एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार के नालंदा जिला अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर में 16 मई से 13 जून तक चलने वाले राजगीर मलमास मेला की बंदोवस्ती में बरती गई मनमानी और अनियमियता के शिकार संवेदकों ने डीएम डॉ. त्यागराजन एस एम को तत्काल जांच-कार्रवाई की मांग संबंधित एक ज्ञापन सौंपा है।
इस संबंध में नालंदा डीएम ने मिली शिकायत की बाबत बिहार शरीफ नगर निगम आयुक्त को जांच करने का निर्देश दिया है। जांच टीम राजगीर रवाना हो चुकी है। अब देखना है कि यह मामला आगे क्या रंग दिखाती है।
खबर है कि राजगीर मलमास मेला की बंदोबस्ती दो करोड़ पांच लाख 51 हजार रुपये की सबसे अधिक बोली लगाने वाले स्थानीय पेट्रोल पम्प के मालिक संजय कुमार सिंह के नाम की गई है। वहीं दूसरे नम्बर पर राजगीर के ही विवेक कुमार रहे, जिन्होंने दो करोड़ पांच लाख 37 हजार रुपये की बोली लगायी थी।
कहा जाता है कि यहा खुला बंदोवस्ती नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी उपेन्द्र कुमार एवं सिटी मैनेजर विनय रंजन कुमार की मौजूदगी में हुई।
नगर प्रबंधक विनय रंजन का कहना है कि मलमास मेला की बंदोबस्ती के लिए सुबह 11 बजे डाक शुरू हुई। डाक में जिन लोगों के पास बोली लगाने के लिए पूरा कागजात थे, वे ही मेला बंदोबस्ती कक्ष में शामिल हुए।
बकौल विनय रंजन, आधे घंटे तक चली बंदोबस्ती प्रक्रिया में बोली सरकारी दर दो करोड़ पांच लाख रुपये से शुरू हुई। सबसे पहले राजगीर के विवेक कुमार ने दो करोड़ पांच लाख 37 हजार रुपये की बोली लगायी।
उसके बाद संजय कुमार सिंह ने दो करोड़ पांच लाख 51 हजार की अधिकतम बोली लगायी। इससे पहले वर्ष 2015 में मलमास मेला की बंदोबस्ती एक करोड़ 13 लाख 50 हजार रुपये में हुई थी।
इस साल लगने वाले मेला के लिए तीन तिथियों में बंदोबस्ती का निर्धारण किया गया था। बंदोबस्ती के लिए जरूरी कागजात के साथ लोगों को आना था। बंदोबस्ती की पहली तिथि शनिवार को ही महज आधे घंटे में मलमास मेला की बंदोवस्ती प्रक्रिया पूरा हो गई।
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज की पड़ताल में सबसे रोचक बात यह उभरकर सामने आई है कि राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि की बंदोवस्ती का रनर-विनर दोनों रिशते में भतीजा-चाचा है। उससे इतर नगर प्रबंधक और कार्यपालक पदाधिकारी ने आवश्यक तीसरे संवेदक के बारे में कुछ नहीं बताते कि वह तीसरा कौन था औऱ उसकी बोली क्या थी।
बंदोवस्ती अधिनियम के प्रावधानों के किसी भी खुली निविदा में न्यूनतम तीन लोगों का शामिल होना जरुरी है। इसके वगैर बंदोवस्ती प्रक्रिया ही अवैध है। हालांकि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस निविदा में चाचा-भतीजा के आलावे अन्य सभी संवेदकों को येन-केन-प्रक्रेरेन बंदोवस्ती प्रक्रिया में शामिल होने से रोक दिया गया।