Home देश मुखबिर और ठग है दैनिक भास्कर का पत्रकार सुबोध मिश्रा !

मुखबिर और ठग है दैनिक भास्कर का पत्रकार सुबोध मिश्रा !

mantu 1
अपनी फेसबुक वाल पर पीड़ा उकेरते हजारीबाग के मंटू सोनी

भारत के सबसे बड़े अखबार होने का दावा करने वाले ‘दैनिक भास्कर’ के हजारीबाग के पत्रकार (हजारीबाग का सबसे बड़ा मुखबिर, दलाल और ठग जिसका खुलासा मैं करूँगा कि कब किससे कहाँ और कैसे क्या किया प्रमाण सहित ) ने बीस अक्टूबर 2016 को यह खबर छापी थी, जिसका शीर्षक था “धान के खेत में छिपने का प्रयास कर रही थी”

अब सवाल यह उठता है कि , विधायक की गिरफ्तारी जहाँ से हुई थी वहां घांस की भी जगह नहीं है तो फिर इसे वहाँ धान का खेत नजर आ गया। इस तरह एक महिला विधायक के बारे में अख़बार के आड़ में इसने अपने कुत्सित मानसिकता को जाहिर किया। जबकि सारी दुनिया को पता है कि विधायक उस दिन कोर्ट में सरेंडर करने आई थी। फिर भला वो क्यों छुपने का प्रयास करती…. इसके बाद इसने लिखा की मंटू सोनी को बड़कागांव थाना कांड संख्या 225,228/16 में जेल भेजा ।

सच्चाई यह है कि जो केस इसने लिखा है, वह केस मंटू सोनी पर है ही नहीं….इसके बाद इसने लिखा है कि एक अक्टूबर के बाद विधायक कब कहाँ और कैसे रही….जैसे इसको सब पता था। जबकि इसने विधायक के गायब रहने में दौरान दोनों तरफ सर मुखबिरी कर एक दूसरे को लगातार सुचना देता रहा, लेकिन इसकी कोई चाल सफल नहीं हो सकी। यही नहीं मेरा नंबर और फोटो भी इसने लोगों को दिया।

इस प्रकरण के बाद मंटू सोनी ने सुबोध मिश्रा और तत्कालीन संपादक अमरकांत के नाम 9 मार्च 2017 को उक्त खबर की प्रमाणिकता का जवाब देने के लिए क़ानूनी नोटिस भेजा और पंद्रह दिनों के जवाब देने को कहा लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इस सम्बंधित जानकारी मैंने व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर किया।

तब माननीय मुखबिर दलाल सुबोध मिश्रा ने पहले मुझे बात करने बुलाया और दूसरों से कहलवाया। इसी बीच खुद को बचने और समर्थन लेने के लिए मेरी शिकायत को दैनिक भास्कर और सभी पत्रकारों के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात फैलाई। और अपने आकाओं से इस बात का जिक्र करते हुए समस्या का हल करने की पैरवी करने लगा।

सभी पत्रकार और दैनिक भास्कर इसके चरित्र से वाकिफ हुई और समझे की अपनी गलती को ढंकने के लिए यह आदमी बार्गेनिंग कर रहा है। फिर चालू हुआ इसके परिजनों के तबियत खराब होने और खुद हर कसम खाकर अपनी समस्या से छुटकारा पाना, जो इसकी पुरानी और शातिर घिंसा पीटा अंदाज रहा है।

कोई भी गलती कर के रोने का नाटक करते हुए सारी तरह का कसम खाना इसकी आदत है फिर वही पीठ पीछे शिकायत और फोन टाइप कर एक दूसरे की बात इधर से उधर करना। और सब को यही कहना कि आपही ही मेरे अपने हैं।

और अंत में इसके कई ऐसे सप्रमाण मामले हैं जिसमें इसने जेल से लेकर अस्पताल और पुलिस के अधिकारियों के नाम पर ठगी किए हैं। जैसे किसी को जेल से रिहा करवा देना, किसी की पत्नी को एएनएम बना देना, किसी को केस सुपरविजन के नाम पर पैसा लेना। सब का खुलासा होगा लेकिन धीरे धीरे ….. (साभारः राजनामा)

error: Content is protected !!
Exit mobile version