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    Saturday, April 20, 2024
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      पुलिस-प्रशासन की भ्रष्ट-लापरवाह आचरण से फैलती यह अराजकता

      हादसा एक आपदा है। इससे उबरने के लिए सरकार सहायता राशि प्रदान करती है। लेकिन मौत के इस मुआवजा में कर्मी अपना भ्रष्ट आचरण दिखाने से बाज नहीं आ रहे। यही कारण है कि लोग घटना  को लेकर सड़कों-बाजारों में उत्पात मचाते हैं…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। विगत दिनों बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में  इसलामपुर अंचल का एक कर्मी 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते पटना निगरानी की टीम के हत्थे चढ़ा। वह एक युवक से उसके भाई की सड़क हादसा में मौत के मात के बाद भुगतान के लिए 30 हजार रुपये की घूस मांग रहा था।

      इधर हरनौत प्रखंड के सबनहुआ पंचायत के सचिव ने एक बालिका की सड़क हादसा में मौत का मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए 1000 रुपए ठगने के बाद अतिरिक्त राशि की मांग कर रहा था।

      cruption 1पीड़ित पिता ने जब गरीबी का हवाला दिया तो सचिव आगबबूला हो अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए डांट कर पीड़ित को भगा दिया। इतना ही नहीं मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सचिव को फोन करने वाले जिला पार्षद को निशाना बना कड़े शब्दों का इस्तेमाल भी किया।

      खबर है कि चंडी प्रखण्ड के सरथा पंचायत के मानपुर निवासी रामधनी चौधरी से सम्बंधित है। इनकी पुत्री सुरुचि कुमारी की मौत हरनौत में माँ काली मंदिर के निकट सड़क दुर्घटना में पिछले साल हो गयी थी। घटना स्थल सबनहुया पंचायत में आता है।

      रामधनी कई महीनों से अपनी पुत्री का मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए दौड़ लगा रहा था। एक हजार रुपये पहले दिया भी था। लेकिन अधिक रुपये मांगी जा रही थी। जिसे चुकाने में वह सक्षम नहीं था।

      मजबूरन, वह फरियाद लेकर जिला पार्षद के पास गए। जिला पार्षद निरंजन कुमार ने पंचायत सचिव से बिना रिश्वत डीसी देने को कहा। उस समय सचिव ने आश्वासन दिया कि काम हो जाएगा। प्रमाण पत्र बना हुआ है।

      लेकिन जब रामधनी पहुंचा तो सचिव ने पैंतरे बाजी शुरू कर दी। इसके बाद जिला पार्षद के कहने पर उसने मोबाइल फोन को रिकार्ड मोड़ में ऑन कर जेब मे रख लिया और पंचायत सचिव के कारनामें के सबूत इकठ्ठे किये।

      उधर एक ऐसा ही मामला नगरनौसा थाना-प्रखंड के महमदपुर गांव से जुड़ा है। स्थानीय हरनौत विधायक हरिनारायण सिंह के इस गांव के गनौरी पासवान की मौत सड़क हालसा में हो गई। मृतक के परिजन लंबे अरसे से मुआवजा राशि के लिए थाना-अंचल के चक्कर काट रहा है।

      अंचल कार्यालय का नाजिर जहां कागजात पर थानेदार का मुहर लगवा लाने की बात कर रहा है। वहीं थानेदार हस्ताक्षर कर दिए हैं, उसी से काम करवाओ, मुहर नहीं लगाएंगे की डपट लगा भगा रहा है।

      जाहिर है कि पुलिस प्रशासन के अफसर-कर्मी के ऐसे ही भ्रष्ट-लापरवाह हरकत से आम लोगों में आक्रोश पनपता है। लोग यह मान बैठे हैं कि सड़क जाम, आगजनी, तोड़फोड़, हमला जैसी हरकत करने से ही बिना परेशानी के राशि हाथ में आएगी। अन्यथा दौड़ते रहना पड़ेगा।

      होता भी ऐसा ही है। जब लोग हादसा के बाद शव लेकर सड़क-बाजार में उतरकर उत्पात मचाते हैं तो पूरा सरकारी महकमा हाथ जोड़ खड़ा हो जाता है। ऐसे पीड़ित परिजन थानेदार, बीडीओ, सीओ से लेकर एसडीओ, डीएम तक तक टपला खाते रहते हैं। उनका काम भी किसी दलाल को पकड़े बिना नहीं होता है।

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