नालंदा (संवाददाता)। वरीय पत्रकार राम विलास प्रसाद के खिलाफ राजगीर थाने में मनगढंत आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया गया है। उन पर रंगदारी मांगने और छवि को धूमिल करने का झूठा आरोप लगाया गया है । राजगीर थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 500/ 506 /385 /120 (बी ) और 66 आई टी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया है , जिसका कांड संख्या 108 /17 है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर के मलमास मेला की सैरात भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर बनाये गये होटल “राजगीर गेस्ट हाउस” के संचालक शिवनंदन प्रसाद ने यह केस दर्ज कराया है। इस केस में राजनामा .काम के संपादक मुकेश भारतीय और राजगीर के सोसल वर्कर धर्मराज को भी नामित किया गया है ।
राम विलास प्रसाद जिले के वरीय पत्रकार हैं । उनका चाल-चरित्र और पत्रकारिता कैसी है। यह किसी से छिपी हुई नहीं है। वे प्रतिष्ठित और वेदाग छवि के पत्रकार रहे हैं । करीब 3 दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहे राम विलास के पास एक टूटी साइकिल न पहले थी और न आज की तारीख में है। वह आज भी किराए के मकान में रहते हैं।
प्राथमिकी में लिखा गया है कि राजनामा डॉट कॉम की खबर से उनकी छवि धूमिल और अपमानित करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा है कि आरोपी उनसे रंगदारी की अपेक्षा रखते हैं। जब पूरी नहीं हुई तो अनाप-शनाप लिखकर छवि बदनाम करने का शर्मनाक काम किया गया है।
लेकिन भू-माफिया शिवनन्दन ने प्राथमिकी में यह नहीं लिखा है कि कौन सी खबर से उनको अपमानित व उनकी छवि धूमिल किया गया है। उन्होंनेे यह भी जिक्र नहीं किया है कि उनसे कब, कहाँ और कितने रूपए की रंगदारी मांगी गई है। यह सभी बातें गोलमटोल है। इससे साबित होता है कि यह आरोप झूठा है ।
प्राथमिकी में आगे लिखा गया है कि राजनामा डॉट कॉम के द्वारा धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की जा रही है। शिवनन्दन का यह आरोप बेबुनियाद इसलिए है कि मलमास मेला सैरात की भूमि पर अतिक्रमणकारियो के खिलाफ खबर लिखने से कभी धार्मिक उन्माद नहीं हो सकता है । वे अपनी काली कारतूतो को छिपाने के लिए धार्मिक उन्माद का सहारा ले रहे हैं। वे सरकार और समाज दोनों को भ्रमित कर रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है ।
उन्होंने यह भी कहा है राजनामा डॉट कॉम के संपादक अपने सहयोगियों द्वारा सुनियोजित षड्यंत्र कर उनकी छवि धूमिल कर रहे हैं। वे लोग रंगदारी वसूलने का काम करते हैं।
सच्चाई यह है कि इस केस करने के पहले आवेदक शिवनंदन प्रसाद और राजनामा डॉट कॉम के संपादक मुकेश भारतीय के बीच लंबी बातचीत हुई है। इसका प्रमाण जारी ऑडियो टेप है। इस टेप को सुनने के बाद साफ हो जाता है कि शिवनंदन प्रसाद से रंगदारी मांगी गयी है या वे रंगदारी का गंभीर आरोप लगाकर झूठा केस में फंसाने की धमकी दे रहे हैं । इसका खुलासा ऑडियो टेप से रहा है ।
जग जाहिर है कि शिवनंदन प्रसाद मलमास मेला सैरात की भूमि पर अतिक्रमण कर राजगीर गेस्ट हाउस नामक एक होटल का निर्माण कर उसका संचालन कर रहे हैं। इतना ही नहीं उनके द्वारा गौरक्षिणी के पास भी मेले की एक भूखंड पर कब्जा जमाये हैं। अतिक्रमण की खबर के प्रकाशन व प्रसारण से तिलमिला कर उन्होंने यह केस किया है ।
राजगीर के अंचल पदाधिकारी सतीश कुमार द्वारा मलमास मेला की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है । अंचलाधिकारी द्वारा शिवनंदन के विरुद्ध अलग-अलग दो नोटिस निर्गत किया गया है। क्योंकि इनके द्वारा दो जगहों पर सैरात भूमि का अतिक्रमण किया गया है । शिवनंदन समेत सभी अतिक्रमण कारियो को 25 मई 2017 को कारण पृक्षा देने का आदेश अंचल पदाधिकारी द्वारा दिया गया है।
प्राथमिकी के अंतिम पैरा में लिखा है कि राम विलास प्रसाद राजनामा डॉट कॉम के स्थानीय संवाददाता हैं । यह आरोप बेबुनियाद, मनगढ़ंत और झूठ है । राम विलास राजनामा डॉट कॉम के संवाददाता पहले न कभी थे और न वर्तमान समय में हैं । झूठा आरोप लगाकर साफ सुथरे छवि के इस पत्रकार को केस में फंसाया व घसीटा गया है । राम विलास और शिवनंदन का चरित्र एक दूसरे के विपरीत है । यह हर कोई जानते हैं ।
इस केस के तीसरे आरोपी धर्मराज उर्फ धर्मू हैं। उन पर वाट्सएप पर आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप लगाया गया है। लेकिन प्राथमिकी में यह नहीं कहा गया है कि किस तिथि को कौन सी पोस्ट आपत्तिजनक किया गया है, जिससे उनकी मानहानि हुई है। प्राथमिकी के आखिर में शिवनंदन प्रसाद ने लिखा है कि ये सभी आरोपी समाजविरोधी तत्व है ।
लेकिन उन्होंने आवेदन में जिक्र नहीं किया है कि पत्रकार राम विलास प्रसाद, राजनामा डॉट कॉम के संपादक मुकेश भारतीय और धर्मराज उर्फ़ धर्मू किस प्रकार उन्माद फैला रहे हैं ? सभी आरोपी समाज विरोधी तत्व हैं कैसे हैं ? मालूम हो कि धर्मराज मलमास मेला की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान वर्षों से चला रहे हैं । इसी से खफा हो कर उन्हें इस केस में घसीटा गया है ।
सूत्रों के अनुसार शिवनंदन प्रसाद स्वयं एक शातिर, प्रभावशाली व दबंग व्यक्ति हैं। मलमास मेला सैरात की भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप कराने के लिए ही यह मुकदमा किया गया है । अब यह मामला पुलिस और प्रशासन के सामने है । पुलिस को इस मामले का अनुसंधान और पर्यवेक्षण बारीकी से एवं निष्पक्ष भाव से करनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके ।
अनुसंधान और पर्यवेक्षणकर्ता को यह भी देखना होगा कि मलमास मेले की सैरात भूमि पर कब्जा बनाए रखने के लिए साजिश के तहत उन्होंने यह मुकदमा तो नहीं की है ? इस प्राथमिकी के बाद मलमास मेला की सैरात भूमि को खाली कराने की चुनौती जिला प्रशासन के सामने आ खड़ी हुई है।
जिला प्रशासन इस मामले को किस रूप में लेती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा । लेकिन राजगीर के अंचल पदाधिकारी सतीश कुमार के द्वारा मलमास मेला की सैरात भूमि पर अतिक्रमणकारियो के खिलाफ नोटिस जारी की गई है। इस नोटिस के बाद हडकंप मच गई है ।