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नीतिश के सुशासन में RTI की धज्जियां, यूं नकारा है राज्य सूचना आयोग

RTI 3“सीएम नीतिश जी की इस ‘सुशासन’ की हद तब हो जाती है, जब राज्य सूचना आयोग भी बिल्कुल नकारा बन जाती है और न्यायोचित कार्रवाई की जगह इस तरह की कार्यवाही करने लगते हैं कि सूचना मांगने वाले थक-हार कर घर बैठ जाये।”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत आम जनता को मिले अधिकार शासन व्यवस्था में पारदर्शिता के लिये काफी अहम है। जहां भी इस अधिकार की धज्जियां उड़ाई जाती हो, वहां सरकार की तानाशाही रवैया प्रमाणित होती है।

बात जब नालंदा जिले की हो तो मामला और भी गंभीर हो जाता है। क्योंकि यह जिला प्रांत के मुखिया नीतिश कुमार का गृह क्षेत्र कहलाता है। उनकी राजनीतिक जड़ के नख भी इसी जिले में फैली है। लेकिन उस नख की पोल न खुले, शासकीय तौर पर यहां एक नापाक तंत्र काम कर रहा है कि किसी भी हाल में कोई मामला जनता के सामने न आये। यहां के अफसरों को प्रावधानानुसार सूचना उपलब्ध कराने में नानी मरने लगती है और वे जनहित की सूचनाएं भी उपलब्ध नहीं कर-करा पाते हैं।

नालंदा जिले में आम शिकायत है कि यहां आवेदक को सूचना के नाम पर सिर्फ गुमराह किया जाता है। आवेदक को झूठे मुकदमे में फंसा देने की धमकियां दी जाती है। इस पर भी कोई आवेदक बाज नहीं आया तो फिर उसे तारीख पर तारीख की कूटनीति अपना ली जाती है।

थरथरी प्रखंड के मकुंन्दन बिगहा गांव निवासी राजकुमार सिन्हा द्वारा वर्ष 2014 में थरथरी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मांगी गई सूचना तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक उपलब्ध नही कराई गई है।

आवेदक ने प्रथम अपीलीय से लेकर राज्य सूचना आयोग तक सूचना प्राप्ति के लिए गुहार लगाया। लेकिन आवेदक को सूचना की जगह मिल रहा है सिर्फ तारीख पर तारीख।

आवेदक के अनुसार बर्ष 2014 में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से थरथरी प्रखंड में  TET 2011 में पास / उतीर्णता के आधार पर किस-किस अभियर्थियों का चयन किया गया है, उन सभी चयनित लाभार्थियों (शिक्षक) का मार्क सीट, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, नियुक्ति पत्र तथा चयन कार्यवाही पंजी की पृष्ठ दर पृष्ठ प्रमाणित प्रति की मांग किया था, लेकिन सूचना मांगने के 42 दिन बाद तक भी सूचना नही मिला तो नालंदा जिला शिक्षा पदाधिकारी के शमक्ष  प्रथम अपील दायर किये, लेकिन वहां से भी किसी भी प्रकार का कोई सूचना नही उपलब्ध कराया गया।

उसके बाद पुनः सूचना प्राप्ति के लिए राज्य सूचना आयोग में 23 जनबरी 2015 को द्वीतीय अपील दायर किया गया, जहां से  सूचना उपलब्ध कराने हेतु वाद संख्या 130380/14-15 निर्धारित करते हुए वाद की सुनवाई हेतु 19/12/2016 अपराह्न 20:30 निर्धारित की गई। परन्तु सूचना उपलब्ध नही कराया गया। सिर्फ तारीख मिला। पुनः वाद की सुनवाई हेतु 01/06/2017 एवं 19/06/17 के पूर्वाह्न निर्धारित की गई।

राज्य सूचना आयोग ने सुनवाई की जो पत्र प्रेषित किये, उससे साफ जाहिर होता है कि नालंदा को लेकर उसकी मंशा ठीक नहीं रहती है।

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