एमनेस्टी इंटरनेशनल ने छत्तीसगढ़ के पत्रकार संतोष यादव की रिहाई की मांग की है. बस्तर के पत्रकार संतोष यादव को पुलिस ने माओवादी होने का आरोप लगा कर पिछले महीने गिरफ्तार किया था. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि इस तरह की गिरफ्तारियों का विरोध किया जाना चाहिये.
संतोष यादव के वकीलों के हवाले से एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि संतोष को फर्जी तरीके से फंसाया गया है. संतोष उस इलाके में पुलिस की गलत कार्रवाइयों का विरोध करते रहे हैं, इसलिये उन्हें निशाना बनाया गया है.
एमनेस्टी ने संतोष की रिहाई के लिये अभियान चलाने का आह्वान किया है और इसके लिये राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह और बस्तर के आईजी को पत्र लिखने की भी अपील की है.
राजस्थान पत्रिका पत्र समूह के दरभा इलाके के प्रतिनिधि को पुलिस ने माओवादियों के साथ कथित संपर्क के आरोप में टाडा और पोटा से भी ख़तरनाक माने जाने वाले ‘छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा क़ानून’ के तहत गिरफ्तार किया है.
बस्तर के पुलिस अधीक्षक का दावा है कि संतोष पर लगातार नज़र रखी जा रही थी और पुख्ता प्रमाण के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
हालांकि संतोष के परिजन, स्थानीय पत्रकार और मानवाधिकार संगठन इसे ग़लत बता रहे हैं.
शनिवार को ही इस मामले को लेकर राज्य भर के पत्रकारों ने रायपुर में एक बैठक कर पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया था. अब मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है.