” बकौल पुरुषोतम प्रसाद, प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही की वजह से राजगीर मेला सैरात भूमि के जिन-जिन अतिक्रमणकारियों का 17-18 जुलाई को अतिक्रमण नहीं हटा है, उससे उन्हें और उनके समूचे परिवार को जान-माल का खतरा है। अतएव उन्हें सशस्त्र बल की सुरक्षा प्रदान की जाये। ”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। नालंदा जिले का स्वर्ग माने जाने वाले राजगीर नगर के मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रहे आरटीआई एक्टिविस्ट पुरुषोतम प्रसाद ने प्रशासनिक लापरवाही से बचे चिन्हित अतिक्रमणकारी भू-माफियाओं से खुद व परिवार के जान माल का खतरा बताया है।
उन्होने आज नालंदा के डीएम और एसपी को सौंपे लिखित शिकायत आवेदन में विषयगत लिखा है कि प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही की वजह से राजगीर मेला सैरात भूमि के जिन-जिन अतिक्रमणकारियों का 17-18 जुलाई को अतिक्रमण नहीं हटा है, उससे उन्हें और उनके समूचे परिवार को जान-माल का खतरा है। अतएव उन्हें सशस्त्र बल की सुरक्षा प्रदान की जाये, ताकि वे उन सभी भू-अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध संबंधित न्यायालय एवं लोक प्राधिकार के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकें।
नालंदा के एसपी कुमार आशीष ने श्री पुरुषोतम प्रसाद की शिकायत को गंभीरता से लिया और उन्हें यह आश्वस्त किया कि हर संभव सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जायेगी।
श्री प्रसाद ने नालंदा के डीए डॉ त्यागराजन को सौंपें पत्र में लिखा है कि वे राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि से अतिक्रमणमुक्ति का वादी हूं , जिसका अनन्य वाद संख्या-999990124121628208/1A में पटना प्रमंडलीय आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार पदाधिकारी आनंद किशोर ने विगत 17 जून को अपने पारित आदेशानुसार 17-18 जुलाई को राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमण मक्ति का आदेश दिया था।
इसके पूर्व 17 जून को राजगीर के अंचलाधिकारी सतीश कुमार द्वारा सीमांकन वाद संख्या-09/2016-17 एवं अतिक्रमण वाद संख्या-01/2017-18 में अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया था। जिसमें 6 जुलाई, 2017 तक अतिक्रमणकारियों को स्वंय अतिक्रमण हटाना था।
जबकि, तात्कालीन राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी शिवशंकर प्रसाद ने अपने कार्यालय पत्रांक-46/2015 से राजगीर के तात्कालीन अंचलाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद को मलमास मेला सैरात भूमि एवं नगर निवेशन प्राधिकार की अर्जित भूमि का नीजि व्यक्ति के नाम खोले गये जमाबंदी को रद्द करने अथवा निरस्त करने के लिये लिखा जा चुका था।
इस पर कोई अग्रेतर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी प्रशासनिक लापरवाही से बचे अतिक्रमणकारी अनुचित लाभ प्राप्त कर फर्जी दस्तावेज के आधार पर न्यायालय की शोभा बढ़ा रहे हैं।