उपस्थित होंगे । इस राज्यस्तरीय कवि सम्मेलन में सभी साहित्यकार आयोजक की भूमिका में होंगे एवं जिला प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे।

      साहित्यकारों ने जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम की काफी प्रशंसा की एवं उनके द्वारा साहित्य के उत्थान के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

      लोगों ने कहा कि दक्षिण भारतीय व अहिंदी भाषी होते हुए भी उनके लिए हिंदी ,उर्दू एवं बिहार में प्रचलित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं एवं मूल्यों के प्रति जो प्रेम दर्शाया जा रहा है वह अतुलनीय है ।

      इनके कार्यकाल में जिला सृजन दिवस से जो कवि सम्मेलन एवं साहित्य गोष्ठी की परंपरा शुरू हुई, वह अनवरत ऊंचाइयों को प्राप्त करती गई है ।

      27 नवंबर को राजगीर महोत्सव के मुख्य-मंच से विराट हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन होगा ,जिसमें हिंदी एवं उर्दू के अलावे मैथिली, मगही, भोजपुरी, बज्जिका ,अंगिका आदि भाषाओं के लब्ध प्रतिष्ठित हास्य कवि अपनी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे ।

      बैठक में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी सुबोध कुमार सिंह एवं जिला जनसंपर्क पदाधिकारी लालबाबू सिंह ने कहा कि आज के दौर में मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है एवं लोग तरह-तरह के अवसाद जनित बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। इस परिस्थिति से उबरने में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की बड़ी भूमिका हो सकती है।

      जिला प्रशासन इसीलिए जिला में आयोजित अन्य उत्सवों के अलावे राजगीर महोत्सव जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कवि सम्मेलन जैसे कार्यक्रम को आयोजित करना शुरू किया है।

      जिला के वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर हरीश चंद्र प्रियदर्शी ने कहा कि इस तरह के आयोजन से साहित्य को एक नई ऊंचाई मिलेगी एवं नालंदा अपना पुराना गौरव पुनः हासिल करेगा।इस तरह के कार्यक्रम राजगीर महोत्सव के आयोजन की अवधारणा को फलीभूत करेंगे।

      सूचना भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में नालंदा जिला के बेन प्रखंड के मूल निवासी एवं उर्दू भाषा के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार प्रो अब्दुस सम्मद को उर्दू भाषा व साहित्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर हर्ष व्यक्त किया गया एवं उन्हें बधाई दी गई ।

      प्रोफेसर अब्दु सममद को यह पुरस्कार मध्य एशियाई देश दोहा सरकार द्वारा दिया गया है। साहित्य एवं कथालेखन क्षेत्र में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला है।

      इससे पूर्व भारत से यह पुरस्कार प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर को मिला था। प्रो अब्दुसम्मद की प्रसिद्ध रचना ” दो गज जमीन” के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।

      कार्यक्रम में साहित्यकार उमेश कुमार उमेश, तनवीर साकित ,तंग अयूबी आफताब हसन शम्स , अर्जुन प्रसाद बादल,राकेश बिहारी, उमेश प्रसाद उमेश राकेश रितुराज, अतहर हिलसवी गुड्डू आलम धनंजय कुमार ,डॉ लक्ष्मीकांत सिंह, दिवाकर प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, तुफैल खान सूरी समेत काफी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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