“यह आरोपी अफसर ऊंचे रसूखदार माने जाते हैं और उनके विरुद्ध जिस प्रकार से जांच-कार्रवाई की जा रही है, मामले को छुपाने-दबाने का खेल चल रहा है, उस आलोक में नहीं कहा जा सकता है कि ठोस कार्रवाई होने की कहीं कोई संभावना प्रतीत है। एक बार फिर मामले की लीपापोती कर उसे ठंढे बस्ते में डाल दिया जाना तय लगता है”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। पटना प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ में पदास्थापित पुलिस उपाधीक्षक (प्रारक्ष) अजीत कुमार लाल के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के नाम पर महज खानापूर्ति किये जाने की सूचना है।
पटना पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय पत्रांक-577/18 के जरिये ‘विषयगत पुलिस उपाधीक्षक (प्रारक्ष) अजीत कुमार लाल द्वारा सरकारी संपति का गबन एवं कार्यरत पुलिस कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने के संबंध में नालंदा जिला बल के समस्त हवलदार/सिपाही से प्राप्त शिकायत आवेदन’ की जांच कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश नालंदा पुलिस अधीक्षक के नाम जारी किया है।
लेकिन, विश्वस्त सूत्रों के अनुसार नालंदा एसपी सुधीर कुमार पोरिका ने उक्त जांच का जिम्मा एएसपी सत्यप्रकाश मिश्रा को सौंप दी है। जिनके स्तर से आरोपी डीएसपी की ऊंची रसूख के बल मामले की पहले की भांति ही लीपापोती की जा रही है।
डीएसपी (प्रारक्ष) अजीत लाल पर बड़ा तत्थपरक आरोप है कि उनके द्वारा सरकारी पुलिस वाहन जिप्सी (बीआर-21बी/5367) की निलामी नियमानुसार नहीं किया गया। उक्त वाहन की निलीमी के क्रम में अधिक बोली पर नियत्रंता करते हुये खरीदार ईनायत मुनीर कोनासराय, वर्तमान में एस के ऑटो मोबाईल तुंगी रोड, कैम्ब्रीज स्कूल बिहारशरीफ के पक्ष में मात्र 25 हजार रुपये में के हाथ निलाम कर दी गई। जबि उक्त ईनायत मुनिर को निलामी की प्रक्रिया में बोली लगाने की अनुज्ञप्ति भी प्राप्त नहीं है।
यही नहीं, निलामी की प्रक्रिया के मात्र 3 दिन पश्चात दिनांक-03.08.2017 को ईनायत मुनीर द्वारा लिया गया एवं ईनायत मुनीर से दिनांकः 09.08.2017 को डीएसपी(प्रारक्ष) अजीत कुमार लाल ने नामांतरण करा लिया। इसका प्रमाण जिला परिवहन कार्यालय में नामांतरण प्रमाण पत्र के तौर पर उपलब्ध है।
इस तरह डीएसपी (प्रारक्ष) ने सरकारी आवंटित जिप्सी (बीआर-21बी/5367) को दिनांकः 09.08.2017 से वाहन के रुप में खरीद की गई, तब से सरकारी वाहन पर अधिक ईंधन का आवंटन किया जाने लगे। इसकी पुष्टि सरकारी जिप्सी की खरीदगी के पूर्व और पश्चात के लॉग बुक के अवलोकन से साफ स्पष्ट होता है।
जाहिर है कि सरारी जिप्सी के नाम पर सरकारी ईंधन से अपनी निजी खरीदगी जिप्सी चला रहे हैं। सरकारी आवंटित जिप्सी के संधारित लॉग बुक का अवलोकन सारा खेल खोल जाता है।
यदि BR21 9100 जिप्सी, जो सरकारी वाहन है, उस जिप्सी के नाम से तेल का कुपन काट नीजि जिप्सी गाड़ी मे तेल डलवाया जाता है। अगर 9100 गाडी नबंर का तेल बुक की जाँच किया जाये तो सरा सच्चाई समने आ जायेगा। तेल किसी और गाडी के नबंर से कूपन कट रहा है और खपत किसी और गाड़ी मे हो रहा है।
डीएसपी (प्रारक्ष) पर दूसरा सप्रमाण आरोप है कि उनकी पत्नी इन्दू किरण पटना जिले के अथमलगोला स्थित प्राथमिक विद्यालय टोला बाबू राम दहिल सिंह कमरापर में सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। वे हरेक दिन पुलिस केन्द्र आवास से सरकारी चालक सिपाही वकील कुमार राय एवं सिपाही रमेश कुमार शाह के साथ निजी खरीदगी जिप्सी (बीआर-21बी/5367) पर पुलिस सिंबल-डीएसपी रिजर्व बोर्ड लगा आती जाती है।
शिक्षिका इन्दु किरण जब तक स्कूल में पठन-पाठन का कार्य करती हैं, जब तक उक्त दोनों चालक सिपाही खिदमत में लगे रहते हैं। आश्चर्य की बात है कि नालंदा जिला बल में विधि व्यवस्था संधारण हेतु जहां सरकारी चालक नहीं मिलता है, वहीं एक डीएसपी (प्रारक्ष) की पत्नी को दो-दो सरकारी चालक सिपाही की सेवा संसाधन का खुला दुरुपयोग है।
इसके आलावे डीएसपी (प्रारक्ष) अजीत कुमार लाल पर मनमानी, शोषण व दमनकारी नीति अपना कर पुलिस केन्द्र में आंतक का माहौल उत्पन्न करने के गंभीर आरोप लगे हैं।