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    Saturday, April 20, 2024
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      राजगीर थाना प्रभारी की इस गुंडागर्दी को लेकर उदासीन क्यों है नालंदा पुलिस-प्रशासन ?

      “राजगीर थाना प्रभारी के खिलाफ कई ऐसे सप्रमाण मामले उदाहरण के तौर पर उपलब्ध हैं, जो स्पष्ट करता है कि ये असमाजिक लोगों की शह पर लोगों पर झूठे मुकदमें करवाने में माहिर है। नालंदा पुलिस-प्रशासन के जिम्मेवार आला अफसरों को चाहिये कि ऐसे थाना प्रभारी के खिलाफ पीड़ित सारे लोगों के शिकायत की उच्चस्तरीय जांच करा व्यवस्था के प्रति खोये विश्वास को हासिल करे।”

      बिहारशरीफ (संवाददाता)। नालंदा जिले के राजगीर थाना प्रभारी उदय शंकर से जुड़ा एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है, जो यह साफ तौर पर प्रमाणित करता है कि ये अपराधियों से सांठगांठ कर उल्टी कार्रवाई करने में जुट जाते हैं। सबसे गंभीर पहलु यह उभर कर सामने आया है कि वरीय सक्षम अधिकारियों को जानकारी होने के बाबजूद इस थाना प्रभारी के खिलाफ कोई जांच कार्रवाई नहीं होती है।

      बीते 11 अगस्त को करीब पौने ग्यारह बजे विश्व शांति स्तूप पर जब गांधी टोला राजगीर निवासी बलराम कुमार वह रोजाना की भांति फोटोग्राफी कर रहा था कि अचानक बड़ी मिल्की राजगीर निवासी अजय कुमार उर्फ कारु यादव पहुंचा औऱ गाली गलौज करते हुये मारपीट करने लगा तथा डी 5200 निकॉन कैमरा एवं तीन हजार रुपये छीन लिये।

      बकौल पीड़ित बलराम, जब उसके साथ मारपीट और छीनाझपटी होते देख बचाव करने शम्भू कुमार आया तो कारु यादव उसके साथ भी मारपीट करने लगा और जाति सूचक गांलियां देने लगा।

      इस घटना के बाद पीड़ित तुरंत राजगीर थाना शिकायत दर्ज करने पहुंचा, लेकिन 11 अगस्त और 12 अगस्त को थाना प्रभारी नहीं हैं का बहाना बना कर शिकायत आवेदन लेने से इंकार कर दिया गया। 13 अगस्त को जब पीड़ित ने थाना प्रभारी से मोबाईल पर बात की तो थाना प्रभारी ने कहा कि वे कैमरा दिलवा देगें। इंतजार करो।

      इसके बाद मिली सूचना के अनुसार थाना प्रभारी ने अपराधी के खिलाफ अभी तक न तो कोई मामला दर्ज किया है और न ही कोई कार्रवाई। जबकि थाना प्रभारी ने पीड़ित से कहा था कि वह अपराधी से कैमरा दिलवा देगें।

      सबसे रोचक पहलु यह है कि पीड़ित के 11 अगस्त के आवेदन को 13 अगस्त का लिखा होना करवाया गया। पीड़ित ने उसी आवेदन पर दूसरे रंग की कलम से डेट को ओवर राइट कर 13 अगस्त बना दिया। जिसे देखने के बाद थाना प्रभारी ने कल 15 अगस्त को 13 अगस्त की डेट का फ्रेस कंप्लेन लिख कर देने को कहा, जिस पर पीड़ित का स्व हस्ताक्षर तक मौजूद नहीं है।

      उधर, थाना प्रभारी कैमरा छीनने वाले अपराधी को बचाने की नियत से उसके संघी साथी से, जो कि कैमरा छीनने के समय मौजूद था, उससे पीड़ित के खिलाफ भी रंगदारी का केस दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दे रहा है।

      विश्वस्त सूत्र यह भी बता रहे हैं कि इस उल्टी कार्रवाई में राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमणमुक्त करने की लंबी व ऊंची लड़ाई लड़ रहे वादी सह आरटीआई एक्टीविस्ट पुरुषोतम प्रसाद एवं उनके भाई धर्मराज प्रसाद को भी अभियुक्त बनाने की थाना प्रभारी की मंशा है। अगर ऐसा होता है तो यह बात साफ जाहिर हो जायेगा कि इस थाना प्रभारी को कुछ बड़े अतिक्रमणकारी और भू-माफिया की भी शह प्राप्त है। जो कि हर समय मौके की तलाश में बगुला भगत बने फिर रहे हैं।

      जबकि इस घटना की जानकारी राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी और राजगीर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को भी पहले से है। फिर भी थाना प्रभारी का अपराध-प्रेम के खिलाफ कोई संज्ञान -कार्रवाई न होना आश्चर्य का विषय है।

      इस संबंध में जब राजगीर डीएसपी संजय कुमार से मामले की जानकारी देते हुये बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि “ देख लेते हैं।… और मोबाईल काट दिया।

      इस मामले को लेकर जब राजगीर एसडीओ ज्योति नाथ लाल शाहदेव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे इस मामले में राजगीर डीएसपी से न्यायोचित कार्रवाई करने के लिये बात करेगें।  

      बता दें कि उदय शंकर वहीं थाना प्रभारी हैं, जिसने राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि के एक अतिअक्रमणकारी को थाने में बैठाकर पहले इस साइट के संचालक-संपादक को तरह-तरह की धमकी दिलवाई और उसके बाद राजगीर के वरीय पत्रकार राम बिलास जी और  फुटकर दुकानदार संघ अध्यक्ष एवं समाजसेवी धर्मराज प्रसाद के साथ जोड़ कर रंगदारी मांगने का केस करवा डाला।

      तब उस तथाकथित अतिक्रमणकारी के साथ हुई बातचीत की ऑडियो क्लीप भी जारी की गई थी। उस ऑडियो क्लीप के नेप्थ्य में थाना प्रभारी की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी। अतिक्रमणकारी थाना में बैठ कर आगे की जाने वाली रंगदारी के केस की धमकी दे रहा था। राजगीर के डीएसपी और नालंदा तात्कालीन एसपी  ने उस ऑडियो क्लीप की बाबत क्या जांच-कार्रवाई की, अभी तक अज्ञात है।

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