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    Tuesday, April 23, 2024
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      बिहार-झारखंड में आफत की बारिश, सिर्फ नुकसान ही नुकसान

      बिहार और झारखंड में दो दिनों से जारी आफत की बारिश से बड़ा नुकसान हो हो रहा है। मौसम पूर्वानुमान में आंधी-तूफान के साथ ही ओलावृष्टि और वज्रपात का भी अलर्ट जारी किया गया है। इस बारिश से रबी फसलों के नुकसान के साथ मानव के स्वस्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं….

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क।  पश्चिमी विक्षोभ एवं चक्रवाती हवाओं के कारण शुक्रवार को राजधानी पटना समेत पूरे बिहार-झारखंड में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश हो रही है।andhi tufan 1

      राजधानी पटना में पिछले चौबीस घंटे में 7.7 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि गया में 11.7 मिलीमीटर। बेमौसम हुई यह बारिश रबी फसलों के लिए वज्रपात साबित हुई। खासकर मसूर, चना एवं सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ है।

      पूरे राज्य में गरज-चमक और आंधी के साथ बारिश की चेतावनी मौसम विभाग ने जारी की है। कई जगह ओले पड़ सकते हैं। इसके साथ ही ठनका गिरने की भी संभावना है। आंधी की भी आशंका है। रविवार को भी कुछ जिलों में बारिश की संभावना है। सोमवार से मौसम साफ होने का अनुमान है।

      बारिश के कारण दिन का तापमान तेजी से गिरा है। पछुआ हवा चलने से तापमान में आठ डिग्री तक गिरावट दर्ज की गई है। लोग हल्के गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हो गए हैं।

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      शुक्रवार को सबसे अधिक 23.4 मिलीमीटर बारिश गोपालगंज में हुई। इसके अलावा वैशाली में 17.4, मशरख में 15.4, गया में 12, पूर्वी चंपारण केसरिया व सीवान में 11-11 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं पटना में सात मिलीमीटर तक बारिश हुई।

      मौसम विभाग के अनुसार पाकिस्तान और आसपास सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि में बर्फबारी हो रही है। उसका प्रभाव बिहार पर भी पड़ रहा है।

      इसके अलावा हरियाणा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपर साइक्लोनिक सर्कुलेशन बने हुए हैं, जो बिहार के मौसम को प्रभावित कर रहे हैं।

      बिहार में मौसम की बेरुखी ने किसानों का दिल दहला दिया है। रबी मौसम शुरू होने के बाद से हर महीने वर्षा हो रही है।

      इस अवधि में अब तक जितनी वर्षा होनी चाहिए, उससे चार सौ प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।

      मौसम की इस बेरुखी ने दलहनी और तेलहनी फसलों को चौपट कर दिया। चना को तो संभालने का फिर भी कुछ समय है, लेकिन मसूर की खेती बर्बाद हो गई है। यही हाल सरसों की खेती करने वाले किसानों का है। उनके लिए लागत निकालना भी कठिन होगा।

      तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण काफी संख्या में लोग बीमार पड़ने लगे। मौसम के बदलाव के कारण लोग सर्दी, खांसी, बुखार और गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

      मेडिसिन और चेस्ट रोग विभाग के ओपीडी में मरीजों की संख्या अधिक हो रही है। सामान्य दिनों की तुलना में पिछले एक पखवाड़े में अधिक मरीज आ रहे हैं।

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