अन्य
    Saturday, April 20, 2024
    अन्य

      निरीह चूहों को फिर बदनाम कर रहे हैं कुशासन के भ्रष्ट बिलार

      बिहार में चूहों को सिर्फ शिक्षा विभाग ने ही नहीं बदनाम किया है। थानों में शराब पीने से लेकर बांधों के टूटने का जिम्मेदार भी चूहों को ही समझा गया। यहां शिक्षकों का नियोजन तो भारी स्तर पर हुआ, लेकिन सच्चाई यह भी है कि पूरे सूबे में फर्जी प्रमाणपत्र पर नियोजित शिक्षक  काफी तादात में काम कर रहे हैं …..”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार की भ्रष्ट व निकम्मी व्यवस्था के बिलारों ने एक बार फिर चूहों को बदनाम किया है। पहले यहां पर चूहों पर शराब गटकने, बांध कुतरने का आरोप लगाया गया।

      अब बेशर्मी की हद देखिए कि चूहों पर नियोजित शिक्षकों की जांच से जुड़े फोल्डर को कुतर कर नष्ट करने का ठिकरा फोड़ा है। शिक्षक नियुक्ति फर्जीवाड़ा की हैरतअंगेज दलील है कि करीब 40 हजार ऐसे फोल्डर हैं, जिन्हें चूहों ने कुतर दिया है।rat cruption teacher cm nitish 3

      आखिर फर्जी प्रमाण पत्र पर काम कर रहे नियोजित शिक्षकों की जांच कब तक पूरी होगी। बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या 3 लाख 52 हजार 812 है।

      लेकिन इनके नियोजन के साथ ही ये बात भी सामने आई कि सैकड़ों की संख्या में ऐसे शिक्षकों का नियोजन हुआ है, जिनके सर्टिफिकेट ही फर्जी हैं। पिछले एक दशक के दौरान ऐसे फर्जीवाड़े जमकर हुए हैं और ठोस कार्रवाई करने में नीतीश सरकार के हाथ पैर फूलते रहे हैं।

        हाईकोर्ट के आदेश के बाद यहां पिछले पांच सालों से नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच चल रही है। लेकिन जांच की प्रक्रिया काफी सुस्त है। एक तरह से कहिए तो ठप है।

      अब नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच कर रहे निगरानी विभाग को कई भ्रष्ट नियोजन इकाइयों ने जानकारी दी है कि उनके यहां सर्टिफिकेट से जुड़े फोल्डर थे, उसे चूहों ने कुतर दिए हैं।

      ऐसे फोल्डरों की संख्या 40 हजार के करीब है। कुछ भ्रष्ट नियोजन इकाईयों ने यह भी कहा कि बाढ़ में 10 हजार शिक्षकों के फोल्डर बह गए हैं।

      सवाल उठना स्वभाविक है कि अगर सर्टिफिकेट से जुड़े फोल्डर बाढ़ में बह गए या फिर चूहों ने कुतर दिए तो फिर जिम्मेदार अधिकारियों और नियोजन इकाईयों पर क्या कार्रवाई होगी? इसमें लोगों को संदेह है। chandi education crouption 1

      जीरो टॉलरेंस के ढिढोंरे पीटने वाले सीएम नीतीश कुमार का कुशासन ही कहा जाएगा कि पिछले पांच सालों से नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच चल रही है। ये जांच कब पूरी होगी। इसकी समय सीमा तय करने की हिम्मत सरकार में कभी नहीं दिखी।

      हो सकता है कि कुछ शिक्षकों का नियोजन फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर हुआ होगा, लेकिन बांकी तो नियोजित शिक्षकों को उनकी योग्यता पर नौकरी मिली है।

      सरकार इसकी आवश्यक जांच करे और ये भी सुनिश्चित हो कि किन अधिकारियों और नियोजन इकाइयों की वजह से फोल्डर गायब हो गए हैं।action on crupt mukhiya

      आश्चर्य की बात है कि दायर एक पीआईएल पर हाईकोर्ट ने इसकी जांच का जिम्मा निगरानी को दिया। शिक्षा विभाग को कहा गया कि वो निगरानी विभाग को इसमें जरूरी सहयोग करे।

      बिहार में कुल नियोजित शिक्षकों की संख्या 3 लाख 52 हजार 812 बताई जा रही है। वहीं निगरानी विभाग को अब तक कुल 2 लाख 43 हजार 129 फोल्डर ही मिले हैं। अब भी नहीं मिले फोल्डरों की संख्या 1 लाख 9 हजार 683 बताई जा रही है।

      अब तक मिले फर्जी प्रमाणपत्रों की संख्या 1132 है। इससे जुड़े मामले में कुल 419 मुकदमे हैं और 1426 शिक्षकों पर केस दर्ज किया गया है।

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!