“वर्षा के दिन में बदलाव तो हुआ ही है वर्षा भी घट गया है। बारिश की कमी के कारण ही किसान बोरिंग के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जलस्रोते रिचार्ज कम और डिस्चार्ज अधिक हो रहा है।”
नालंदा( राम विलास)। जल साक्षरता के माध्यम से ही विभिन्न जल स्रोतों के जल का संरक्षण संभव है। भूजल के शोषण को रोकने के लिए जल स्रोतों की पहचान व सीमांकन कर मान चित्र के साथ नोटिफिकेशन की आवश्यकता है।
उक्त बातें जल जन जोड़ो एवं राष्ट्रीय जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने बिहारशरीफ परिसदन में सोमवार की सुबह पत्रकार वार्ता में कही।
उन्होंने कहा बिहार भारत का नीली गर्मी वाला प्रदेश व क्षेत्र था। लेकिन पिछले कई वर्षों से बिहार में लाल गर्मी पड़ने और बढ़ने लगी है, जो शुभ नहीं है। पिछले 15 वर्षों में वर्षा के समय में भारी बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा जलवायु परिवर्तन के कारण ही हरी और ब्लू गर्मी असंतुलित हो गई है।
उन्होंने कहा कि कृषि विभाग और मौसम विभाग को इसके लिए जागरूक होना होगा। कृषि को फसल चक्र से जोड़ना भी होगा।
श्री सिंह ने कहा बिहार सदा से पानीदार रहा है। लेकिन यह भी वे पानीदार हो रहा है। इसे वर्षा चक्र से जोड़ने की जरूरत है। सरकार के नदी जोड़ योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा यह भारत को तोड़ने की योजना है। कृष्णा, कावेरी, सतलुज और व्यास नदी को जोड़ने की चर्चा हुई थी लेकिन सफल नहीं हुई। सफल भी कैसे होगी। एक ही देश के एक राज्य की सरकार दूसरे राज्य की बात को नहीं समझ रहे हैं। हरियाणा-पंजाब, दिल्ली के जल समस्या का निदान नहीं ढूंढ रहे हैं ।
उन्होंने नेपाल से आने वाले पानी से होने वाले बाढ़ की विभीषिका की चर्चा करते हुए कहा इसके दो कारण हैं। एक नदियों में अधिक पानी आना और दूसरा नदियों में गाद जमा होना। बाढ़ से बचने के लिए नदियों को जोड़ने की बात नहीं नदियों की गाद को निकालने और ड्रेनेज बनाने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया।
बाढ़ का मूल कारण नदियों में सिल्ट का जमा होना उन्होंने बताया। नदियों में सिल्ट जमा होने के कारण ही नदियों के फ्लो और रास्ते बदल रहे हैं। बिहार में मिट्टी के कटाव और जमाब पर रोक लगाने की बहुत जरूरत है।
राजेंद्र सिंह ने कहा 21वी शताब्दी में जल संरक्षण का अतिक्रमण हो रहा है। इसके कारण प्रदूषण भी फैल रहें हैं ।
भू-जल के शोषण को हर हाल में रोकना चाहिए । सीरिया के जल संकट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा दुनिया में खेती करने वाला भारत पहला देश है। इसी का समकक्ष देश सीरिया है। सीरिया में आज पानी का घोर संकट है । वहां जल को लेकर तीसरा विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई है।
उन्होंने कहा बिहार भगवान का लाडला बेटा है । यहां की मिट्टी उपजाऊ और पानी मीठे हैं । समय रहते सरकार और समाज के लोग नहीं समहले तो आने वाला समय में यह बंजर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि एक आंदोलन की शुरुआत करने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर यहां आए हैं । बिहार में जल संरक्षण पर अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण का शिकार हो रहा है। विकास के नाम पर लगाए गए कल-कारखाने भूजल का शोषण कर रहा है।
आयुध निर्माणी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा यहां एक गोला बनाने के लिए 20 हजार लीटर पानी खर्च किया जाता है। आयुद्ध कारखाना 27 पाताल तोड़ बोरिंग करा कर भूजल का शोषण कर लिया है। यहां के किसान बेपानी हो रहे हैं। उन्हें पानीदार बने रहने के लिए आयुध कारखाना के अधिकारियों को जल्द से जल्द रास्ता निकालनी चाहिए।
उन्होंने कहा राजगीर के आसपास के किसानों ने आयुध कारखाना बनाने के लिए केवल जमीन दी थी । यहां के भूजल के शोषण का अधिकार नहीं दिया था। लेकिन आज आयुध कारखाना के द्वारा 27 पाताल तोड़ कुएं लगाकर का बेरहमी से भू-जल का शोषण किया जा रहा है। जिसके कारण यहां के किसान में पानी हो रही है।
इस अवसर पर शांति निकेतन के प्राध्यापक प्रोफ़ेसर सुभाष चंद्र राय राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार एवं अन्य कई लोग उपस्थित थे।